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UP Election 2022: भाजपा की पैनी निगाह विधान सभा के साथ विधानपरिषद सीटों पर भी 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने विधानपरिषद चुनाव (legislative council election) को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। 2016 में हुए विधानपरिषद चुनाव में सबसे ज्यादे सीटें सपा ने जीती थी ।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 4 Dec 2021 11:59 AM GMT
UP Election 2022
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जहां एक तरफ विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) को लेकर राजनीतिक दल (political party) जोर आजमाइश में जुट गए हैं वहीं सत्ताधारी भाजपा की निगाह इन चुनावों के साथ ही उच्च सदन (विधान परिषद) (Legislative Assembly) की रिक्त हो रही 35 सीटों पर लगी हुई है। जो तीन महीने बाद रिक्त हो रही हैं। इन सीटों पर अधिकतर सीटों पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का कब्जा है।

भाजपा (BJP) उच्च सदन में अपनी ताकत बढाना चाह रही है पर सवाल इस बात का है कि आखिर चुनाव निर्वाचन आयोग (election commission) इन सीटों के भरने का काम विधानसभा चुनाव (Assembly elections) के बाद करेगा अथवा इसके पहले करता है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in Uttar Pradesh) से पहले विधान परिषद सदस्य पद के चुनाव कराये जा सकते हैं। केन्द्रीय निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव फरवरी से मार्च के बीच कराने को लेकर योजना बना रहा है। यहां यह बताना जरूरी है कि विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्र की 35 सीटों का कार्यकाल 7 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है।

विधानपरिषद की ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की भाजपा की तैयारी

विधानपरिषद चुनाव (legislative council election) को लेकर सत्ताधारी भाजपा ने भी पूरी तैयारी कर ली है और वह ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए रणनीति भी तैयार कर रही है। निर्वाचन आयोग इन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के तीन माह पहले यह चुनाव करा सकता है। ऐसे में आयोग यदि चाहे तो 7 दिसम्बर के बाद इन चुनावों को करा सकता है।

इस समय स्थानीय निकाय क्षेत्र से अधिकांश एमएलसी सपा से हैं। पार्टी ने परिषद चुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश अभी से शुरू कर दी है। परिषद चुनाव में भी 80 से 90 प्रतिशत सीटें जीतकर भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में चौतरफा लहर चलाना चाहती है, ताकि विधान सभा चुनाव में उसका लाभ उठाया जा सके।

कुछ सदस्यों ने क्षेत्र में अपनी मजबूत राजनीतिक जमीन दिखाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क भी शुरू किया है। उनका मानना है कि प्रदेश में चुनाव में सत्ताधारी दल का प्रभाव चलेगा। लिहाजा भाजपा से अलग रहकर सीट जीतना उनके लिए मुश्किल होगा। इसी कारण हाल ही में समाजवादी पार्टी के रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू, नरेन्द्र सिंह भाटी, रमा निरंजन और सीपी चंद्र भाजपा में अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

समाजवादी पार्टी 31 सीटें

जहां तक वर्ष 2016 में हुए विधानपरिषद चुनाव (legislative council election) की बात है तो समाजवादी पार्टी ने उस समय 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। विधानपरिषद की आठ सीटों पर निर्विरोध जीत तय हुई थी। इनमें लखनऊ- उन्नाव सीट, सीतापुर प्रतापगढ़ बांदा-हमीरपुर आगरा-फिरोजाबाद मेरठ-गाजियाबाद व मथुरा- एटा- मैनपुरी सीट के दोनों विधानपरिषद सदस्य शामिल हैं। इसके बाद शेष 28 सीटों के चुनाव में उसने 23 पर अपनी जीत हासिल की थी। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को दो कांग्रेस को एक सीट मिली थी जबकि दो सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिल सकी थी।

स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से होने वाले इन चुनावों में ग्राम प्रधान क्षेत्र पंचायत सदस्य जिला पंचायत सदस्य के अलावा नगर निगमॉ नगर महापालिका व नगर पंचायतों के महापौर व अध्यक्ष तथा पार्षद व सभासद छावनी परिषद के अध्यक्ष व सभासद के अलावा उस क्षेत्र के सांसद व विधायक अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।

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