×

यूपी सरकार मृतक आश्रितों को नौकरी की बजाय दे पैकेज: हाईकोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मृतक कर्मचारी आश्रितों के हित में ऐतिहासिक पहल की है। सरकारी सेवा में समान अवसर व सामाजिक न्याय में सामंजस्य स्थापित करने के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को मृतक आश्रितों को विशेष पैकेज देने का सुझाव दिया है।

Aditya Mishra
Published on: 24 July 2019 4:05 PM GMT
यूपी सरकार मृतक आश्रितों को नौकरी की बजाय दे पैकेज: हाईकोर्ट
X

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मृतक कर्मचारी आश्रितों के हित में ऐतिहासिक पहल की है। सरकारी सेवा में समान अवसर व सामाजिक न्याय में सामंजस्य स्थापित करने के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को मृतक आश्रितों को विशेष पैकेज देने का सुझाव दिया है।

कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रितों की भारी संख्या और पदों की कमी को देखते हुए सरकार ऐसा तरीका अपनाये जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य लोगों की नियुक्त हो और आश्रितों को भी सामाजिक न्याय मिल सके।

ये भी पढ़ें...हसीन जहां की याचिका पर अमरोहा पुलिस ने हाईकोर्ट को दी विवेचना की जानकारी

कोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार आश्रित परिवार को मृत कर्मचारी की सेवा निवृत्ति या अचानक आयी आपत्ति से उबरने के लिए 3 से 5 वर्ष तक कर्मचारी को मिल रहे वेतन का भुगतान करने का कानून बनाये।

ऐसा करने से खुली प्रतियोगिता से नियुक्ति के अवसर बढ़ेंगे और आश्रित को भी सहायता मिल सकेगी। कोर्ट ने पुलिस विभाग में सीधी भर्ती कोटे के 5 फीसदी पदों पर आश्रितों की नियुक्ति के नियम को वैध करार दिया है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा न करने से आश्रितों की संख्या अधिक होने से सीधी भर्ती के अवसर कम होंगे। कोर्ट ने प्रदेश के सभी विभागों के लिए आश्रितों को सामाजिक न्याय के कानून बनाने के लिए आदेश की प्रति मुख्य सचिव को प्रेषित करने का आदेश दिया है।

ये भी पढ़ें...कानून बनने के दो साल बाद भी क्यों नहीं हुआ राज्य जीएसटी का गठन: हाईकोर्ट

प्रभाकर अवस्थी ने याचिका पर की बहस

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने अंकुर गौतम व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी ने बहस की।

इनका कहना था कि नियम 5(1) अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत है, क्योंकि यह केवल 5 फीसदी रिक्तियों पर ही आश्रित की नियुक्ति की अनुमति देता है।

इससे बहुत से आश्रित नियुक्ति नहीं पा सकेंगे। इस नियम के अनुसार सीधी भर्ती के 5 फीसदी रिक्तियों पर आश्रितों की संख्या ज्यादा होने पर टेस्ट से मेरिट पर चयन किया जायेगा।

कोर्ट ने कहा कि सामान्य अवधारणा है कानून सही है, अब जो इसे चुनौती देगा उसे सिद्ध करना होगा कि किस प्रकार यह संविधान के उपबन्धों के विपरीत है। कोर्ट ने कहा आश्रितों की भारी संख्या होने के कारण यदि सभी की नियुक्ति कर दी गयी तो प्रतियोगिता से खुली भर्ती के लिए अवसर नही बचेगा। ऐसे में युक्तिसंगत वर्जना की जा सकती है। नियम 5 में कोई अवैधानिकता नहीं है।

सीधी भर्ती से ही की जानी चाहिए नियुक्तियां

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि नियुक्तियां सीधी भर्ती से ही की जानी चाहिए, आश्रित की अनुकम्पा नियुक्ति अपवाद है। जो सामाजिक न्याय के तहत की जाती है। यह आश्रित का अधिकार नहीं है कि उसे नियुक्त ही किया जाय।

अचानक आयी विपत्ति से बचाव के लिए यह व्यवस्था की गयी है। यह बैकडोर इंट्री है जिसे सही नहीं कहा जा सकता। किन्तु ऐसा तरीका अपनाया जाय जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य की नियुक्ति व सामाजिक न्याय दोनों की पूर्ति हो सके। इसीलिए सभी सरकारी विभागों, निकायों में आश्रित की नियुक्ति के लिए नियम बनाए जाय।

पुलिस विभाग में भर्ती का ये है नियम

पुलिस विभाग में खाली पदों का 50 फीसदी सीधी भर्ती व 50 फीसदी पदोन्नति से भरे जाने का नियम है। कोर्ट ने सुझाव दिया है कि 5 साल या कर्मी की सेवानिवृत्ति जो पहले हो तक आश्रित को कर्मी को मिल रहा वेतन दिया जाय ताकि मृतक आश्रित अचानक आयी आपदा से उबर सके।

ये भी पढ़ें...यूपी: लैब टेक्नीशियन भर्ती के परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story