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UP Election 2022: भाजपा के लिए दूसरा चरण सबसे चुनौतीपूर्ण, मुस्लिम बेल्ट में मतों के बंटवारे और ध्रुवीकरण पर टिकी उम्मीद

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए 55 सीटों वाला दूसरा चरण सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 13 Feb 2022 9:47 AM IST
UP Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए 55 सीटों वाला दूसरा चरण सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। नौ जिलों में फैली इन 55 सीटों पर 586 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं और दूसरे चरण की इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता बड़ी भूमिका निभाएंगे। 2017 के चुनाव में इनमें से 38 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी मगर इस बार सपा-रालोद गठबंधन के साथ ही बसपा और कांग्रेस ने भाजपा की तगड़ी घेराबंदी कर रखी है।भाजपा को दूसरे चरण में ही मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा करंट लगने की आशंका जताई जा रही है।

इन 55 सीटों में से 40 सीटें तो ऐसी हैं जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 से 55 फ़ीसदी तक है। दूसरे चरण में भाजपा की उम्मीदें मुस्लिम मतों के बिखराव और ध्रुवीकरण पर टिकी हुई हैं। बसपा मुखिया मायावती ने दूसरे चरण में 30 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं जबकि कांग्रेस ने भी डेढ़ दर्जन सीटों पर मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया है। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को भी सबसे ज्यादा उम्मीद इसी चरण से हैं। ऐसे में यदि मुस्लिम मतों का भी खराब हुआ तो भाजपा निश्चित रूप से पिछले चरण की तरह फायदा उठा सकती है।

पिछले चुनाव में भाजपा को मिली थीं 38 सीटें

पहले चरण में जाट लैंड की लड़ाई के बाद अब दूसरे चरण में भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रूहेलखंड के मुस्लिम बेल्ट में कड़ी परीक्षा देनी है। सोमवार को 55 सीटों के लिए होने वाले मतदान से सपा-रालोद गठबंधन को भी काफी उम्मीदें हैं।

हालांकि 2017 के चुनाव में भाजपा ने इस मुस्लिम बेल्ट में भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 38 सीटों पर कब्जा कर लिया था। 2017 में भाजपा ने ध्रुवीकरण का फायदा उठाया था। इससे पहले 2012 के चुनाव में पार्टी को इस बेल्ट में करारा झटका लगा था और वह सिर्फ 8 सीटें जीतने में ही कामयाब हो सकी थी।

2017 में समाजवादी पार्टी दूसरे चरण की 15 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। इन 15 सीटों में से 10 पर मुस्लिम प्रत्याशियों को जीत मिली थी। कांग्रेस को भी 2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बसपा और रालोद का दूसरे चरण की सीटों पर सूपड़ा साफ हो गया था।

अनायास नहीं था पीएम मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 फरवरी को सहारनपुर की जनसभा में अपने संबोधन के दौरान मुस्लिम महिलाओं के हक की बात प्रभावशाली ढंग से रखी। 40 मिनट के संबोधन के दौरान करीब पांच मिनट तक प्रधानमंत्री मुस्लिम बहन-बेटियों की ही चर्चा करते रहे। उन्होंने तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाने के कदम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की बदौलत ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के उत्पीड़न से मुक्ति मिली है और इसी कारण तमाम मुस्लिम महिलाओं का भाजपा को समर्थन भी मिला है।

प्रधानमंत्री ने मुस्लिम महिलाओं के हक की बात अनायास ही नहीं की थी। उन्हें पता है कि दूसरे चरण के मतदान में मुस्लिमों का वोट बड़ी भूमिका निभाएगा और इसी कारण प्रधानमंत्री मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा हुआ मुद्दा छेड़ा था। प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में हिजाबी विवाद शुरू होने के बाद में एक बार फिर मुस्लिम महिलाओं का भरोसा जीतने की कोशिश की

भाजपा के लिए क्या है चुनौती

दूसरे चरण में मुस्लिम मतदाता कितनी बड़ी भूमिका निभाएंगे इससे विभिन्न जिलों के विश्लेषण से भी समझा जा सकता है। दूसरे चरण में सहारनपुर, रामपुर,मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बिजनौर,बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर में मतदान होना है। इन सभी जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और बरेलवी और देवबंदी मुस्लिम धर्म गुरुओं का भी काफी असर दिखता है।

इन जिलों में मुरादाबाद और रामपुर में 50 फ़ीसदी से ज्यादा, बिजनौर में 43 फ़ीसदी से ज्यादा, अमरोहा में 40 फ़ीसदी से ज्यादा, बरेली में 34 व संभल में 32 फ़ीसदी से ज्यादा और बदायूं में 30 फ़ीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। मुस्लिमों के साथ ही जाट मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है। कुर्मी, लोध, सैनी, मौर्य और दलित मतदाता भी बड़ी भूमिका निभाएंगे।

