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UP Election 2022: मिशन 2022 के लिए सपा की गोलबंदी तेज, जातीय समीकरण बिठाने के लिए क्षेत्र में उतारे छत्रप

UP Election 2022: अब अखिलेश यादव जातीय समीकरण भी बैठाने में लग गए हैं। सपा प्रमुख जातीय गोलबंदी कर छोटी-छोटी जातियों को साधने का काम कर रहे हैं। यह छोटी जातियों का क्षत्रप अलग-अलग इलाकों में होता है और इन्हें साधकर वह अपने वोट बैंक को और मजबूत करने के लिए अपने नेताओं को मैदान में उतारा है।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Shreya
Published on: 24 Dec 2021 11:19 AM IST
Samajwadi Party chief  Akhilesh Yadav cancels Vijay Rath Yatra Gonda Basti Ayodhya
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अखिलेश यादव।

UP Election 2022: यूपी चुनाव (UP Chunaav) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) जहां कई छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। वहीं अब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) जातीय समीकरण भी बैठाने में लग गए हैं। सपा प्रमुख जातीय गोलबंदी कर छोटी-छोटी जातियों को साधने का काम कर रहे हैं। यह छोटी जातियों का क्षत्रप अलग-अलग इलाकों में होता है और इन्हें साधकर वह अपने वोट बैंक (Akhilesh Yadav Vote Bank) को और मजबूत करने के लिए अपने नेताओं को मैदान में उतारा है। अखिलेश यादव को यकीन है कि अगर छोटे-छोटे दलों के साथ इन जातियों का वोट हासिल हो गया तो अब भाजपा (BJP) को करारी शिकस्त देने में कामयाब हो जाएंगे।

इसी रणनीति के तहत वह प्रयागराज (Prayagraj) से बुंदेलखंड (Bundelkhand) तक छोटे-छोटे जातियों को साधने का काम शुरू कर दिया है। जातीय जनाधार वाले नेता अपना कार्यक्रम तय कर रहे हैं। इन सम्मेलनों में सपा सरकार (SP Sarkar) से संबंधित जाति के हुए कामों को बताया जा रहा है। साथ ही संबंधित जाति के महापुरुषों के जरिए स्वाभिमान भी जगा रहे हैं। सपा ने इसकी शुरुआत 22 दिसंबर से बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Babasaheb Ambedkar Mandate Yatra) जनादेश यात्रा के रूप में की है। प्रयागराज से शुरू हुई इस यात्रा के पहले चरण की समाप्ति बुंदेलखंड भ्रमण के बाद कानपुर में 27 दिसंबर को होगा। इसके मद्देनजर पार्टी से जुड़े विभिन्न संगठनों को जातीय गोलबंदी के निर्देश दिए गए हैं।

पार्टी अब तक विभिन्न यात्राओं के जरिए डॉ राम मनोहर लोहिया (Dr. Ram Manohar Lohia) के विचारों का ही प्रचार प्रसार करती थी लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने डॉक्टर अंबेडकर के संदेश को प्रसारित करने की रणनीति बनाई है। इसके लिए उन्होंने बाबा साहब वाहिनी (Baba Sahab Vahini) का भी गठन किया है और अब इसके तहत केशव देव मौर्य, डॉ संजय चौहान, ओमप्रकाश राजभर, रामअचल राजभर, डॉक्टर राजपाल कश्यप, महेंद्र कुमार गौड़ सहित तमाम समाजवादी पार्टी के नेता और अपने सहयोगियों को इस जातीय गोलबंदी में लगाया है।

अखिलेश यादव (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दलितों को साधने की रणनीति

समाजवादी पार्टी का इस बार फोकस दलितों (Dalit Voters) पर भी है। वह मायावती के वोट बैंक (Mayawati Vote Bank) में सेंधमारी कर अपने को मजबूत करने में जुटी हुई है। इसके लिए समाजवादी बाबा साहब वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर चौधरी (Chandrashekhar Choudhary) के नेतृत्व में निकलने वाली इस यात्रा में डॉक्टर अंबेडकर के विचार से संबंधित प्रचार सामग्री भी बांटी जा रही है। 22 जनवरी से शुरू हुई प्रयागराज से यह यात्रा 3 दिन जिले में घूमी और इसके बाद बुंदेलखंड के लिए रवाना हुई है। बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट,महोबा,ललितपुर,जालौन, कानपुर ग्रामीण होते हुए 27 दिसंबर को यह कानपुर पहुंचेगी और यहां दूसरे चरण की यात्रा शुरू की जाएगी।

अखिलेश यादव एक तरफ जहां समाजवादी विजय यात्रा (Samajwadi Vijay Yatra) निकालकर भारी जनसमूह जुटा रहे हैं वहीं इन छोटी-छोटी जातीय समीकरण बैठाकर उनसे जुड़े समुदाय का वोट हासिल कर एक मजबूत जनाधार तैयार कर रहे हैं और इसका फायदा उन्हें आने वाले दिनों में भी हो सकता है। क्योंकि यूपी में छोटी छोटी पार्टियां और छोटी छोटी जातियों का एक बड़ा समूह है अगर यह एक साथ लाने में अखिलेश कामयाब हो गए तो यूपी में उनका जलवा एक बार फिर से दिखाई देगा।

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Shreya

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