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Lucknow: राज्यपाल ने "श्रीगोकर्णपुराणसार" का संस्कृत से हिंदी भाषानुवाद पुस्तक का किया विमोचन

Lucknow News: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में श्रीगोकर्णपुराणसार का संस्कृत से हिंदी भाषानुवाद के पुस्तक का विमोचन किया। यह प्रयास इस ग्रन्थ को जनसामान्य तक सुलभ रूप से पहुँचाने का तथा सनातन संस्कृति की अभिवृद्धि का है।

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Newstrack Network
Published on: 23 Feb 2023 3:01 PM IST (Updated on: 23 Feb 2023 8:37 PM IST)
Lucknow News
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पुस्तक का विमोचन करती राज्यपाल (फोटो: सोशल मीडिया)

Lucknow News: राज्यपाल आनंदीबेन पटेलने यहां राजभवन में श्रीगोकर्णपुराणसार का संस्कृत से हिंदी भाषानुवाद के पुस्तक का विमोचन किया। संपूर्ण श्री क्षेत्र गोकर्ण तथा गोकर्ण महाबेश्वर आत्मलिंग का उल्लेख शिवमहापुराण, लिंगपुराण, स्कन्दपुराण के सह्याद्रि खंड, श्रीमद भागवत, वाल्मीकि रामायण तथा महाभारत के ग्रंथों में है। गोकर्ण क्षेत्र को दक्षिण के काशी की भी संज्ञा दी गयी है।

यह प्रयास इस ग्रन्थ को जनसामान्य तक सुलभ रूप से पहुँचाने का तथा सनातन संस्कृति की अभिवृद्धि का है। तीर्थ यात्राओं का पता लगाने में सहयोग करता है। गोकर्णपुराण महाबलेश्वर की महिमा को समर्पित है। इस ग्रंथ में गोकर्ण क्षेत्र को समर्पित कथाओं का बडा संग्रह है और इस लिए यह क्षेत्र इस स्थान के सांस्कृतिक इतिहास के पुनर्निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निवर्हन करता है। गोकर्ण पुराण विभिन्न स्थानों और तीर्थ यात्राओं का पता लगाने में सहयोग करता है। गोकर्णपुराण संस्कृत भाषा में है और 118 अध्यायों में विभाजित है।



गोकर्णपुराण स्कन्दपुराण का ही एक भाग है। यह बात प्रमाणित है क्योंकि प्रत्येक अध्याय के समाप्ति में स्पष्टरूप से कहा गया है कि स्कंदपुराण गोकर्णखंडे गोकर्णमाहात्म्ये सारोद्धार से संबंधित है। लेकिन यह वर्तमान में उपलब्ध संस्करणों में नहीं पाया जाता है। गोकर्ण महात्म्य जो सहा्राद्रि-खंड के कुछ संस्करणों में पाया जाता है। सहा्राद्री खंड में सप्त कोंकण का उल्लेख परशुराम क्षेत्र के रूप में भी किया गया है। गोकर्ण पुराण के अनुसार इसके प्रणेता महर्षि वेद व्यास है। यह किसी मुख्य पुराण में इसकी गणना नहीं होती है।



इसलिए इसे गोकर्ण स्थान की महिमा का वर्णन करने वाला पुराण भी कहा जाता है।गोकर्ण पुराण पारंपरिक पुराण की संरचना का अनुसरण करता है। शंकराचार्य ने इस क्षेत्र में कठिन साधना की थी। आदिशंकराचार्य द्वारा 8वीं शताब्दी में उत्तर भारत में अपनी तीर्थ प्रारंभ करने से पहले गोकर्ण क्षेत्र में कठिन साधना की थी। महाभारत काल व महाभारत गंथों में गोकर्ण क्षेत्र का उल्लेख है। विष्णुपुराण के अध्याय 90 में निकुंभ जिसने भानुमती का अपहरण किया था, को अर्जुन, श्रीकृष्ण द्वारा गोकर्ण क्षेत्र में वध करने का उल्लेख है। गोकर्णपुराण गोकर्ण क्षेत्र धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को बतलाता है।

नितिन रमेश गोकर्ण हैं संपादक

श्रीगोकर्णपुराणसार का संस्कृत से हिंदी भाषानुवाद पुस्तक के संपादक नितिन रमेश गोकर्ण हैं, जो आईएसएस अधिकारी हैं और वर्तमान में प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश शासन के पद पर तैनात हैं। इस पुस्तक के सह-संपादक डाक्टर हरिद्वार शुक्ल हैं जो राष्टपति सम्मानित हैं और प्राचार्य श्री सा0आ0सं0म0, तामेश्वरनाथ, देवरिया, संत कबीर नगर उ0प्र0 हैं। वहीं पुस्तक के दूसरे सह संपादक डाक्टर हर्षवर्धन मिश्र प्रवक्ता व्याकरण जो0म0 गोयनका संस्कृत महाविद्यालय, भदैनी, वाराणसी हैं। 178 पृष्ठ के इस पुस्तक के प्रकाशक ओरिएंटल पब्लिशर्स, अमेठी कोठी, नगवां, लंका, वाराणसी है और मुद्रक मुश्ताक अहमद, दक्षिणी ककरमत्ता, डी0एल0डब्ल्यू0, वाराणसी हैं।



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Prashant Dixit

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