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UP NEET Admission Fraud: यूपी सरकार पर केंद्र की भृकुटि तनी, क्या योगी के पूर्व और वर्तमान आयुष मंत्री पर गिरेगी गाज?
UP NEET Admission Fraud : यूपी में BAMS, BUMS और BHMS कोर्सों में दाखिले से संबंधित फर्जीवाड़े की शिकायत हुई है। जिसके बाद, केंद्र की भृकुटि राज्य सरकार पर तन चुकी है।
UP NEET Admission Fraud: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर केंद्र की भृकुटि तन चुकी है। इस बार केंद्रीय आयुष मंत्रालय और यूपी आयुष विभाग आमने-सामने है। दरअसल, ये मामला यूपी के मेडिकल कॉलेजों में बिना नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) उत्तीर्ण किए दाखिले से जुड़ा है। ऐसे में योगी सरकार के पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी (अब बीजेपी छोड़ चुके) और वर्तमान आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र दयालु और यूपी के तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना केंद्र के निशाने पर हैं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने NEET फर्जी दाखिला मामले में छात्रों की शिकायत के बाद यूपी में संबंधित विभाग को पत्र लिखा है। जिससे हड़कंप की स्थिति है।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि, होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी के स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आयुर्वेद निदेशालय (Directorate of Ayurveda) ही काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित करवाता रहा है। साल 2016 से पहले BAMS, BUMS और BHMS कोर्सों में दाखिले के लिए राज्य अलग से परीक्षाएं आयोजित करवाता था। मगर, 2016 में इन कोर्सों में दाखिले के लिए भी NEET को ही अनिवार्य कर दिया गया था। इस बार काउंसलिंग के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़े की शिकायत की। शिकायतकर्ताओं ने पहले कम्प्लेन राज्य के आयुष विभाग और आयुर्वेद निदेशालय में की। मगर, यहां के अधिकारी सुस्त बने रहे। अधिकारियों ने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। कार्रवाई न होता देख शिकायतकर्ताओं ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय में अपनी शिकायत दी।
गुपचुप जांच..कहीं फजीहत न हो जाए
अब केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य के संबंधित विभाग को पत्र भेजा है। केंद्र की चिट्ठी देख आयुष विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। सूत्र बताते हैं, पत्र से अधिकारी ही नहीं मंत्री महोदय भी असहज हैं। बताया जा रहा है कि, मामले की गुपचुप तरीके से जांच चल रही है। डर है कि, मेडिकल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ की ये बदरंग कहानी सामने आएगी तो प्रदेश सरकार की खूब फजीहत होगी। इसी से बचने के लिए जांच अंदर खाने ही चल रही है।
सैनी, दयालु और सुरेश खन्ना पर गिर सकती है गाज !
उल्लेखनीय है कि, केंद्र ने साल 2016 के बाद से ही BAMS, BUMS और BHMS कोर्सों में दाखिले के लिए NEET को अनिवार्य कर दिया था। वर्ष 2017 में पहली बार योगी आदित्यनाथ की प्रदेश में सरकार बनी। मेडिकल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ का ये खेल कब से चल रहा है, अब इसकी जांच हो सकती है। संभव है कि, केंद्रीय आयुष मंत्रालय इस पर जांच बिठा दे। चिट्ठी भेजकर मंत्रालय ने इस ओर कदम तो बढ़ा दिया है। जांच होती है तो इसमें पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी, वर्तमान मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु और यूपी के तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना सहित कई बड़े अधिकारी भी दायरे में आएंगे। रिपोर्ट खिलाफ होने पर मंत्री दयाशंकर मिश्र पर गाज भी गिर सकती है।
काउंसलिंग एजेंसी से कॉलेजों की सांठगांठ !
हालांकि, इस बाबत जब योगी सरकार में आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु से मीडिया ने बात की तो उनका जवाब था कि, 'अधिकारियों ने तब ध्यान नहीं दिया। केंद्र की चिट्ठी पड़ी रही।' लेकिन, सवाल ये उठता है कि क्या अधिकारियों को किसी का डर नहीं है? वे इतने बेफिक्र हैं कि केंद्रीय मंत्रालय की चिट्ठी का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझते। या, कुछ और है। कहा तो ये भी जा रहा है कि, काउंसलिंग प्रक्रिया से जुड़े आयुर्वेद निदेशालय के लोगों तथा काउंसलिंग एजेंसी की साठ-गांठ से कई निजी मेडिकल कॉलेजों ने ऐसे अभ्यर्थियों को दाखिला दिया, जिन्होंने NEET दिया ही नहीं था। मंत्री जी भले पल्ला झाड़ लें, मगर अधिकारियों की हरकतें बताती है कि वो ऐसे मामलों के आदी हैं।