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UP Gangster Act : गैंगस्टर एक्ट का बेलगाम इस्तेमाल! अब 'सुप्रीम' सख़्ती, क्या योगी सरकार करेगी बड़ा बदलाव?

UP Gangster Act : उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां रोकथाम कानून को 1986 में बनाया गया था। इस कानून के तहत दो से 10 साल तक की कैद और न्यूनतम पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

Abhinendra Srivastava
Published on: 13 Dec 2024 8:38 PM IST (Updated on: 13 Dec 2024 8:40 PM IST)
UP Gangster Act, Supreme Court , CM Yogi Adityanath
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सुप्रीम कोर्ट और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Pic - Social Media)

UP Gangster Act : योगी सरकार अब गैंगस्टर एक्ट को प्रदेश में नए तरीके से लागू करने की तैयारी कर रही है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वे इस कानून के लिए नए तरीके से दिशा-निर्देश तैयार कर रहे हैं।

आपराधिक मामलों की होगी समीक्षा

उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां रोकथाम कानून को 1986 में बनाया गया था। इस कानून के तहत दो से 10 साल तक की कैद और न्यूनतम पांच हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन यदि कोई सरकारी कर्मी या उसके परिवार का सदस्य है तो उसके खिलाफ अपराध में कम से कम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है और यदि कोई सरकारी कर्मी किसी गैंगस्टर की मदद करता है तो उसको तीन से 10 साल की जेल की सजा हो सकती है। अब योगी सरकार ने शीर्ष कोर्ट को बताया है कि वे मौजूदा आपराधिक मामलों की समीक्षा करेंगे और यह तय करेंगे कि इस कानून को कब, कहां और कैसे लागू करें।

गैंगस्टर एक्ट का बेलगाम इस्तेमाल

विपक्षी दल अक्सर सरकार पर इस कानून का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते रहते हैं। विपक्ष कहता रहता है कि राजनीतिक प्रतिशोध, विरोधियों को डराने और आम नागरिकों को परेशान करने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि नामजद लोगों पर तो इस कानून का इस्तेमाल हो ही रहा है। साथ ही गैंगस्टर एक्ट लगाकर माफिया भी घोषित किया जा रहा है। यही नहीं, विपक्षी पार्टी के विधायकों और नेताओं के खिलाफ भी इस कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आंकड़े इसके गवाह है। अक्टूबर 2023 में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया था कि जब से वह सरकार में आए हैं, प्रशासन ने 69,332 लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और 887 लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका की कार्यवाही की है। इसके साथ ही उनकी सरकार ने 68 माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की है और उनके पास से 3,650 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति को कब्जे से मुक्त या ध्वस्त करवाया है।

कानून के सख्त प्रावधानों पर कोर्ट ने जताई चिंता

बीते 4 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम बहुत कठोर प्रतीत होता है। दरअसल पीठ ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के मई 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है।

गुरुवार को गोरखनाथ मिश्रा की याचिका के संदर्भ में शीर्ष कोर्ट में सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने गैंगस्टर एक्ट के कुछ प्रावधानों को कठोर बताया और कहा कि इनकी समीक्षा बहुत जरूरी है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस कानून का उपयोग सीमित और उचित तरीके से किया जाए।

दावा: यह कानून संविधान का करता है उल्लंघन

शीर्ष कोर्ट में पेश की गई याचिका में तर्क दिया गया है कि यह गैंगस्टर कानून कई संवैधानिक गारंटियों का उल्लंघन करता है जैसे अनुच्छेद 14 यानी कानून के समक्ष समानता, अनुच्छेद 19 यानी कुछ स्वतंत्रताओं का संरक्षण, अनुच्छेद 21 यानी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार। वहीं, अधिवक्ता अंसार अहमद चौधरी के माध्यम से कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर जोर दिया गया है कि अंधाधुंध संपत्तियों का जब्त होना और पुलिस का न्यायाधीश और जूरी की तरह काम करना, ये सब अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि धारा 3, 12 और 14, ये धाराएं मामलों के पंजीकरण, संपत्ति कुर्की, जांच और परीक्षण को नियंत्रित करती हैं। नियम 16(3), 22, 35, 37(3), और 40 (2021 नियम), नियम 22, विशेष रूप से, अभियुक्त के आपराधिक इतिहास की अनदेखी करते हुए, अधिनियम के तहत एफआईआर को उचित ठहराने के लिए एकल कार्य की अनुमति देता है। याचिका में दावा किया गया है कि पहले से दर्ज अपराध के लिए अधिनियम के तहत दोबारा एफआईआर दर्ज करना संविधान के अनुच्छेद 20(2) का उल्लंघन है, जो दोहरे खतरे से सुरक्षा प्रदान करता है।

अब जनवरी में होगी अगली सुनवाई

योगी सरकार की तरफ़ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने संकेत दिया कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत चल रहे आपराधिक मामलों की समीक्षा और इसके कुछ कठोर प्रावधानों पर चिंताओं के कारण आसन्न है। गोरख नाथ मिश्रा की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने अगली सुनवाई जनवरी 2025 में तय की है। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे नए दिशा-निर्देशों और मौजूदा मामलों की समीक्षा की प्रगति पर चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि योगी सरकार की यह पहल गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में अहम कदम साबित होगा साथ ही न्याय प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में सफलता मिलेगी।



Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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