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UP Ke Teen Bade Mamle: तीन बड़े मामलों में योगी ने दिखाई सूझबूझ, सियासी तूफान को थामने में रहे कामयाब, टिकैत भी हुए मुरीद
UP Ke Teen Bade Mamle: उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में तीन बड़े मामलों ने योगी सरकार को संकट में तो जरूर डाला, लेकिन सीएम योगी ने बड़े ही सूझबूझ के साथ मामलों पर कार्रवाई की और हालात पर काबू पाया।
UP Ke Teen Bade Mamle: चुनावी मोड में चल रहे उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में तीन बड़े मामलों ने प्रदेश सरकार को संकट में तो जरूर डाला मगर तीनों ही मामलों में मुख्यमंत्री योगी ने सूझबूझ दिखाकर तेजी से कार्रवाई करते हुए हालात पर काबू पा लिया। प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में मौत, गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत के प्रकरण के बाद रविवार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की घटनाओं ने प्रदेश में सियासी माहौल गरमा दिया। हाल के दिनों में ये तीनों ही मामले मीडिया और सोशल मीडिया में छाए रहे और विपक्षी दलों ने इसे लेकर योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला।
इन तीनों ही मामलों में सरकार बड़ी मुसीबत में घिरती दिख रही थी । मगर तीनों ही मामलों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फ्रंटफुट पर बैटिंग करते हुए विपक्ष को सियासी फायदा उठाने का ज्यादा मौका नहीं दिया। लखीमपुर खीरी कांड तो काफी बड़ा मामला था । मगर इस मामले में भी सरकार 24 घंटे में ही किसानों के साथ समझौता करने में कामयाब रही। लखीमपुर खीरी कांड में तो भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश सरकार की ओर से तेजी से की गई कार्रवाई की तारीफ की है। उनका कहना है कि योगी की ओर से की गई त्वरित पहल के कारण ही इस मामले को सुलझाने में कामयाबी मिली है।
महंत नरेंद्र गिरि प्रकरण
प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का फंदे से लटका शव पाए जाने की घटना ने सनसनी फैला दी थी। इस घटना के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रयागराज पहुंच गए थे। उन्होंने योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था कि संदिग्ध हालात में महंत का निधन स्तब्ध करने वाला है। इसमें कुछ प्रमुख लोगों के नाम भी आ रहे हैं। इसलिए इस मामले की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराई जानी चाहिए। अन्य विपक्षी दलों की ओर से भी प्रदेश में बढ़ते अपराधों के कारण योगी सरकार को घेरा जा रहा था।
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज पहुंच गए। उन्होंने इसे दुखद घटना बताते हुए कहा कि इस मामले में कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए महंत के शिष्य आनंद गिरि व बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे को तत्काल गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पहले एसआईटी का गठन किया गया। बाद में योगी सरकार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। अब सीबीआई इस मामले की तह में जाने की कोशिश में जुटी हुई है।
मनीष गुप्ता प्रकरण
इस घटना के बाद कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर के एक होटल में पुलिस की पिटाई से मौत के प्रकरण ने प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया। इस मामले में भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तुरंत कानपुर पहुंच गए थे। उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। सपा कार्यकर्ताओं ने कानपुर में जमकर हंगामा भी काटा। इस घटना को लेकर सपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने योगी की पुलिस को बेलगाम बताते हुए सरकार पर बड़ा हमला बोला। अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को सपा की ओर से 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का भी एलान किया।
बाद में कानपुर दौरे पर पहुंचे सीएम योगी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात करके उनकी सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया। उन्होंने मनीष की पत्नी मीनाक्षी को कानपुर विकास प्राधिकरण में विशेष कार्य अधिकारी पद पर नौकरी और परिवार को आर्थिक मदद देने की भी घोषणा की। मीनाक्षी की मांग पर उन्होंने केस की जांच भी कानपुर स्थानांतरित करने का आदेश दिया । सीबीआई जांच के लिए भी हामी भरी। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद पीड़ित परिवार भी संतुष्ट दिखा। इस मामले में भी योगी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए माहौल को ठंडा करने में कामयाबी हासिल की।
लखीमपुर खीरी प्रकरण
लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई घटना ने तो पूरे देश में सियासी बवंडर खड़ा कर दिया क्योंकि यह पूरा मामला किसानों से जुड़ा हुआ था । इसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा का नाम शामिल था। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में पहले से ही काफी गुस्सा दिख रहा है और इस घटना ने आग में घी डालने का काम किया।
इस घटना के बाद कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा महासचिव सतीश मिश्रा, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत तमाम नेताओं ने लखीमपुर जाने का एलान कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आनन-फानन में गोरखपुर का दौरा रद्द करके लखनऊ पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक करके इस पूरे मामले से निपटने की रणनीति बनाई। उनकी इस रणनीति का ही नतीजा था कि राकेश टिकैत को छोड़कर कोई भी नेता लखीमपुर खीरी नहीं पहुंच सका।
राकेश टिकैत ने भी लखीमपुर खीरी पहुंचकर किसानों से समझौता कराने में प्रशासन के मददगार की ही भूमिका निभाई। सरकार की ओर से मृतकों के परिवारों को 45 -45 लाख रूपये की आर्थिक मदद और घटना की न्यायिक जांच का आदेश दिया गया है। सरकार ने इस घटना में घायल होने वालों को भी 10 लाख रूपये की मदद देने की बात कही है। इसके साथ ही पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। इस समझौते के बाद घटना को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों का गुस्सा भी काफी हद तक शांत हो गया है।
टिकैत ने भी की योगी की तारीफ
इस मामले में सरकार की ओर से की गई त्वरित कार्रवाई की भारतीय नेता राकेश टिकैत ने भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना के बाद सरकार ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री योगी ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द करते हुए खुद पूरे प्रकरण की मॉनिटरिंग की। उन्होंने जिम्मेदार अफसरों को पूरा अधिकार देकर मौके पर भेजा जिससे समझौता करने में काफी मदद मिली।
टिकैत ने कहा कि इन अधिकारियों को बातचीत की पूरी स्वतंत्रता दी गई थी ताकि वे मौके पर ही उचित फैसला ले सकें। इसी कारण 24 घंटे के भीतर ही इस बड़ी समस्या का समाधान हो सका। लखीमपुर खीरी की घटना के बाद पूरे यूपी का सियासी माहौल गरमा गया था । मगर इस मामले में समझौते के बाद सरकार को किसानों का गुस्सा काफी हद तक शांत करने में मदद मिली है।