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UP: यूपी में नई सरकार की राह होगी आसान, शुरुआत से ही दोनों सदनों में मिल जाएगा बहुमत
विधान परिषद की 36 सीटों के लिए अप्रैल में चुनाव होना है और ऐसे में विधानसभा में बहुमत वाले दल के सदस्य स्थानीय निकाय के चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
UP News: प्रदेश में इस बार जिस दल की भी सरकार बनेगी, उसे विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। विधान परिषद में भी वह दल आसानी से बहुमत हासिल करने में कामयाब होगा। तीन दशक बाद यह पहला मौका होगा जब सत्तारूढ़ दल का विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी बहुमत होगा।
विधान परिषद की 36 सीटों के लिए अप्रैल में चुनाव होना है और ऐसे में विधानसभा में बहुमत वाले दल के सदस्य स्थानीय निकाय के चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे। विधान परिषद के 35 सदस्यों का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया है। माना जा रहा है कि इस चुनाव में उन प्रमुख चेहरों को मैदान में उतरने का मौका मिलेगा, जिन्हें मजबूत दावेदारी के बावजूद विधानसभा के चुनाव में टिकट नहीं मिल सका था।
15 मार्च से शुरू हो जाएगी नामांकन प्रक्रिया
विधान परिषद की 35 सीटों के लिए 15 मार्च से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इन सीटों के लिए 15 मार्च से 22 मार्च तक नामांकन दाखिल किए जाएंगे और 9 अप्रैल को मतदान का कार्यक्रम निश्चित किया गया है।
उत्तर प्रदेश में आमतौर पर स्थानीय निकाय चुनाव में उसी दल के अधिकांश सदस्य चुनकर आते रहे हैं, जिस दल की प्रदेश में सरकार होती है। इसी कारण माना जा रहा है कि इस बार जिस दिल की भी सरकार बनेगी, उसे शुरुआत से ही विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी आसानी से बहुमत हासिल हो जाएगा।
इस बार के चुनाव में भाजपा और सपा गठबंधन के बीच ही कांटे की लड़ाई मानी जा रही है। अब सबकी निगाहें गुरुवार को होने वाली मतगणना पर टिकी है कि आखिर कौन सा गठबंधन बहुमत हासिल करने में कामयाब होता है।
विधान परिषद की सियासी तस्वीर
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सियासी तस्वीर को देखा जाए तो सपा के 47 सदस्य थे और इनमें से सात सदस्य सपा का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। मौजूदा समय में भाजपा के 36, बसपा के छह, कांग्रेस का एक, अपना दल और निषाद पार्टी के 1-1, निर्दल समूह के दो और निर्दलीय एक सदस्य है।
मौजूदा समय में विधान परिषद की 2 सीटें रिक्त है और नई विधानसभा की मतगणना के पांच दिन बाद ही विधान परिषद की रिक्त सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद एक बार फिर राजधानी लखनऊ में सियासी जोड़-तोड़ का नजारा दिखेगा।
जल्द ही रिक्त होंगी कई और सीटें
अप्रैल महीने में विधान परिषद की मनोनीत कोटे की तीन और सीटें रिक्त होंगी। 28 अप्रैल को रिक्त होने वाली इन सीटों पर भी सत्तारूढ़ दल का कब्जा होना तय माना जा रहा है। 26 मई को 3 सीटें रिक्त होने के बाद 6 जुलाई को विधानसभा क्षेत्र कोटे की 13 और सीटें खाली हो जाएंगी।
पिछले तीन दशक के दौरान सरकार को कोई भी प्रस्ताव या विधेयक विधानसभा में पारित कराने में तो कोई दिक्कत नहीं हुई मगर विधान परिषद में इन्हें पारित कराने में सत्तारूढ़ दल को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
नई सरकार की राह हो जाएगी आसान
अब प्रदेश में कमान संभालने वाली नई सरकार को विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी शुरुआत में ही बहुमत हासिल हो जाएगा। ऐसे में किसी भी प्रस्ताव या विधेयक को पारित कराने में सरकार को काफी आसानी होगी।
विधान परिषद की रिक्त सीटों पर जल्द होने वाले चुनाव के लिए भाजपा और सपा के सहयोगी दलों ने अभी से ही दबाव बनाना शुरू कर दिया है मगर माना जा रहा है कि चुनाव में इन दलों के प्रदर्शन के आधार पर ही इनकी दावेदारी मंजूर हो पाएगी।