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Sonbhadra News: बुलेट पर इवीएम बटन भारी, जहां कभी थी गोलियों की तड़तड़ाहट, बूथों पर लगी लंबी कतारें

Sonbhadra News: सोनभद्र जनपद में जिन जगहों पर कभी गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई देती थी वहां के बूथों पर सुबह से लगी कतार लोकतंत्र के उत्सव का उत्साह बयां करती रही।

Kaushlendra Pandey
Published on: 7 March 2022 5:12 PM IST (Updated on: 7 March 2022 5:45 PM IST)
UP Election 2022: EVM button heavy on the bullet, where ever there was a flurry of bullets, long queues at the booths
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 सोनभद्र: सातवें चरण का विधानसभा चुनाव: Photo - Social Media

Sonbhadra News: सोनभद्र, बिहार-झारखंड सीमा (Bihar-Jharkhand border) से सटे नक्सल प्रभावित (naxal affected area) इलाकों में 2022 का विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) इस बार कई मायने में खास रहा। सीमा क्षेत्र से सीआरपीएफ पोस्ट हटाए जाने के बाद पहली बार हो रही वोटिंग में, जहां हर तरह शांति और सुकून की बयार दिखी वहीं बूथों पर सुबह से लगी कतार लोकतंत्र के उत्सव का उत्साह बयां करती रही।

जिन जगहों पर कभी गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई देती थी। नक्सलियों ओर जवानों के बूटों की थाप दिन के उजाले में भी घरों में कैद रहने के लिए विवश कर देती है। वहां के मतदाताओं में वोटिंग को लेकर दिखता उमंग लोकतंत्र की मजबूती का संदेश देता नजर आया।

विकास की बही बयार

बिहार और झारखंड सीमा से सटे इलाकों में 1996 से लेकर 2012 तक चरम पर रही नक्सल गतिविधियों ने जंगल और पहाड़ी क्षेत्र का जनजीवन थाम कर रख दिया था। इस एरिया में नक्सलियों की की तरफ से रखी जाने वाली अपील मायने रखने लगी थी। वर्ष 2006 में नक्सलियों की तरफ से नगवां अंचल में ट्रेनिंग कैंप तक स्थापित कर लिया गया लेकिन यूपी-बिहार दोनों राज्यों की पुलिस के बेहतर समन्वय और पैरा मिलिट्री फोर्स के मिले साथ और विकास की बही बयार ने इस इलाके में एक बार फिर से सुकून का साम्राज्य कर दिया।


2017 के विधानसभा चुनाव तक छिटपुट नक्सलियों की आवाजाही की भी सूचना मिलती रही लेकिन उसके बाद से नक्सली मूवमेंट पर लगी प्रभावी लगाम ने, इस इलाके से नक्सली खौफ का करीब-करीब खात्मा कर दिया।

इसी का परिणाम था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में यह इलाका नक्सली खौफ से पूरी तरह आजाद नजर आया। हालत यह थी कि सुबह 10 बजते-बजते चतरा और नगवां ब्लाक के पहाड़ी इलाकों में कई बूथों पर वोटिंग प्रतिशत तीस प्रतिशत पार कर गया। दोपहर एक बजते-बजते मतदान प्रतिशत 60 प्रतिशत तक पहुंच गया।


नक्सल क्षेत्र में जबरदस्त वोटिंग

हालांकि मैदानी इलाकों में वोटिंग की धीमी गति 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह अच्छी वोटिंग को लेकर संशय की स्थिति बनाए रही। बावजूद चरणवार सामने आते वोटिंग के आंकड़ों में पूर्व के चुनावों में टाप पर रहने वाले घोरावल विधानसभा में कम वोटिंग और यूपी में सबसे ज्यादा नक्सल गतिविधि प्रभावित रहे राबटर्सगंज विधानसभा क्षेत्र में सुबह से ही जिले में सबसे अधिक वोटिंग का आंकड़ा नक्सल क्षेत्र में जबरदस्त वोटिंग की कहानी बयां करता रहा।


न्यूजट्रैक की पड़ताल

न्यूजट्रैक की पड़ताल में बिहार की सीमा और नगवां ब्लाक के दुर्गम इलाकों में स्थान रखने वाले सुअरसोत, कजरिया, बांकी, सोमा, चरगड़ा, महुली, पनौरा आदि गांवों के बूथों पर जहां सुबह से वोटरों की कतार लगे होने की जानकारी मिली। वहीं बिहार बार्डर से चंद किमी की दूरी पर स्थित बांकी गांव, जिसे कभी हार्डकोर नक्सलियों का गांव कहा जाता है, वहां सुबह से लगी वोटरों की कतार, वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को भी चैंकाने के साथ ही आनंदित करने वाली रही।


पहाड़ी और सीमा क्षेत्र के बूथों पर सबसे खास चीज जो नजर आई, वह थी महिलाओं में वोटिंग के प्रति दिखता उत्साह। कई बूथ ऐसे मिले, जहां पुरूषों के मुकाबले, महिलाओं की कतार ज्यादा लंबी लगी मिली।

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Shashi kant gautam

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