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UP Election 2022: इस विधानसभा सीट पर पिता-पुत्र एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकने को तैयार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में आजमगढ़ के फूलपुर पवई विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रमाकांत यादव अपने ही बेटे अरुणकांत यादव के खिलाफ चुनाव में उतरे हैं। बता दें अरुण कांत इस बार बीजेपी के प्रत्याशी हैं।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Shreedhar Agnihotri
Published on: 29 Jan 2022 11:21 AM GMT
UP Election 2022: इस विधानसभा सीट पर पिता-पुत्र एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकने को तैयार
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BJP-SP

लखनऊ। यूपी चुनाव में एक सीट ऐसी भी है जहां एक नेता अपने ही बेटे के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे हैं। यह कोई और नहीं बल्कि पूर्वांचल की राजनीति में पिछले तीन दशकों अधिक बाहुबली छवि रखने वाले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रत्याशी रमाकांत यादव (Ramakant Yadav) हैं जो अपने बेटे और भाजपा (BJP) विधायक अरूणकांत यादव (Arunakant Yadav) के खिलाफ चुनाव मैदान में सपा की तरफ से उतरे हैं। भाजपा के लिए अब सिटिंग विधायक का टिकट काटकर किसी अन्य को देने की बडी चुनौती है।

आजमगढ की फूलपुर पवई विधानसभा सीट (Phoolpur Pawai Assembly seat) से अरुण कांत दो बार से विधायक हैं लेकिन समाजवादी पार्टी ने उनके पिता रमाकांत यादव को उतारकर मतदाताओं के लिए संकट की स्थिति पैदा कर दी है। फूलपुर पवई सीट से श्याम बहादुर यादव (Shyam Bahadur Yadav) पिछला चुनाव पूर्व सांसद रमाकांत यादव के पुत्र अरुणकांत यादव से हार गए थे। अबकी बार पार्टी ने इस सीट से रमाकांत यादव को ही प्रत्याशी बना दिया है।

अस्सी के दौर में इस सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव (Ramnaresh Yadav) भी चुनाव लड चुके हैं लेकिन इसके बाद रमाकांत यादव यहां से कभी सपा तो कभी बसपा से चुनाव लडते आए हैं। उन्होंने 1985 में कांग्रेस, 1989 बसपा,1991 जनता दल,1993 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। अपने राजनीतिक जीवन में रमाकांत यादव को कभी हार तो कभी जीत मिलती रही है। वह पूर्व में भाजपा से भी विधायक और सांसद बन चुके हैं।

बाहुबली रमाकांत यादव फूलपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक और आजमगढ़ संसदीय सीट (Azamgarh parliamentary seat) से चार बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2019 में भाजपा से टिकट न मिलने पर रमाकांत यादव ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद वह भदोही से लोकसभा चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें मात्र 26 हजार वोट मिला था। तब से रमाकांत यादव राजनीति के क्षेत्र में वह लगातार हाशिए पर दिख रहे हैं।

2007 के विधानसभा चुनाव में रमाकांत यादव के पुत्र अरुण यादव पहली बार विधायक बने। उन्होंने रामनरेश यादव को हराने का काम किया। यह संयोग ही है कि 2012 के चुनाव में रामनरेश यादव के पुत्र अजय नरेश कांग्रेस के टिकट पर और रमाकांत यादव के भतीजे वीरेंद्र यादव की लड़ाई में सपा के श्याम बहादुर यादव ने बाजी मारी और विधायक बने। इसके बाद फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में रमाकांत यादव के पुत्र अरुण कांत यादव भाजपा के टिकट पर सपा के श्याम बहादुर यादव को हराकर विधायक बने। इस समय भी यह सीट रमाकांत यादव के परिवार में ही है।

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