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UP Ki Rajnitik Yatra: राजनीतिक यात्राओं ने कभी सरकार बनाई तो कभी गिराई
UP Ki Rajnitik Yatra: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक दलों ने एक बार फिर से यात्राओं का दौर शुरू कर दिया है।
UP Ki Rajnitik Yatra: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) के पहले एक बार फिर यात्राओं का दौर शुरू हो चुका है। सत्ता की खातिर और सत्ता के विरोध में माहौल बनाने के लिए हमेशा से यात्राएं राजनीतिक दलों का प्रमुख हथियार रही है। कभी पद यात्राएं (Pad Yatra) तो कभी रथयात्राओं ( Rath Yatra) को निकालने का सबक सभी दलों ने एक दूसरे से सीखा है। इसमें कभी सरकार गिराने का कभी सरकार बनाने का काम किया है।
उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने कई यात्राओं का आयोजन किया, जिसमें जनवादी पार्टी सोशलिस्ट (Janvadi Party Socialist) की 'भाजपा हटाओ-प्रदेश बचाओ', जनवादी जनक्रांति यात्रा सपा की किसान नौजवान पटेल यात्रा महानदल के अध्यक्ष केशव मौर्य की जन आक्रोश यात्रा अधिवक्ता सभा के प्रदेष अध्यक्ष प्रदीप यादव की संविधान बचाओ संकल्प यात्राओं के जरिए सत्ता परिवर्तन की कोशिश में है। इसके पहले कांग्रेस दलित स्वाभिमान यात्रा निकाल चुकी है।
भाजपा के द्वारा निकाली गई यात्राएं
यात्राओं के अतीत पर गौर करें तो इस मामले में भाजपा (BJP) अव्वल रही। 90 के दशक में भाजपा ने कई यात्राएं निकाली, जिनमें एकता यात्रा, किसान जागरण यात्रा, जनजागरण यात्रा, ग्राम सुराज यात्रा,सांस्कृतिक राष्ट्रवाद जागरण यात्रा,परिवर्तन यात्रा प्रमुख रही है। इन यात्राओं का नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani), मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi), कल्याण सिंह (Kalyan Singh) सरीखे नेताओं ने किया, जबकि उत्तर प्रदेश में पद यात्राएं और रथयात्राएं निकालने का रिकार्ड तो सपा के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नाम दर्ज है।
सपा ने भी निकाली कई यात्राएं
1989 में मुख्यमंत्री बनने से पहले मुलायम सिंह यादव ने 17 सितंबर 1987को क्रांतिरथ यात्रा निकाली थी। इससे पहले रालोद के प्रमुख अजित सिंह ने 1986 में मेरठ से लखनऊ तक की पदयात्रा निकाली थी। इसके बाद वर्ष 2011 में ही रालोद की ओर सुराज यात्रा निकाली। लेकिन यह दोनों ही यह यात्राएं उसका राजनीतिक मकसद पूरा नहीं कर पाई। मुलायम सिंह यादव के क्रांतिरथ यात्रा निकालने का फार्मूला कामयाब होने के बाद इसी को उनके पुत्र अखिलेश यादव ने भी आजमाया। उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव से पूर्व 31 जुलाई से 14 अक्तूबर 2011 तक क्रांतिरथ यात्रा निकाली। दूसरे चरण में फिर उन्होंने 12 सितंबर 2011 से फिर दूसरे चरण की क्रांतिरथ यात्रा शुरू की। इन दो चरणों की यात्राओं का असर यह रहा कि अखिलेश प्रदेश में सपा के पक्ष में माहौल बनाने में सफल रहे। और 2012 में पहली बार प्रदेश में सपा की पूर्णबहुमत की सरकार बनी।
राजनाथ सिंह के लिए शुभ साबित हुई न्याय यात्रा
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्र में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 2005 में पूर्वांचल में विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद बनारस से बिजनौर तक की न्याय यात्रा निकाली। यह यात्रा उनके लिए शुभसाबित हुई। बीच यात्रा में ही उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का बुलावा आ गया तो फिर बाकी की यात्रा विनय कटियार ने पूरी की। हालांकि भाजपा नेताओं में यात्रा करने में कल्याण सिंह का जवाब नहीं है।
कलराज मिश्र ने निकाली थी किसान बचाओ यात्रा
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहते कलराज मिश्र ने 1996 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के बीच पार्टी की पैठ बनाने की गरज से पद यात्रा की थी। इसके बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने बलिया से किसान बचाओ यात्रा पर निकले और गाजियाबाद तक पहुंचे। तब मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी गंगा बचाओं यात्रा निकालकर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में अथक परिश्रम किया था।
कचरी से कचहरी तक की पदयात्रा
कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और विधायक डॉ.रीता बहुगुणा जोशी ने भी 2007 में भूमि अधिगृहण और करछना कांड के विरोध में कचरी से कचहरी तक की पदयात्रा निकाली थी। सपा नेता अमर सिंह,जयाप्रदा भी पूर्वाचल राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर यात्राएं निकाल चुके है।
मोदी सरकार और प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार के खिलाफ कांग्रेस पदयात्राएं कर चुकी है। इन पदयात्राओं में तत्कालीन प्रदेश प्रभारी रहे मधुसूदन मिस्त्री तथा प्रदेशाध्यक्ष डॉ.निर्मल खत्री समेत कई राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शामिल हुए थे। 2012 के विधानसभा से पहले पूरे उत्तर प्रदेश में अंबेडकर जयंती के मौके पर दस संदेश यात्राओं को दो चरणों निकाला गया था। इससे पूर्व उसी साल विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी ने किसान संदेश यात्रा निकाली थी।