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आजमगढ़: चुनाव में जीत के लिए भाजपा ने की जबरदस्त घेराबंदी, सपा के गढ़ में जमीनी नेताओं को दिया टिकट
पूर्वांचल में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए समाजवादी पार्टी के गढ़, आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 में जमीनी नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है।
आजमगढ़। विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा ने जबरदस्त घेराबन्दी कर दी है। इन स्थितियों के बीच यह माना जा रहा है कि इस जिले की कई सीटों पर भाजपा की राह आसान नहीं होगी। यह भी माना जा रहा है कि भाजपा (BJP) की घेराबन्दी के कारण सपा (SP) की कई सीटें उसके हाथ से निकल सकती है। इसके साथ ही इस चुनाव में बसपा को भी भारी नुकसान का सामना कर पड़ सकता है। आजमगढ़ जिले में अभी तक भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण यही रहता था कि वह हर चुनाव में अपना प्रत्याशी बदल देती थी। पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों ने इस बार इस बात पर खास ध्यान दिया।
पिछले विधानसभा चुनाव में अमूमन सभी सीटों पर भाजपा की ओर से नये चेहरों को उम्मीदवारी दी गयी थी। एकमात्र फूलपुर-पवई सीट पर भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने वहां के सीटिंग विधायक को मैदान में उतारा था। इसी का परिणाम रहा कि पिछले चुनाव में भाजपा एकमात्र फूलपुर-पवई सीट (Phulpur-Powai assembly seat) पर ही जीत दर्ज कर सकी थी और यहां से भाजपा के सिम्बल पर बाहुबली पूर्व सांसद रमाकान्त यादव (Ramakant Yadav) के बेटे अरूणकान्त यादव चुनाव जीते थे। इसके अलावा अन्य सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को काफी कम मतों से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा के आत्ममंथन में यही निष्कर्ष सामने आया कि जो प्रत्याशी पांच साल तक जनता के बीच होता है और उसके सुख-दुख में शामिल होता है, निश्चित तौर पर उसको उसका फायदा मिलता है। यह काम न करने के कारण ही भाजपा को कई सीटों पर पांच हजार से कम मतों से हार का सामना करना पड़ा। यही वजह रही कि पार्टी के रणनीतिकारों से सलाह-मशविरे के बाद ही पार्टी की ओर से हारे हुए सभी प्रत्याशियों को यह बता दिया गया था कि वह जनता के बीच बने रहें और क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में शरीक होते रहें। अगले चुनाव में उन्हीं लोगों को उम्मीदवारी दी जायेगी।
पार्टी नेतृत्व के फरमान की वजह से पिछला चुनाव हारने वाले भाजपा के सभी प्रत्याशी लगातार अपने क्षेत्र में बने हुए थे और वह जनता के सुख-दुख में शरीक भी हो रहे थे। इसके साथ देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार होने का फायदा भी भाजपा के सभी प्रत्याशियों को मिला। इन प्रत्याशियों ने अपने क्षेत्र की जनता का शासन-सत्ता में वाजिब काम भी कराया। इसका परिणाम यह रहा कि पिछले चुनाव में भाजपा के सिम्बल पर चुनाव लड़े लोगों की क्षेत्र में स्वीकार्यता बढ़ी। भाजपा ने अपने स्तर से गोपनीय सर्वे भी कराया। इस गोपनीय सर्वे के बाद जो रिपोर्ट आयी, भाजपा ने इस चुनाव में उसी आधार पर उम्मीदवारी तय की है। इस चुनाव में भाजपा की ओर से दस विधानसभा क्षेत्रों वाले इस जिले में अभी तक 6 सीटों पर उम्मीदवारी तय की गयी है।
इन 6 सीटों में 3 ऐसे लोग उम्मीदवारी पाये हैं जो लोग पिछला चुनाव लड़ चुके थे। इन तीन लोगों में आजमगढ़ सदर सीट से अखिलेश मिश्र, मेंहनगर सुरक्षित विधानसभा सीट से मंजू सरोज व दीदारगंज विधानसभा सीट (Didarganj Assembly seat) से लोकप्रिय पार्टी नेता कृष्णमुरारी विश्वकर्मा शामिल हैं। यह तीनों लोग पिछला चुनाव काफी कम मतों के अन्तर से हारे थे। प्रत्याशी रिपीट करने का फायदा निश्चित तौर पर इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है। इसके अलावा भाजपा ने इस जिले की तीन अन्य सीटों पर जिन प्रत्याशियों की घोषणा की है, उनमें लालगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद नीलम सोनकर का नाम है। नीलम लालगंज सुरक्षित सीट से भाजपा के सिम्बल पर पहली बार लोकसभा का चुनाव जीती थी। इस वजह से भाजपा ने इस बार उनको विधानसभा के चुनाव में उम्मीदवारी दी है।
इसके साथ ही गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र (Gopalpur Assembly Constituency) से युवा चेहरे को तरजीह देते हुए लोकप्रिय पार्टी नेता सत्येन्द्र राय को उम्मीदवारी दी गयी है। सत्येन्द्र राय इस जिले के बड़े कारोबारी हैं और लम्बे समय से जनसेवा से जुड़े हुए हैं। निश्चित तौर पर उनको टिकट दिये जाने का लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है। इसके साथ ही भाजपा ने निजामाबाद से मनोज यादव को मैदान में उतारा है। मनोज यादव इस इलाके के लोकप्रिय नेता व प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अंगद यादव के पुत्र हैं। अंगद के नाम का लाभ निश्चित तौर पर उनको मिलेगा। सब मिलाकर भाजपा ने इस बार जबरदस्त घेराबंदी की है।