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Kalyan Singh: मुलायम के गढ़ में कल्याण सिंह ने दी थी समाजवादियों को चुनौती, इटावा की जनता उन्हें इस नाम से बुलाती है

Kalyan Singh: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह जी सबसे ताकत व प्रभावशाली मुख्यमंत्री के रूप में आम जनता के बीच अपनी पहचान बना चुके थे।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Divyanshu Rao
Published on: 22 Aug 2021 1:45 AM GMT (Updated on: 22 Aug 2021 2:30 AM GMT)
Kalyan Singh
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कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव की तस्वीर (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Lucknow: ये वाक्या है वर्ष 1997 का,जब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह जी सबसे ताकत व प्रभावशाली मुख्यमंत्री के रूप में आम जनता के बीच अपनी पहचान बना चुके थे। ये वो समय था जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने सूबे की कल्याण सरकार से समर्थन वापस लेकर उनकी सरकार को पटखनी देने की कोशिश की थी। लेकिन कल्याण सिंह ने नरेश अग्रवाल से गठबंधन कर सूबे ने अपने नेतृत्व में भाजपा की सरकार गिरने से बचा लिया था।

उधर उस समय मुलायम सिंह यादव भी उत्तर प्रदेश में लगातार बड़ रहे कल्याण सिंह के सफल मुख्यमंत्री कार्यकाल को लेकर काफी चिंतित रहते थे। उस समय समाजवादी पार्टी से जुड़ा लोहिया वाहिनी संगठन सूबे में आम जनता के बीच बेहद दबंग संगठन के रूप में अपनी पहचान बनाता जा रहा था। समाजवादी लोहिया वाहिनी की मुलायम सिंह के प्रभाव के कारण खास तौर इटावा ,मैनपुरी,एटा व फर्रुखाबाद जनपदों में दबंगई का यह आलम था कि सूबे सरकार जरूर कल्याण सिंह के नेतृत्व की थी लेकिन मुलायम सिंह के गढ़ वाले इन जिलों प्रशासन में दबदबा समाजवादी लोहिया वाहिनी के नेताओं का ही रहता था। इसी दौरान मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की इटावा के पुरबिया टोला स्थित तलैया मैदान में भाजपा ने एक जनसभा आयोजित कर दी।

कल्याण सिंह और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक मंच पर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

लोहिया वाहिनी ने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की जनसभा में उन्हें काले झंडे दिखाने का कार्यक्रम तय कर लिया था

इस जनसभा में तत्कालीन भाजपा सांसद व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धु को भी आना था। जब यह खबर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को हुई तो उनके इशारे पर इटावा की समाजवादी लोहिया वाहिनी ने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को उनकी जनसभा में उन्हें काले झण्डे दिखाने का कार्यक्रम तय कर लिया। जब यह जानकारी इटावा जिला प्रशासन को हुई तब प्रशासन की पैरों तले जमीन खिसक गई। प्रशासन भी समझ रहा था कि लोहिया वाहिनी की दबंगई के समक्ष उन्हें रोक पाना सम्भव नहीं होगा।

मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी अपने ख़ुफ़िया सूत्रों से यह पता लग गया कि इटावा में समाजवादी लोहिया वाहिनी उनका तगड़ा विरोध करने वाली है। तब लोहिया वाहिनी के नेता इस तरह के सरकार विरोधी मवमेंट के समय सिर पर लाल टोपी जरूर पहनते थे। जनसभा वाले दिन तक इटावा प्रशासन ने अपनी फील्डिंग सजा ली थी। कि कम से कम लोहिया वाहिनी के नेता व कार्यकर्ता जनसभा स्थल के आसपास फटक न सकें।

कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव की तस्वीर (फोटो:न्यूड़ट्रैक)

कल्याण सिंह ने भाषण शुरू करते ही बोला लोहिया वाहिनी के लोग काला झंडे दिखाने वाले थे

लिहाजा भाजपा की जनसभा वाला दिन आ गया। जनसभा स्थल पर पहले तत्कालीन भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्दधु पहुंचे बाद में मुख्यमंत्री कल्याण सिंह मंच पर पहुंचे। जैसे ही कल्याण सिंह ने अपना भाषण शुरू किया तो उनके भाषण की पहली लाइन थी, कि आज तो मुझे लोहिया वाहिनी के लोग काला झंडे दिखाने वाले थे। वो अब दिखाई भी नहीं पड़ रहे हैं। इसके बाद कल्याण सिंह ने अपने भाषण की दूसरी लाइन में इटावा प्रशासन को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज इस मंच से इटावा के डीएम एसएसपी समेत उत्तर प्रदेश सभी जिलों के डीएम एसपी सुने लें मेरे यहां से जाने के बाद ये लाल टोपी धारी दबंग सड़को पर नहीं दिखने चाहिए।

कल्याण सिंह ने कहा लाल टोपी की आड़ में गुंडई नहीं चलेगी

कल्याण सिंह ने कहा कि लोहिया की लाल टोपी की आड़ में अब गुंडई व दबंगई की शिकायतें अब मुझे सुनने को न मिले। हमारी सरकार में लाल टोपी धारी गुंडे घर के भीतर रहे या फिर जेल में ये अब सड़कों पर नहीं दिखने चाहिए। कल्याण सिंह अपना यह भाषण देकर जैसे ही लखनऊ के लिये अपने हेलीकॉप्टर से उड़ चले उसके बाद तो लोगों को लाल टोपी के गट्ठर कूड़े के ढेरों पर पड़े दिए थे।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की तस्वीर (फाइल फोटो:न्यूज़ट्रैक)

समाजवादियों की चुनौती को ललकारने वाले इकलौत मुख्यमंत्री कल्याण सिंह

मुलायम सिंह यादव के गढ़ इटावा में समाजवादियों को चुनौती के साथ ललकारने वाले कल्याण सिंह सूबे के इकलौते मुख्यमंत्री थे। अन्यथा इटावा ओरैया मैनपुरी एटा फर्रुखाबाद में मुलायम सिंह व उनके लोगों को इस तरह चुनोतिपूर्ण ढंग से ललकारने की हिम्मत तब किसी नेता में नहीं देखने को मिलती थी। अपने इन्हीं भाषणों के कारण इटावा के लोग उनकी दमदारी को आज भी याद करते हैं।

मुलायम के साथ लोधी वोट बैंक जोड़ने में कल्याण सिंह महत्वपूर्ण रोल अदा किया था

इसके बाद भाजपा से मोहभंग होने के बाद कल्याण सिंह वर्मा की अपने धुर विरोधी मुलायम सिंह यादव से से दोस्ती हो गयी। गत 2009 में कल्याण सिंह मुलायम सिंह यादव की सपा के स्टार चुनावी प्रचारक बन गए। हालांकि कल्याण के मुलायम के साथ आने से सपा से जुड़ा मुस्लिम वोट तो कट गया था। लेकिन इटावा समेत एटा,फर्रुखाबाद ओरैया जैसे कई लोधी बाहुल्य इलाकों का एक बहुत बड़ा लोधी वोट कल्याण सिंह की बजह से मुलायम सिंह यादव से जुड़ गया है। इटावा के लोग कल्याण सिंह वर्मा को दमदार बाबूजी के रूप के हमेशा याद करेंगे। इटावा के लोग कल्याण सिंह वर्मा को बाबूजी के नाम से ही पुकारते थे।

Divyanshu Rao

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