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यूपी में काबिल अधिकारियों की किल्लत, जो हैं उन पर भारी बोझ 

Rishi
Published on: 29 July 2018 5:58 PM IST
यूपी में काबिल अधिकारियों की किल्लत, जो हैं उन पर भारी बोझ 
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार को काबिल अफसरों की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है। सूबे में अच्छे अफसर इतने कम हो गए हैं कि जो हैं उन पर भारी बोझ लदा है। इससे प्रशासनिक मशीनरी चाह कर भी बहुत अच्छे ढंग से परफॉर्म नहीं कर पा रही है। हालांकि आज ही इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां के अधिकारियों की काफी तारीफ की है। केवल छह महीने के अंदर आयोजित किए गए ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी को उन्होंने सरकार और अफसरों की मेहनत परिणाम बताया। लेकिन यह हकीकत है कि यहां अफसरों की बहुत ज्यादा कमी है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है।

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कुछ अफसरों पर क्षमता से बहुत ज्यादा बोझ

दरअसल यह दिक्कत पिछले डेढ़ साल से पैदा हुई है। योगी आदित्यनाथ की सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से लगातार अच्छे अफसरों की कमी का हवाला हर बात में दिया जा रहा। कुछ ही चुनिंदा अधिकारी हैं जिन पर उनकी क्षमता से बहुत ज्यादा बोझ लदा हुआ है। सरकार और शासन के सूत्र बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में आइएएस संवर्ग में 621 पद हैं। इनमें 433 पद प्रत्यक्ष भर्ती के हैं जबकि 188 प्रमोशन से भरे जाते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी स्वीकार करते हैं कि अफसरों की कमी से काम पर असर पड़ा है। रिजल्ट देने वाले अधिकारियों की क्षमता भी काम के बोझ की वजह से प्रभावित होती है।

प्रदेश में 107 आइएएस अधिकारियों की कमी

सूत्रों के अनुसार प्रदेश में 107 आइएएस अधिकारियों की कमी है। विभागीय पदोन्नति से भी बहुत असर नहीं पडऩे वाला क्योंकि हाल-फिलहाल बड़ी संख्या में आइएएस सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पिछले जनवरी माह से ही अब तक 24 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, जबकि एक आइएएस की सेवाकाल में मृत्यु हो चुकी है। अफसरों की कमी को देखते हुए ही योगी सरकार ने प्रतिनियुक्ति से कुछ अधिकारियों को बुलवाया है लेकिन, इससे कुछ खास फर्क नहीं पडऩे जा रहा क्योंकि एक दर्जन अधिकारी प्रतिनियुक्ति के इंतजार में भी हैं।

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एक आईएएस के पास होना चाहिए एक विभागाध्यक्ष का पद

लोक प्रहरी के संयोजक और सेवानिवृत्त आइएएस एसएन शुक्ला बताते है कि अधिकारियों के पास अधिक विभाग होने से काम पर असर होना स्वाभाविक है। समस्या दूसरी भी है। पिछले कुछ दशकों से सत्ता प्रतिष्ठानों ने अपने चहेते अफसर तय करने शुरू किए हैं। शुक्ला के अनुसार नियमानुसार कोई भी आइएएस अपने संवर्ग में विभागाध्यक्ष का एक से अधिक पद नहीं रख सकता लेकिन, इसकी अनदेखी की जाती है।

यह विडंबना भी देखिए

अजब विडंबना है कृषि उत्पादन आयुक्त डा. प्रभात कुमार के पास अपने अधीनस्थ खुद ही 20 विभाग हैं लेकिन, उन्हें बेसिक शिक्षा जैसे बड़े विभाग का काम भी देखना पड़ रहा है। और तो और प्रदेश के मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने इस पद के साथ ही अवस्थापना और औद्योगिक विकास आयुक्त का पद भी संभाल रहे हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) डा. प्रभात कुमार के पास यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तो जिम्मेदारी है ही, बेसिक शिक्षा जैसा बड़ा विभाग भी देखना पड़ रहा है।

प्रदेश में बड़े पदों पर काबिल अफसरों की कमी प्रदेश की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि उनके पास अच्छे अधिकारियों की कमी है। उधर पदों पर बैठे अधिकारियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह अपने काम में सामंजस्य कैसे बैठाएं। रिजल्ट देने वाले अधिकारियों की कमी से उनके पास कई-कई विभागों का बोझ है। कुछ अधिकारियों के पास तो इतने महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी है कि उन्हें दम लेने भर की फुर्सत नहीं।

कुछ प्रमुख अफसर और उनकी जिम्मेदारी

अनूप चंद्र पांडेय- मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त

संजय अग्रवाल- अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग, अपर मुख्य सचिव मा. शिक्षा, उच्च शिक्षा

डॉ. प्रभात कुमार -कृषि उत्पादन आयुक्त, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार

कल्पना अवस्थी-प्रमुख सचिव आबकारी, वन एवं पर्यावरण विभाग का अतिरिक्त प्रभार

रेणुका कुमार- अपर मुख्य सचिव महिला कल्याण, अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग का अतिरिक्त प्रभार

आलोक सिन्हा - अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर एवं मनोरंजन कर, अपर मुख्य सचिव आइटी एवं इलेक्ट्रानिक्स का अतिरिक्त प्रभार

आलोक कुमार-प्रमुख सचिव ऊर्जा, अध्यक्ष पावर कारपोशन

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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