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कोरोना से मौतों के आंकडों में झोल, सरकार की मंशा या अधिकारियों का खेल
कोरोना संक्रमितों को अस्पतालों में उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। लखनऊ में निजी अस्पताल अब कोरोना जांच रिपोर्ट देने के लिए तैयार नहीं है।
लखनऊ: कोरोना के कहर ने राजधानी लखनऊ को श्मशान घाट जैसा बना दिया है। रात- दिन शवों को जलाया जा रहा है। श्मशान घाट पर जल रहे शव प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं के दम तोडने का भी एलान कर रहे हैं यही वजह है कि अब श्मशान घाट को ही टीन की चादरें लगाकर ढक दिया गया है। कोरोना से होने वाली मौत के आंकडों में भी बाजीगरी की जा रही है। विभागों के अधिकारी अपनी खाल बचाने के लिए झूठे आंकड़े तैयार करने में जुट गए हैं लेकिन श्मशान घाट के आंकडे इनकी पोल सबके सामने खोल रहे हैं। अधिकारियों की बाजीगरी पर सरकार की आश्चर्यजनक खामोशी भी संदेह उत्पन्न कर रही है। इससे अफवाहों की लपट तेज हो रही है लेकिन हालत इस कदर बिगड चुके हैं जहां कोरोना से होने वाली मौतों पर सरकार व सिस्टम दोनों ही पत्थरदिल बने दिखाई दे रहे हैं।
कोरोना संक्रमितों को अस्पतालों में उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। बदहाली का आलम यह है कि राजधानी लखनऊ में निजी अस्पताल अब कोरोना जांच रिपोर्ट देने के लिए तैयार नहीं है। सरकारी चिकित्सालयों में केवल श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल है जहां निशुल्क जांच हो रही है जबकि राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान, केजीएमयू, एसजीपीजीआई में सात सौ रुपये में जांच की जा रही है।
अस्पतालों में कोरोना से बुरा हाल
गंभीर रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने के लिए बेड नहीं हैं। आईसीयू बढाने के दावे हवा-हवाई हैं। इस बीच अब कोरोना संक्रमितों की मौत के आंकडों में भी झोल दिखाई दे रहा है। राजधानी लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में कोरोना मौत के सरकारी आंकडे और श्मशान घाट पर होने वाले दाह संस्कार के आंकडों में बडा अंतर देखने को मिल रहा है। प्रदेश सरकार के अनुसार 14 अप्रैल 2021 को पूरे प्रदेश में 68 लोगों की मौत कोरोना से हुई है जबकि राजधानी लखनऊ में ही 98 कोरोना संक्रमितशवों का अंतिम संस्कार कराया गया है। इसी तरह कानपुर नगर में पिछले 48 घंटे के दौरान केवल सात कोरोना संक्रमितों की मौत का दावा किया गया है जबकि कानपुर नगर के श्मशान में 15 संक्रमित शव अंतिम संस्कार के लिए लाए गए हैं।
यूपी के जिलों में कोविड मौतों के आंकड़े में झोल
मेरठ से भी इसी तरह की जानकारी मिल रही है। प्रशासन के अनुसार 14 अप्रैल को चार मौत हुई हैं जबकि सूरजकुंड घाट पर पिछले 24 घंटे में 10 कोरोना संक्रमितों का शवदाह कराया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में 13 अप्रैल को सरकारी आंकडों के अनुसार केवल एक कोरोना संक्रमित की मौत हुई है जबकि नगर निगम के श्मशान घाट संबंधी आंकडे बता रहे हैं कि इस दिन दस शवों का संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत कराया गया है।
आंकडे छुपाने में जुटी सरकारी मशीनरी
उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की चपेट में हजारों लोगों के आने के बाद अब सरकारी मशीनरी कोरोना संबंधी आंकडों को छुपाने में जुट गई है। पहले कोरोना की जांच पर अंकुश लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की गई कि यूपी में सब ठीक है। स्थिति काबू में है लेकिन जब गंभीर हालत में मरीज अस्पताल में पहुंचने लगे, मौतें होने लगीं तो हाहाकार मच गया। इसके बाद भी सरकारी अधिकारी बजाय लोगों की समस्या का समाधान करने के अन्य मुश्किलें बढाने में शामिल देखे गए।
राजधानी लखनऊ के श्मशान घाट के बाहर खडी गाडियों का चालान करने की तस्वीरें सामने आईं। अंतिम संस्कार के लिए टोकन जारी किए गए। बाद में लकडियों का अकाल हो गया। बदइंतजामी की खबरें बाहर आईं तो 15 अप्रैल को नगर निगम प्रशासन ने श्मशान घाट के बाद टीन की दीवार खडी करा दी। सरकारी अधिकारियों की इस परदेदारी से प्रदेश सरकार की छवि को दागदार होने से बचाया जा सकता है लेकिन बदइंतजामी की वजह से जो लोग अपने प्रियजनों को गवां रहे हैं वह सरकार के पत्थरदिल होने का चीख-चीखकर एलान कर रहे हैं।
वाराणसी में कोविड मौतों के आंकड़ों की हकीकत
-सोमवार को जिला प्रशासन के मुताबिक कोरोना के चलते तीन मौत हुईं, लेकिन हकीकत ये है कि इसी दिन हरीशचंद्र शवदाह गृह में बीस शवों का दाह संस्कार किया गया।