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UP Election 2022: आया चुनावी मौसम बाहुबलियों का, पूर्वांचल में कोई किसी से कम नहीं

UP Election 2022 : यूपी चुनाव में बाहुबलियों ने छोटे दलों के सहारे सत्ता का रास्ता पकड़ने की नई रणनीति बनाई है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 25 Feb 2022 9:02 AM GMT (Updated on: 25 Feb 2022 12:27 PM GMT)
bahubali in up Election
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यूपी चुनाव में बाहुबली किसी से कम नहीं 

UP Election 2022 : यूपी की राजनीति (Up politics) में अपराध और राजनीति का हमेशा से गठजोड़ रहा है। अगले तीन चरणों में अब बाहुबलियों (Bahubali candidate) का जोर है ओर अब उनका असली इम्तिहान है।

हांलाकि, राजनीति के बदलते दौर में बडे़ दलों ने इस चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले ऐसे नेताओं को अपने दल से दूर रखने की कोशिश की है। बावजूद इसके इन बाहुबलियों ने छोटे दलों के सहारे सत्ता का रास्ता पकड़ने की नई रणनीति बनाई है।


धनंजय सिंह (Dhananjay Singh)

पूर्वाचंल के बाहुबलियों में सबसे पहले नाम आता है धनंजय सिंह का जो योगी सरकार में पूरे पांच साल चर्चा में रहे। उनकी कभी भाजपा में आने की बातें उड़ी तो गिरफ्तारी न होने को लेकर भी चचाओं का बाजार गरम रहा। कई दलों में इंट्री पाने के प्रयास में असफल होने के बाद इस बार वह जनता दल के टिकट से जौनपुर की मल्हनी सीट से उम्मीदवार हैं। दो बार विधायक रहे धंनजय सिंह पिछला चुनाव निषाद पार्टी से लडे़ थें पर सपा के लकी यादव ने उन्हे धूल चटा दी थी। इस बार भी सपा के लकी यादव , भाजपा से केपी सिंह और बसपा से शैलेन्द्र यादव विधानसभा जाने से उनका रास्ता रोकने के लिए मैदान में हैं।


रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh, Raja Bhaiya)

राजनीति के क्षेत्र में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर से अपनी परम्परागत सीट कुंडा से हैं। वह पहली बार 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक बनने के बाद फिर लगातार विधायक बनते रहे हैं। वह भाजपा की सरकारों के अलावा सपा की सरकार में भी मंत्री रहे। हांलाकि अखिलेश यादव अब उन्हे पसंद नहीं करते हैं। इस बार सपा ने पार्टी प्रत्याशी गुलशन यादव को चुनाव मैदान में उतारकर राजा भैया ने राह कठिन कर दी है। गुलशन पहले राजा भैया के नजदीकी हुआ करते थें। वहीं भाजपा की सिन्धुजा मिश्रा भी और बसपा से फहीम चुनाव मैदान में उतरे हैं।


सुशील सिंह (Sushil singh)

अपराध की दुनिया में हमेषा चर्चा में रहने वाले एमएलीसी बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह फिर से चंदौली की सैयदराजा सीट से चुनाव मैदान में है। वह चौथी बार चुनाव मैदान में है। इसके पहले सुशील सिंह इस जिले की धानापुर सीट से विधायक रह चुके हैं। उनके सामने बसपा के अमित यादव और समाजवादी पार्टी के मनोज कुमार उन्हे इस बार अच्छी टक्कर दे रहे हैं।


विजय मिश्र (vijay Mishra)

भदोही जिले के आसपास के क्षेत्र में दबाव की राजनीति करने वाले विजय मिश्र इस बार जेल में रहकर चुनाव लड़ रहे हैं। वह पूर्व में विधायक रह चुके हैं लेकिन योगी सरकार में उन्हे जेल भेज दिया गया। इस बार वह प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार उन्होंने निषाद पार्टी से चुनाव लडा था। उनका मुकाबला सपा के रामकिशोर बिंद और बसपा के उपेंन्द्र कुमार सिंह से है।


रमाकांत यादव (Ramakant Yadav)

कई दलों में रह चुके पूर्व सांसद रमाकांत यादव इस दफे फिर समाजवादी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरकर विधानसभा का रास्ता तय करना चाह रहे हैं। वह जौनपुर की यादव बाहुल्य सीट फूलपुर पवई से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से पिछली बार उनके बेटे अरूण यादव भाजपा से विधायक बने थें लेकिन जब यहां से समाजवादी पार्टी ने उनको टिकट दे दिया तो फिर भाजपा ने उनके बेटे का टिकट काट दिया और उनके स्थान पर रामसूरत को टिकट दे दिया। बसपा ने यहां शकील अहमद को टिकट दिया है।


अभय सिंह (Abhay Singh)

अयोध्या की गोसाईगंज सीट से इस बार अभय सिंह समाजवादी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2007 में वह बसपा से विधायक रह चुके हैं। पिछले साल वह भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन पार्टी सांसद डा रीता बहुगुणा जोशी की नाराजगी के बाद उन्हे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। भाजपा ने कांटे से कांटा निकालने की रणनीति के तहत बाहुबली खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी को टिकट देकर चुनाव को रोमाचंक बना दिया है।


विनय शंकर तिवारी (Vinay Shanker Tiwari)

हांलाकि विनय शंकर तिवारी का कोई बड़ा आपराधिक इतिहास नहीं हैं पर पिता हरिषंकर तिवारी के कारण उन्हे ताकतवर विधायक माना जाता है। पिछली बार वह गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक बने थें जहां से पूर्व में उनके पिता हरिषंकर तिवारी चुनाव लड़ा करते थें लेकिन इस विनय शंकर तिवारी सपा से उम्मीदवार है। पूर्व में वह बसपा के टिकट पर विधायक बने थें। इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर पूर्व मंत्री राजेश पति त्रिपाठी को तथा बसपा ने राजेन्द्र सिंह को टिकट दिया।


अब्बास अंसारी (Abbas Ansari)

25 वर्षो से मऊ सीट से विधायक बनते आ रहे बाहुबली मुख्तार असंारी इस बार जेल में है तो उनके बेटे अब्बास असंारी इस सीट से चुनाव मैदान में है जिन्हे जिताने को लेकर पूरा अंसारी परिवार इन दिनों मेहनत कर रहा है। अब्बास अंसारी सपा के साथ गठबन्धन कर चुनाव लड़ने वाले दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से चुनाव मैदान में पहली बार उतरे है। उनके खिलाफ बसपा के भीम राजभर और भाजपा के अशोक कुमार सिंह चुनाव मैदान में उतरे हैं।

अमनमणि त्रिपाठी (Amanmani Tripathi)

पिछला विधानसभा चुनाव जीत चुके बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी इस बार फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं। उन्हे बसपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। मायावती सरकार में उनके पिता अमरमणि त्रिपाठी मंत्री भी रह चुके हैं पर अब वो आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। अपनी पत्नी की हत्या के आरोपी अमनमणि त्रिपाठी सपा के कुंवर कौशल सिंह और निषाद पार्टी के ऋषि से जबर्दस्त मुकाबला कर रहे हैं।

Ragini Sinha

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