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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में आसान नहीं है समाजवादी पार्टी के लिए सीटों का बंटवारा

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में 2022 की सत्ता में काबिज होने के लिए सपा ने अपने साथियों का कुनबा तो बढ़ा लिया। लेकिन, अब उसे टिकट वितरण को लेकर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Chitra Singh
Published on: 8 Dec 2021 2:28 PM IST
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में आसान नहीं है समाजवादी पार्टी के लिए सीटों का बंटवारा
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में करीब आधा दर्जन छोटे-बड़े दलों से तालमेल करके चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए सीटों का बंटवारा बड़ा सिरदर्द बन रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों खासकर जाटों में खासा जनाधार रखने वाली राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal),पूर्वी उत्तर प्रदेश और राजभर समाज में धमक रखने वाली ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की पार्टी सुभासपा (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के अलावा महानदल (mahan dal party), जनवादी सोशलिस्ट पार्टी (janwadi socialist party) और कृष्णा पटेल के अपना दल (Apna Dal) के साथ गठबंधन हो गया है। लेकिन किसको कितनी सीटें मिलनी है। अभी तक इसका खुलासा नहीं हो सका है।

राष्ट्रीय लोकदल के साथ सपा के गठबंधन की बात करें तो कल मेरठ के दबथुवा में हुई 'परिवर्तन रैली' (Parivartan Rally) में औपचारिक घोषणा कर दी गई। पहले कहा जा रहा था कि इस रैली में दोंनो दलों के बीच सीटों के बंटवारे की भी घोषणा कर दी जाएगी,लेकिन अखिलेश-जयंत (akhilesh yadav jayant chaudhary) ने पत्ते नहीं खोले। हालांकि रैली में मौजूद सपा और रालोद (SP-RLD) कार्यकर्ताओं के साथ ही मीडिया भी सीटों की घोषणा सुनने को लेकर बैचेन था।

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 2022 (Uttar Pradesh Election 2022) की सत्ता में काबिज होने के लिए सपा ने अपने साथियों का कुनबा तो बढ़ा लिया। लेकिन, अब उसे टिकट वितरण को लेकर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सपा के लिए साथी दलों की ‌सीटों की मांग तो चुनौती बनी ही है अपने लोगों को मनाए रखना भी उसके लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नही है, क्योंकि गठबंधन में शामिल दल कई ऐसी सीटें भी मांगने पर अड़े हैं जिनपर पहले से ही सपा कार्यकर्ता तैयारी कर रहे हैं। जाहिर है कि गठबंधन के चलते अगर ऐसी सीटों को साथी दलों को दे दिया जाता है तो संबंधित सीट पर पहले से ही तैयारी कर रहे सपा कार्यकर्ता बागी हो जाएंगे। अगर किसी वजह से बागी ना भी हुए तो भीतरघात की तो आशंका बनी ही रहेगी।

अखिलेश यादव (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

जैसा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बहुल सीटों पर रालोद का दावा मजबूत बताया जा रहा है, जबकि 2007 के चुनावों में पश्चिम में सपा को बड़ी संख्या में सीटें जीत में मिली थी। सूत्रों के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 136 सीटों में सौ से अधिक ऐसी सीटें हैं जिनपर सपा कार्यकर्ता (samajwadi party seats in up) पहले से तैयारी कर रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सीट बंटवारे में मुश्किल इसलिए भी हो रही हैं क्योंकि अखिलेश यादव की अपने चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) से भी गठबंधन की बात चल रही है।

शिवपाल यादव भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कम से कम दस सीटें लेने पर अड़े हैं। इनमें एक सीट मेरठ की सिवालखास सीट है जहां से उनकी पार्टी की युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी पिछले एक साल से भी अधिक समय से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। अमित जानी के टिकट की घोषणा खुद शिवपाल सिंह यादव मेरठ की एक जनसभा में पहले ही कर चुके हैं।

जहां तक रालोद की बात है तो पार्टी सूत्रों के अनुसार रालोद ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 40 सीटों (RLD seats in up 2022) पर दावा ठोका है। हालांकि अभी तक सपा-रालोद खेमे से जो जानकारी छनकर आ रही हैं उसके अनुसार सपा की रालोद के साथ 36 सीटों पर सहमति बनी है और इसमें एक दो सीटें कम ज़्यादा हो सकती हैं। इनमे से अधिकांश सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी रालोद को एक-दो सीटें मिल सकती है। कुछ सीटों पर सिंबल मेरा, कैंडिडेट तुम्हारा की बात भी चल रही है। कल मेरठ आये जयन्त से जब सीटों के बंटवारे के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने मुस्कारते हुए केवल इतना ही कहा कि गठबंधन बड़े मन के साथ किया जाता है, जिसमें सीटों से ज्यादा महत्व समन्वय का है।

अखिलेश-जयंत (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

सपा के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर मुश्किल यह भी है कि अगर वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को उसकी मांगी गई सीटें देते हैं तो गठबंधन में शामिल बाकी साथियों का भी उनपर अधिक सीटें देने का दबाव बनेगा। जैसा कि ओमप्रकाश राजभर ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे 25 सीटों से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं। ओमप्रकाश राजभर का तर्क है कि उनकी पार्टी (subhaspa party) के चार विधायक भी हैं। उन्हें रालोद से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए जिसकी वर्तमान में एक भी सीट नहीं है। अगर ममता की तृणमूल पार्टी (TMC) के साथ तालमेल होता है तो तृणमूल के लिए भी चार-पांच सीटें छोड़नी पड़ेंगी।

वैसे समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता की मानें तो सीटों के बंटवारे का एलान समय देख कर और स्ट्रैटेजी के साथ होगा। अगर अभी से एलान कर देंगे तो फिर भाजपा उस हिसाब से अपनी रणनीति तैयार करने लगेगी।



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Chitra Singh

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