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सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी पेंशन के हकदार- इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि याचियों को पेंशन का लाभ दिया जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी पेंशन के हकदार हैं।

Syed Raza
Report Syed RazaPublished By Deepak Kumar
Published on: 14 Sep 2021 8:06 AM GMT
Allahabad high court
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय। (Social Media)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी पेंशन के हकदार हैं। सेवा नियमावली 1964 के दायरे में आने वाले सभी शिक्षक और कर्मचारी पेंशन के हकदार हैं। कोर्ट ने पेंशन का लाभ सिर्फ उच्चतर प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों तक सीमित करना सही नहीं माना है और इस संबंध में जारी आदेश को रद्द कर दिया है साथ ही इंटरमीडिएट बोर्ड से मान्यता प्राप्त शासकीय सहायता प्राप्त निजी विद्यालय के अध्यापकों को उनका प्रबंधकीय अंशदान ब्याज सहित जमा करने के लिए 2 माह का समय दिया है।

कोर्ट ने सरकार को दिया ये आदेश

कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि याचियों को पेंशन का लाभ दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा ने लाल साहब सिंह व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता रामकृष्ण यादव को सुन कर दिया है। रामकृष्ण ने बुद्धि राम के मामले में हाईकोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि इस केस में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वे सभी लोग पेंशन योजना का लाभ पाने के हकदार हैं जो 1964 की पेंशन नियमावली के दायरे में आते हैं, जबकि सरकारी वकील का कहना था कि 22 मई 2006 के शासनादेश से अंशदान जमा करने की कट ऑफ डेट जारी की गई थी, लेकिन याचियों ने नियत तिथि के भीतर अंशदान जमा नहीं किया.

याचियों का कहना था कि वर्ष 2006 का शासनादेश उन्हें कभी उपलब्ध नहीं कराया गया. उन्हें योजना की जानकारी 2017 में जारी शासनादेश से हुई और तब उन्होंने कट ऑफ डेट के भीतर ही अपना अंशदान जमा करने की पेशकश की थी. वर्ष 2006 के शासनादेश से यू कट ऑफ डेट जारी की गई थी उसे हाईकोर्ट ने बुद्धि राम के केस में रद्द कर दिया था और 2017 का शासनादेश बुद्धि राम केस के निर्णय के अनुपालन में जारी किया गया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि इस शासनादेश को सिर्फ उच्च प्राथमिक विद्यालय तक सीमित नहीं रखा जा सकता है, बल्कि इसका विस्तार उन सभी शिक्षण संस्थानों तक होगा जो 1964 की पेंशन नियमावली के दायरे में आते हैं. सरकार से अपेक्षा की जाती है कि शासनादेश का लाभ ऐसे सभी शिक्षण संस्थानों की कर्मचारियों को समान रूप से देगी। कोर्ट ने याचियों को पेंशन भुगतान न करने का 2 अगस्त 2017 का आदेश रद्द कर दिया है और 2 माह के भीतर याचियों को ब्याज सहित अंशदान जमा कराकर पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया है।

Deepak Kumar

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