सपा और रालोद गठबंधन ने मुस्लिम और जाट मतदाताओं के बीच अच्छी पैठ बना रखी है। इस इलाके में गन्ना के बकाया भुगतान में देरी और फसल की खरीद न होने के कारण किसान भी नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे में दूसरा चरण भाजपा के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन गया है।

77 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में

दूसरे चरण की 55 सीटों पर 4 राजनीतिक दलों ने 77 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। बसपा ने सबसे ज्यादा 23 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा-रालोद गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कांग्रेस ने 21 और ओवैसी की पार्टी ने 15 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि इतने ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने के बाद मुस्लिम मतों का बिखराव किस हद तक होता है।

यदि मुस्लिम बातों में बंटवारा हुआ तो भाजपा इसका फायदा उठा सकती है। भाजपा 2012 के चुनाव में दूसरे चरण की सीटों पर झटका खा चुकी है जब उसे सिर्फ 8 सीटों पर कामयाबी मिली थी मगर 2017 में पार्टी ने 38 सीटें जीत ली थीं। दूसरे चरण में भाजपा की नजर मुस्लिम मतों के बंटवारे और ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है।

2019 के चुनाव में दिखा था असर

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा गठबंधन इस इलाके में कमाल दिखाया था। 11 में से 7 संसदीय सीटों पर इस गठबंधन को जीत हासिल हुई थी। बसपा ने सहारनपुर, बिजनौर, नगीना और अमरोहा लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया था जबकि मुरादाबाद, संभल और रामपुर में सपा ने जीत हासिल की थी। उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों में भले ही इस गठबंधन को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली थी मगर इस इलाके में मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ ने कमाल दिखाया था जिसका गठबंधन को जबर्दस्त फायदा मिला था।

मुरादाबाद में सपा ने दिखाई थी ताकत

दूसरे चरण में मुरादाबाद और रामपुर जिलों में मुस्लिम आबादी 50 फ़ीसदी से ज्यादा है। मुरादाबाद जिले की 6 में से 4 सीटों पर पिछले चुनाव में सपा को जीत हासिल हुई थी। जिले में 40 से 55 फ़ीसदी तक मुस्लिम मतदाता है। 2017 में भाजपा की लहर के बावजूद सपा की कामयाबी के पीछे मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन ही बड़ा कारण माना गया था।

सपा ने मुरादाबाद में सभी मुस्लिम चेहरों पर ही दांव खेला है जबकि बसपा और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा की ओर से सभी सीटों पर उतारे गए हिंदू प्रत्याशी मुस्लिम मतों में बिखराव का फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

रामपुर पर टिकी है सबकी नजर

रामपुर की 5 सीटों पर 30 से 50 फ़ीसदी तक मुस्लिम मतदाता प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। सपा सांसद आजम खान के दबदबे वाले इस जिले में रामपुर सीट पर खुद आजम खान ने उतरे हैं जबकि स्वार सीट पर सपा ने उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम को चुनाव मैदान में उतारा है। 2017 में सपा जिले की 3 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि 2 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। इस जिले की स्वार सीट पर भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ने मुस्लिम चेहरे हैदर अली पर दांव लगाया है जबकि अन्य सभी सीटों पर भाजपा के हिंदू प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं। सपा ने 3 सीटों पर मुस्लिम और 2 सीटों पर हिंदू प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं।

दूसरे चरण के अन्य जिलों का हाल

संभल की 4 में से 3 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या 60 फ़ीसदी से ज्यादा है जबकि बरेली में 9 में से 5 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 से 40 फ़ीसदी तक है। अमरोहा में भी 4 में से 3 सीटों पर मुस्लिम आबादी 30 से 40 फ़ीसदी तक है। बदायूं में 6 में से 4 सीटों पर मुस्लिम मतदाता 30 से 45 फ़ीसदी तक हैं। सहारनपुर की भी स्थिति अलग नहीं है और यहां की 7 में से 5 सीटों पर 30 से 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे।

शाहजहांपुर में 6 में से 3 सीटों पर 17 से 25 फ़ीसदी तक मुस्लिम मतदाता किसी भी प्रत्याशी की जीत या हार में बड़ी भूमिका निभाएंगे। दूसरे चरण की सीटों पर काफी संख्या में मुस्लिम मतदाता प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से अब सबकी नजर मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर टिकी है। दूसरा चरण सपा-रालोद गठबंधन और भाजपा दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। अब यह देखने वाली बात होगी कि कौन इस चरण में कमाल दिखाने में कामयाब होता है।

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