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UP News: बाढ़ का दंश झेल रहा यूपी, सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से लोग हुए परेशान
सरयू नदी के जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा गंभीर हो गया है। नेपाल के तरफ से पानी छोड़े जाने से ये स्थिती पैदा हुई है..
UP News: नेपाल के पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश से सरयू नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है। मिहींपुरवा में सरयू नदी के उफनाने से कई संपर्क मार्गों पर पानी भर गयाहै। गांव पानी से घिर गए हैं। तहसील प्रशासन की ओर से बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए हैं। वहीं महसी के १३ गांव बाघ के पानी से घिर गए हैं। जरवल और मिहींपुरवा में सरयू नदी खतरे के निशान के निकट पहुंच गई है। ग्रामीणों में हायतौबा मची हुई है।
जिले में मानसून के हिसाब से बारिश नहीं हो रही है। लेकिन नेपाल के पहाड़ों पर जमकर बारिश हो रही है। ऐसे में नेपाल की ओर से पानी छोड़ा जा रहा है। नेपाल के पहाड़ों से आ रहा पानी सरयू नदी में काफी मात्रा में भर गया है। पानी भरने से मिहींपुरवा विकास खंड में स्थित गोपिया बैराज, गिरिजापुरी बैराज, बनबसा बैराज व अन्य सहायक नदियां पूरी तरह से पानी से लबालब हैं। पानी नदियों से बाहर आने लगा है। जिसके चलते विकास खंड क्षेत्र के बलईगांव, मटिहा, रामपुर मार्ग, गिरिजापुरी मार्ग, गोपिया मार्ग पर पानी चलने लगा है।
इसके अलावा बिछिया-मिहींपुरवा, निशानगाड़ा मुर्तिहा के बीच संपर्क मार्ग पर पानी चल रहा है। सुजौली लखीमपुर खीरी मार्ग पर भी पानी भरा हुआ है। सड़क मार्ग पर इतना पानी भर गया है कि चार पहिया के छोटे वाहन उसी में डूब जा रहे हैं। लेकिन मोतीपुर तहसील प्रशासन पूरी तरह से आश्वस्त है। तहसील के मुताबिक अभी बाढ़ जैसी की कोई स्थिति नहीं है। कई गांव भी बाढ़ के पानी से घिर गए हैं।
वहीं जिले की महसी तहसील क्षेत्र में नदी का जलस्तर बढ़ने से १३ गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। तहसील क्षेत्र के जोगलापुरवा, चमरही, मांझा दरिया बुर्द, टिकुरी समेत अन्य गांव के चारो तरफ पानी भरा हुआ है। लोग पानी के बीच दिनचर्या कर रहे हैं। कैसरगंज तहसील के जरवल में स्थित एल्गिन ब्रिज खतरे के निशान से महज पांच सेंटीमीटर नीचे बह रही है। जबकि मिहींपुरवा में गोपिया नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है।
इनपुट-अनुराग पाठक
यमुना नदी के घटते जलस्तर के बाद बढ़ी मुसीबत
तेज बारिश और बाढ़ के चलते जहां सैकड़ों गांव जल मग्न हो चुके थे बाढ़ का जलस्तर सैकड़ों परिवारों के लिए बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ रहा है। पानी तो कामों की जमीन को छोड़ चुका है लेकिन बाढ़ से आए कीचड़ और तमाम तरह की बीमारियों ने लोगों की मुसीबत को बढ़ा दिया है। पहले लोग बढ़े जलस्तर से त्राहिमाम कर रहे थे तो वही अब पानी तो घटता नजर आ रहा है, लेकिन अपने साथ बाढ़ के पानी ने कीचड़ और बहुत सी बीमारियों को घर-घर तक पहुंचा दिया है।
कानपुर देहात जनपद से होकर गुजरने वाली यमुना नदी का जलस्तर भले ही खतरे के निशान से नीचे आ गया हो लेकिन यमुना से लगे हुए तीन दर्जन गांवों की हालत बद से बदतर हो गई है। ऐसे में लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। तस्वीरें ऐसी कि जिन्हें देखकर रूह कांप जाए हर और तबाही का ऐसा मंजर है जिसे देखकर ऐसा महसूस ही नहीं हो रहा कि यहां कभी कोई इंसानी बस्ती भी थी। यमुना नदी में आई भीषण बाढ़ ने पहले तो लोगों को अपना कहर दिखा दिया और जाते-जाते इस बार ने लोगों के सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी। ब
बढ़े हुए जल स्तर के पास करीब के गांवों में बहुत सी समस्याओं ने जन्म ले लिया। किसी के घर में रेंगने वाले जीव जंतुओं का डेरा बन गया तो कहीं अच्छे खासे मकान मलबे में तब्दील हो गए दाने-दाने को मोहताज गांव वाले किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं कि शायद उनके घर की और गांव की तस्वीर फिर से पहले जैसे हो जाएगी।
बाढ़ ग्रसित इलाकों में नेताओं और अधिकारियों का तांता रहता है
बाढ़ ग्रसित इलाकों में नेताओं और अधिकारियों का तांता लगते तो बहुत देखा होगा लेकिन लोग आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं ऐसा ही कानपुर देहात में भी देखने को मिल रहा है। यहां भी तमाम नेता अधिकारी कल कृषि क्षेत्र का मुआयना करने तो आए और बड़े-बड़े आश्वासन भी गांव के लोगों को दिए। लेकिन आश्वासन महज आश्वासन ही बनकर रह गया लोग बीमारी से जूझ रहे हैं संक्रमण अपने चरम पर है जानवर मर रहे हैं। फसलें बर्बाद हो चुकी है घर में अनाज का एक दाना भी नहीं है।
कीचड़ इतना है कि जमीन पर पैर रखना भी दूभर हो गया है जिन सड़कों पर कभी गाड़ियां चला करती थी लेकिन आज वह सड़कें कई फीट गहरे कीचड़ से पटी पड़ी है। मकान टूट गए हैं, लोग खस्ताहाल जिंदगी जी रहे हैं। बैठने और लेटने के लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं बची है, फिर भी अधिकारी लगातार स्थिति के नियंत्रण की बात कर रहे हैं। जब उन गांवों का निरीक्षण किया और हकीकत जानी चाहिए तो अधिकारियों की जुबानी बताई गई कहानी सिर्फ कहानी ही लगी ।
कानपुर देहात के महादेवा गांव की साथ ही इस गांव से लगे हुए एक अन्य गांव की भी तस्वीरें बदहाल लगी। यमुना से सटे हुए क्योटा बंगार गांव की है हमने जब बमुश्किल गांव में पहुंचने के बाद लोगों से उनके हालात जानने चाहे तो लोगों के दिलों का गुबार फूट पड़ा किसी के पास खाने की दिक्कत तो किसी के पास रहने की समस्या किसी की कई अन्य समस्या।
जमीन बर्बाद हो गई तो किसी की फसलें नष्ट हो गई कोई भुखमरी की कगार पर था तो कोई बर्बादी के मुंह आने पर हर ओर तबाही ही तबाही दिख रही थी। जब हमने लोगों से अधिकारियों के आने और सरकारी सुविधाओं के उपलब्ध कराने की बात पूछी तो जो सुनने में आया वह बेहद दर्दनाक था। लोग सुविधाओं के आश्वासन पर जिंदगी गुजर बसर करने को मजबूर थे बीमारियों ने हर घर में डेरा डाल रखा था और ऐसे लोगों का हाल पूछने वाला भी कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
इनपुट- मनोज सिंह