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UP Election 2022: इस बार किसका होगा 'जाटलैंड', 6-7 दिसंबर को अमित शाह, अखिलेश- जयंत का महामिशन
UP Election 2022: देश के सबसे बड़े सूबे में जंग का जो ट्रेलर शुरू हुआ है, उसकी पूरी पिक्चर बाकी है। वार और पलटवार के रूप में शुरू हो चुका है सबसे बड़ा मुकाबला इस बार जाटलैंड में काफ़ी दिलचस्प होने जा रहा है।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के चुनाव (UP Election) में भले ही अभी 3 महीने का वक्त बचा हो, लेकिन सियासी घमासान शुरू हो चुका है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बीजेपी से मुकाबले के लिए चुनावी मैदान में पूरी तरह से उतर चुके हैं। वह जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के सहारे पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ मजबूत करने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (bharatiya janata party) के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भी पश्चिम में हुंकार भरने की पूरी तैयारी कर ली है। ऐसे में इस बार जाटलैंड में कड़ा मुकाबला होगा।
देश के सबसे बड़े सूबे में जंग का जो ट्रेलर शुरू हुआ है, उसकी पूरी पिक्चर बाकी है। वार और पलटवार के रूप में शुरू हो चुका है सबसे बड़ा मुकाबला इस बार जाटलैंड में काफ़ी दिलचस्प होने जा रहा है। पश्चिमी यूपी में इस बार घनघोर घमासान होने की उम्मीद है। बीजेपी की ओर से पश्चिम की कमान खुद अमित शाह (Amit Shah) ने संभाली है। जबकि अखिलेश यादव जयंत के सहारे साइकिल पर सवार होकर फिर से पांच कालिदास मार्ग पहुंचने को बेकरार दिखाई दे रहे हैं। अखिलेश को मालूम है कि किसानों की नाराजगी के बीच जयंत का साथ उन्हें जाटलैंड (jatland mein Akhilesh Yadav aur Amit Shah ki rally) में काफी फायदा पहुंचा सकता है। इसलिए वह जयंत के सहारे अब एक बार फिर से पश्चिम में सपा की साइकिल (sp party up election 2022) की रफ्तार तेज करने में जुटे हैं। इससे जहां जयंत को भी अपनी खोई जमीन वापस मिलने की उम्मीद है, वहीं अखिलेश को 5 कालिदास मार्ग का रास्ता तय होता नजर आ रहा है।
'जाटलैंड' में अखिलेश अमित शाह की रैली
पश्चिम यूपी में 6 या 7 दिसंबर को अमित शाह सहारनपुर में पहली रैली (Amit Shah Saharanpur Rally) कर चुनाव का शँखनाद करने जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अखिलेश और जयंत मेरठ में 7 दिसंबर को महागठबंधन की पहली रैली (Akhilesh Yadav Jayant chaudhary meerut mahagathbandhan rally) में अपनी ताकत का एहसास कराएंगे। जो 2022 के लिए एक बड़ा संदेश लेकर वहां पहुंचेंगे।
पश्चिमी यूपी का समीकरण
पश्चिमी यूपी में करीब 18 से 20 प्रतिशत जाटों की संख्या है।
यहां 49 विधानसभा की सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है।
करीब दो दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम और जाट की संख्या मिलाकर 50 प्रतिशत से ज्यादा हो जाती है। अगर यह मिल गए तो खेल किसी का भी बिगाड़ सकते हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तगड़ी रणजीत से जाट और मुस्लिम गठजोड़ की गांठ टूट गई थी। बीजेपी को जबरदस्त जीत हासिल हुई। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस चौधरी जाटों के सरदार चौधरी अजीत सिंह का पत्ता पूरी तरह से साफ हो गया था। लेकिन इस बार अखिलेश किसान, जाट और मुस्लिम गठजोड़ बनाकर एक कर बीजेपी को परास्त करने की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर लिए हैं।
अखिलेश यादव ने हाल ही में अपनी रैलियों में यह संदेश दे दिया है कि 2022 में वह क्या संदेश लेकर जनता के बीच जाएंगे। एक तरफ जहां किसानों के मुद्दे को उठाकर उनका वोट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं बेरोजगारी पर सरकार को घेरकर नौजवानों को भी रिझाने का भरसक प्रयास में लगे हैं। महिला अपराध के सहारे महिलाओं को भी
साध कर एक बड़ा समीकरण तैयार कर रहे हैं।
यूपी की 403 विधानसभा सीटों में 136 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आती है। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 103 समाजवादी पार्टी ने 27 और अन्य दल 6 सीट जीत सके थे। 2012 की बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा था। जबकि चौधरी अजीत सिंह की चौधराहट चलती थी। 2012 में एसपी को 58, बसपा को 39, बीजेपी को 20, आरएलडी को 9 और कांग्रेस को 8 सीटें हासिल हुई थी। लेकिन 2014 में अमित शाह के यूपी प्रभारी बनने के बाद वह हुआ जो शायद यूपी के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। बीजेपी 71 लोकसभा की सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। उसके बाद 2017 और 2019 का भी चुनाव अमित शाह के नेतृत्व में लड़ा गया और बीजेपी का कमल खिला। इस तरह अब 2022 में एक बार फिर से अमित शाह को जाटलैंड की कमान जब सौंपी गई है तो एक बड़ा संदेश लेकर वह आने वाले हैं।
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