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UP News: पेंशन और ग्रेच्युटी के भुगतान में देरी पर ब्याज के लिए दायर हुआ मुकदमा

UP News: अधिवक्ता ने वादी का पक्ष रखते हुए कहा कि पेंशन और ग्रेच्युटी की राशि संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति है, न कि सरकार द्वारा दिया गया कोई पुरस्कार।

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Newstrack NetworkPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 25 Aug 2021 7:29 AM IST
Payment of Pension and Gratuity Matters
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पेंशन और ग्रेच्युटी के भुगतान का मामला pic(social media)

UP News: सरकारी सेवा से रिटायर व्यक्ति की पेंशन और ग्रेच्युटी(Pension and Gratuity) के भुगतान में एक दिन की भी देर होने पर ब्याज सहित भुगतान होना चाहिए। मामला यह है कि प्रयागराज निवासी संतोष कुमार सिंह राजपूत रेजीमेंट से सोलह वर्ष की सैन्य सेवा के बाद 30 सितम्बर, 2018 को डिस्चार्ज हुए। लेकिन उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान लगभग नौ महीने बाद 11 जुलाई, 2019 को किया गया, 12 जुलाई, 2019 को पत्र लिखकर व्याज की मांग की। लेकिन रक्षा-मंत्रालय द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। उसके बाद उन्होंने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से सेना कोर्ट लखनऊ में मुकदमा दायर किया।

सुप्रीम कोर्ट ने भी पेंशन को संपत्ति माना है pic(social media)

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने वादी का पक्ष रखते हुए कहा कि पेंशन और ग्रेच्युटी की राशि संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति है, न कि सरकार द्वारा दिया गया कोई पुरस्कार। इसलिए यदि वादी की संपत्ति को एक दिन भी उसकी इच्छा के विपरीत देने में देर की गई है तो उस पर ब्याज दिया जाना बाध्यकारी है।

इसके विपरीत सरकार का पक्ष रखते हुए भारत सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला सुनने योग्य ही नहीं है इसे खारिज कर दिया जाए। जिसका जवाब देते हुए वादी के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि संविधान के किस प्रावधान के तहत सरकार को अधिकार दिया गया है कि किसी की संपत्ति को देने में विलंब किया जाए। जबकि पेंशन संबंधी कार्यवाही लगभग छः माह पूर्व प्रारंभ कर दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पेंशन को संपत्ति माना है। दोनों पक्षों की जोरदार दलीलों को सुनकर उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कार्वे की खण्डपीठ ने सरकार से इंस्ट्रक्शन तलब किया है कि आखिर वादी को पेंशन देने में विलंब का कारण क्या है। मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को की जाएगी।



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Pallavi Srivastava

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