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UP Nagar Nikay Chunav: निकाय चुनाव में OBC आरक्षण का मामला, HC ने फैसला सुरक्षित रखा, अगली सुनवाई 27 को

UP Nagar Nikay Chunav: निकाय चुनाव में OBC आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई जारी है। छुट्टी के बावजूद आह हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

Krishna Chaudhary
Published on: 24 Dec 2022 4:15 PM IST (Updated on: 24 Dec 2022 4:12 PM IST)
UP Nagar Nikay Chunav: निकाय चुनाव में OBC आरक्षण का मामला, HC ने फैसला सुरक्षित रखा, अगली सुनवाई 27 को
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UP Nagar Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर गतिविधियां तेज हैं। निकायों का कार्यकाल खत्म होने से पहले सरकार चुनाव संपन्न करा लेना चाहती है। लेकिन निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर गतिरोध बना हुआ है। मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। कोर्ट रुम में सभी पक्षों के वकील पहुंच चुके हैं। एडिशनल एडवोकेट जनलर भी कोर्ट रुम में पहुंच चुके हैं। लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच में ओबीसी आरक्षण मामले को लेकर याची पक्ष ने रखी दलीलें। याची पक्ष के बाद में सरकार ने भी अपनी पक्ष रखा। मुख्य याचिकाकर्ता पीयूष पाठक ने कहा कि कोर्ट में सभी तथ्य रखे गये हैं, कोर्ट ने पूरी बातें सुनी हैं। अब लंच ब्रेक के बाद में इस मामले पर सुनवाई होगी।

लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद में फैसला सुरक्षित रख लिया। अब इस मामले में 27 दिसंबर को लखनऊ की हाईकोर्ट बेंच अपना फैसला सुनायेगी।

दरअसल, आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में विचाराधीन याचिका दाखिल की गई थी। जिसपर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी। मगर इसे एक दिन और बढ़ा दिया गया। हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह आदेश रायबरेली के सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडे व अन्य 50 जनहित याचिकाओं पर दिया।

ओबीसी आरक्षण एक राजनीतिक आरक्षण

इससे पहले बुधवार को हुई बहस के दौरान याचियों ने दलील दी कि निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।

मंगलवार को सरकार ने दाखिल किया था हलफनामा

पिछले मंगलवार को सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल किया था। सरकार ने दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा कि इसी को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। राज्य सरकार की ओर से अदालत में स्पष्ट कर दिया कि चुनाव में ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। यूपी सरकार की ओर से पेश हुए अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने अदालत से इस मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया था ताकि चुनाव समय पर कराएं जा सकें।

बता दें कि वैभव पांडे के अलावा 50 और याचिकाएं वार्ड आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल की जा चुकी हैं। सभी याचिकाएं एक ही जैसे मुद्दों की आपत्तियों पर है, इसलिए इसको एक साथ सुना जा रहा है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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