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UP Election 2022: पहली बार राजा भैया की सीट पर रोडे़, आसान नहीं है राह
यूपी विधानसभा चुनाव में 15 साल बाद समाजवादी पार्टी ने प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी का मुकाबला रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से होना है।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के पांचवे चरण में होने वाले चुनाव की हॉट सीटों में शुमार प्रतापगढ (Pratapgarh) की कुंडा सीट (Kunda Assembly Seat) पर पहली बार जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है। 1993 से लगातार हर चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरते रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) को इस दफे कड़ी टक्कर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के गुलशन यादव (Gulshan Yadav) से देखने को मिल रही है।
कुंडा सीट पर 15 साल बाद सपा ने उतारा उम्मीदवार
राजा भैया, जिन्होंने अपनी पार्टी जनसत्ता दल (Jansatta Dal) का गठन किया और 19 अन्य सीटों पर भी उम्मीदवार खड़े किए हैं। समाजवादी पार्टी, जिसने पिछले 15 वर्षों में इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था, ने इस बार अपने उम्मीदवार को राजा भैया के लिए विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देने के लिए मैदान में उतारा है। रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) कुंडा की सीट से, पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 1993 में पहली बार विधायक बने। 1993 में सपा-बसपा दोनों ने मिलकर संयुक्त उम्मीदवार दिए थे, भाजपा, जनता दल ने भी इस सीट पर चुनाव लड़ा था। तब से छह बार विधायक बन चुके हैं। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 26 वर्ष थीे। तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं।
सपा भाजपा की सरकार में मंत्री रह चुके हैं राजा भैया
राजा भैया 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा (BJP) के समर्थन से इसके बाद 2002 और 2007, 2012 के चुनाव में एसपी (SP) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए। राजा भैया, कल्याण सिंह (Kalyan Singh) सरकार और मुलायम सिंह (Mulayam Singh) सरकार में भी मंत्री बने। वह वर्ष 1999 व 2000 में राम प्रकाश गुप्ता (Ram Prakash Gupta) और राजनाथ सिंह के कैबिनेट में खेल कूद एंव युवा कल्याण मंत्री बनाया गया। साल 2004 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की सरकार में खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री बने। अखिलेश सरकार में 15 मार्च, 2012 को कारागार एवं खाद्य एवं रसद मंत्री बने, लेकिन 2 मार्च 2013 को कुंडा में तीहरे हत्याकांड मामले में सीओ जिया-उल-हक के हत्या मामले राजा भैया का नाम आने पर इन्होने 4 मार्च, 2013 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि बाद में राजा भैया निर्दाेष पाए गए ।
इस बार समाजवादी पार्टी ने पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव (Gulshan Yadav) को मैदान में उतारा जो कई वर्षो से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के ही सहयोगी रहे हैं। जहां तक पिछले चुनाव की बात है तो उन्होंने यह चुनाव उन्होंने बडे आराम से लम्बे अंतर से जीता था। हमेशा समाजवादी पार्टी उनको अपना समर्थन दिया करती थी और कभी भी उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया। इस बार भी यही उम्मीद थी पर अखिलेष यादव ने अपना प्रत्याशी उतारकर राजा भैया को चौंका दिया। बतातें है कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) काफी दिनों से राजा भैया से नाराज चल रहे थें जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
लगभग 3.5 लाख मतदाताओं वाले कुंडा निर्वाचन क्षेत्र में अन्य जातियों के अलावा यादव (80,000), पटेल (50,000), पासी (50,000), ब्राह्मण और मुस्लिम (दोनों लगभग 45,000 प्रत्येक) की बड़ी संख्या है और क्षत्रिय मतदाता लगभग 15,000 हैं।