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UP Election 2022: नूरपुर सीट पर दो बार लगातार खिला था कमल, फिर उपचुनाव में दौड़ी साइकिल, इस बार दिलचस्प मुकाबला

UP Election 2022: यूपी के बिजनौर जिले के अंतर्गत आने वाली नूरपुर विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 14 फरवरी को मतदान होना है। मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही सभी प्रत्याशियों ने पूरा जोर लगा रखा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 11 Feb 2022 9:09 AM IST
UP Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के अंतर्गत आने वाली नूरपुर विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 14 फरवरी को मतदान होना है। मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही सभी प्रत्याशियों ने पूरा जोर लगा रखा है। इस सीट पर 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज करते हुए कमल खिलाया था मगर उपचुनाव में यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई थी।

दरअसल 2017 में जीत हासिल करने वाले भाजपा विधायक लोकेंद्र सिंह का एक सड़क हादसे में निधन हो गया था और उसके बाद हुए उपचुनाव में सपा के नईम उल हसन ने बाजी मार ली थी। इस बार के चुनाव में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि भाजपा उपचुनाव में मिली हार का बदला चुकाने में कामयाब होती है या नहीं। वैसे बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर एक बार फिर सपा का खेल बिगाड़ने की आशंका पैदा कर दी है।

2012 और 2017 में खिला था कमल

नूरपुर विधानसभा सीट 1964 में अस्तित्व में आई थी और पहली बार इस सीट पर 1967 में विधानसभा चुनाव कराया गया था मगर 1976 में सीट का अस्तित्व खत्म कर दिया गया था। इसके बाद 2008 के परिसीमन के बाद नूरपुर विधानसभा सीट फिर अस्तित्व में आई। दोबारा अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव कराए गए थे।

2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर लोकेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद उस्मान से उनका कड़ा मुकाबला हुआ था। इस चुनाव में लोकेंद्र सिंह ने 5473 मतों से बाजी मार ली थी।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर लोकेंद्र सिंह पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा था। उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नईम उल हसन से हुआ था जिन्हें उन्होंने 12,736 मतों से मात दी थी।

उपचुनाव में सपा ने मारी बाजी

2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में नूरपुर सीट पर भाजपा की जीत का बड़ा कारण सपा और बसपा दोनों दलों की ओर से मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देना था। सपा और बसपा दोनों दलों दोनों की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने से मुस्लिम मतों का जमकर बंटवारा हुआ जिसका फायदा भाजपा प्रत्याशी लोकेंद्र सिंह को मिला था। भाजपा विधायक लोकेंद्र सिंह के सड़क हादसे में निधन के बाद 2018 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था।

इस उपचुनाव में भाजपा ने लोकेंद्र सिंह की पत्नी अवनी सिंह को टिकट दिया था जबकि सपा ने अपने पुराने चेहरे और नईम उल हसन पर ही भरोसा जताया था। सपा प्रत्याशी नईम उल हसन ने उपचुनाव में जीत हासिल करते हुए 2017 में भाजपा के हाथों मिली हार का बदला ले लिया था। अवनी सिंह को लोकेंद्र से भी दस हजार अधिक यानी 89,000 मत मिले थे मगर बसपा प्रत्याशी के चुनाव मैदान में न होने का लाभ सपा को मिला और नईम ने करीब पांच हजार मतों से जीत हासिल कर ली थी।

नूरपुर विधानसभा सीट (फोटो- सोशल मीडिया)

नूरपुर का जातीय समीकरण

यदि नूरपुर सीट के जातीय समीकरण को देखा जाए तो यह सीट मुस्लिम बहुल है। इसी कारण सपा इस सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ती रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख है। मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही चौहान, सैनी और दलित मतदाता भी चुनाव को प्रभावित करने की स्थिति में है। यादव और जाट मतदाता भी प्रत्याशियों की जीत और हार में प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं। मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही सभी प्रत्याशी जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

फिर फायदा उठाने की फिराक में भाजपा

इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सीपी सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। सपा ने चेहरा बदलते हुए राम अवतार सैनी को टिकट दिया है जबकि बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार जियाउद्दीन अंसारी पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने बाला देवी सैनी को टिकट दिया है। बसपा की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने के कारण इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।

सपा को मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पहले से ही मिलता रहा है मगर यदि इस बार भी सपा और बसपा के बीच मुस्लिम मतों का बंटवारा हुआ तो भाजपा इस बंटवारे का फायदा उठा सकती है। मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही सभी उम्मीदवार समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं।



Vidushi Mishra

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