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UP Nikay Chunav: हाईकोर्ट का आदेश-बिना OBC आरक्षण के हो निकाय चुनाव, योगी सरकार करेगी सुप्रीम कोर्ट का रुख!

UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट के फैसले के बाद यूपी निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।

aman
Written By aman
Published on: 27 Dec 2022 2:09 PM IST (Updated on: 27 Dec 2022 2:12 PM IST)
Uttar Pradesh Nagar Nikay Chunav 2022
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Uttar Pradesh Nagar Nikay Chunav 2022 (Image: Newstrack)

UP Nagar Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर मंगलवार (27 दिसंबर) को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट के फैसले के बाद यूपी निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में मामले की सुनवाई चल रही थी जिस पर निर्णय दिया गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद है कि, यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। इस बीच डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने भी ट्वीट किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर मंगलवार को फैसला दे दिया। हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ही होंगे। इससे चुनाव कराने का रास्ता अब साफ हो गया है। अदालत कोर्ट में सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। अदालत ने अपने निर्णय में कहा, कि जब तक 'ट्रिपल टेस्ट' न हो तब तक ओबीसी आरक्षण लागू नहीं होगा। हाई कोर्ट ने बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं।

आयोग गठन का आदेश

हाईकोर्ट ने कहा कि, इस बगैर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण 'ट्रिपल टेस्ट' के आधार पर होगा। बिना ट्रिपल टेस्ट के कोई ओबीसी आरक्षण नहीं हो सकता। ये निर्णय जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय (Justice Devendra Kumar Upadhyay) और जस्टिस सौरभ लवानिया (Justice Saurabh Lavania) की खंडपीठ ने सुनाया। इस मुद्दे पर 93 याचिका दाखिल की गई थी। इस मसले पर एक आयोग गठित होगा। आयोग निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करेगा। माना जा रहा है कि मुख्य फैसला आयोग के हाथ में है। कोर्ट ने 70 पेज का जजमेंट दिया है।

केशव मौर्य- पिछड़े वर्ग के अधिकारों से कोई समझौता नहीं

वहीं, हाई कोर्ट के फैसले के बाद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा,परंतु पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा!'

कोर्ट ने कहा- ये एक प्रकार का 'राजनीतिक आरक्षण'

इस मामले में याची पक्ष (Petitioner) ने कहा था कि, निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का 'राजनीतिक आरक्षण' (Political Reservation) है। जिसका सामाजिक, आर्थिक या शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई वास्ता नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य (Triple Test Mandatory) है।

क्या कहा यूपी सरकार ने?

यूपी सरकार ने दाखिल जवाबी हलफनामे में कहा कि, स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के सर्वे को ही आरक्षण का आधार माना जाए। प्रदेश सरकार ने ये भी कहा कि इसी सर्वे को 'ट्रिपल टेस्ट' माना जाए। साथ ही, सरकार ने ये भी कहा कि ट्रांसजेंडर (Transgenders) को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से ये पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है? इस पर सरकार का जवाब था कि, 5 दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।

ऐसे होता है रैपिड सर्वे

रैपिड सर्वे (Rapid Survey) में जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निकायों (Nagar Nikay) द्वारा वार्ड के अनुसार ओबीसी वर्ग (OBC Category) की गिनती करवायी जाती है। जिसके आधार पर ही ओबीसी की सीटों का निर्धारण करते हुए इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाता है।

अपना दल ने कहा- जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यूपी सरकार को जल्द चुनाव कराने का निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने एससी और एसटी आरक्षण (SC and ST Reservation) के साथ चुनाव कराने की बात कही है। कोर्ट के आज के आदेश के बाद अब ओबीसी आरक्षण वाली सभी सीटें सामान्य होंगी। अगर, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाती है, तब जनवरी में निकाय चुनाव हो सकते हैं। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। अपना दल के आशीष पटेल ने कहा, इस फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। जिसके बाद साफ़ लग रहा है कि, ये मामला अभी ठंडा होने वाला नहीं।

राजनीतिक दलों की अटकी थी सांसें

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के इस फैसले पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी थीं। निकाय चुनाव पर लगी रोक पर आज आने वाले फैसले पर सबकी नजरें टिकी थी। राजनीतिक दलों और संभावित उम्मीदवारों को निर्णय में हो रही देरी से सांसें अटकी हुई थी। ये इंतजार लंबा रहा। ऐसे में निकाय चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने पर भी रोक लगी रही।




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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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