×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

आखिर कोर्ट ने क्यों कहा- सरकारी वकील का पद बहुत जिम्मेदारी का, बंदरबांट न हो

Rishi
Published on: 21 July 2017 9:40 PM IST
आखिर कोर्ट ने क्यों कहा- सरकारी वकील का पद बहुत जिम्मेदारी का, बंदरबांट न हो
X

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनउ बेंच ने येागी सरकार द्वारा मुकदमों की पैरवी के लिए जारी 201 सरकारी वकीलों की सूची को कानून की नजर में कतई न टिकने वाली करार देते हुए कहा है, कि यह न्यायिक पुनर्विलोकन की परीक्षा में पास नहीं हो सकती है। कोर्ट ने पाया कि सूची पर न तो विधिमंत्री और न ही महाधिवक्ता का अप्रूवल लिया गया था। ऐसे में महाधिवक्ता के कहने पर कि सरकार खुद सूची का रिव्यू कर रही है, कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा है कि वह 8 अगस्त तक सूची का रिव्यू सुनिश्चित करें।

कोर्ट ने कहा सरकार चाहे तो नयी सूची भी जारी कर सकती है। कोर्ट ने इंचार्ज विधि सचिव को हलफनामे पर पूरी कवायद की रिपेार्ट 8 अगस्त को पेश करने का आदेश दिया है।

यह आदेश जस्टिस एपी साही व जस्टिस एसके सिंह की बेंच ने स्थानीय वकील महेंद्र सिंह पवार की ओर से दायर जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया था कि पूरी सूची नियम कानून केा ताख पर रख पर तैयार की गयी थी जिसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए।

ये भी देखें: KGMU: रजिस्ट्रार ने एजेंसियों से मांगा PF का ब्योरा, तो हुआ ट्रांसफर

पूर्व आदेश के अनुपालन में महाधिवक्ता राघवेद्रं सिंह ने कोर्ट में सभी नियुक्तियेां से संबधित 16 पेज का रिकार्ड पेश किया। जिसकेा देखने के बाद कोर्ट ने पाया सूची के बावत प्रस्ताव स्पेशल सेक्रेटी बृजेश कुमार मिश्रा ने 1 जुलाई को बनाया और उस पर उसी दिन प्रमुख सचिव विधि रंगनाथ पांडे ने अपना अप्रूवल दे दिया और फाइल मुख्यमंत्री केा प्रेषित कर दी जिस पर 6 जुलाई को मुख्यमंत्री येागी आदित्यनाथ के हस्ताक्षर हैं। सूची 7 जुलाई को पांडे के बतौर हाई कोर्ट जज शपथ लेने के एक घंटे बाद ही जारी कर दी गयी।

कोर्ट ने पाया कि सूची के बावत विधिमंत्री और महाधिवक्ता के हस्ताक्षर नहीं थे। उसमें यह भी नेाटिंग नही थी कि किस प्रकार से सभी प्रतिभागियों जिन्हें सरकारी वकील बनाया जा रहा था उनकी येाग्यता व मेरिट का आंकलन किया गया था। कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील को जनता की गाढ़ी कमायी से पैसा दिया जाता है और सरकारी वकील की नियुक्ति केवल किसी प्रभावशाली व्यक्ति की संस्तुति पर नहीं की जा सकती है।

ये भी देखें:अब ऑनलाइन होंगे UPSC, RRB और SSC प्रतियोगी परीक्षाओं के अंक

कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील का पद बहुत जिम्मेदारी का पद होता है और यह किसी प्रकार की बंदरबांट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि नियुक्तियों में पारदर्शिता होनी चाहिए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इन नियुक्तियों में भाई भतीजावाद व न्याय क्षेत्र में काम करने वालें को लाभ नहीं देना चाहिए।

कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि महाधिवक्ता का पद अति महत्वपूर्ण होता है जिसकी अनदेखी न होना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story