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UP News: STF और वन विभाग को मिली बड़ी कामयाबी, लकड़बग्घे के कंकाल के साथ पांच तस्कर गिरफ्तार

UP News: उत्तर प्रदेश वन संरक्षित जीवों की तस्करी का प्रमुख गढ़ बनता जा रहा है। पिछले माह वन विभाग व पुलिस के सयुंक्त अभियान में एक स्नेक तस्कर युवक को गिरफ्तार किया गया था।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Divyanshu Rao
Published on: 4 Sep 2021 3:17 PM GMT
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लकड़बग्गा की तस्वीर (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक) 

UP News: उत्तर प्रदेश वन संरक्षित जीवों की तस्करी का प्रमुख गढ़ बनता जा रहा है। पिछले माह वन विभाग व पुलिस के सयुंक्त अभियान में एक स्नेक तस्कर युवक को गिरफ्तार किया गया था। अब आज शनिवार को यूपी एसटीएफ की टीम ने वन विभाग की टीम के सहयोग से सूबे के जनपद वाराणसी से संरक्षित जानवर लकड़बग्घे के कंकाल के साथ पांच तस्करों को गिरफ्तार किया है।

पांच तस्करों को किया गया गिरफ्तार

यूपी एसटीएफ ने वन विभाग की टीम के साथ किये अपने इस ऑपरेशन के दौरान संकटग्रस्त एवं संरक्षित जानवर लकड़बग्घे के कंकाल (हड्डी ) की तस्करी करने वाले गिरोह के पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। इन अभियुक्तों के पास से लगभग ₹20 लाख मूल्य का कंकाल बरामद किया गया है। गिरफ्तार किए अभियुक्त आनंद कुमार सिंह, अरविंद मौर्या , सुदामा ,सिपाही, महमूद ,हैं। इन सभी अभियुक्तों को एसटीएस ने वृंदा होटल के पास रोडवेज बस स्टेशन के पीछे थाना सिगरा जनपद वाराणसी से गिरफ्तार किया है।

इन तस्कारों के पास से बरामद लकड़बग्घा के कंकाल कुल हड्डी 143 हैं। इन अभियुक्तों के पास से 5 मोबाइल फ़ोन भी बरामद किए गए हैं।

लकड़बग्गा के कंकाल को दवा के रूप में किया जाता है प्रयोग

वन विभाग की टीम ने बताया कि लकड़बग्गा के कंकाल को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 'एल्बम ग्रसियम' के नाम से इसे गिल्लड़, मस्से जैसे रोगों में प्रयोग किया जाता है। पूर्वी भारत में लकड़बग्घे के कंकाल से बनाई जाने वाली दवा, जीभ और चर्बी सूजनों और रसौलियों को बिठाने के लिये काम में लाई जाती है। अफ्रीका में इसकी चर्बी रोगग्रस्त अंगों पर मली जाती है।

लकड़बग्घा की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

वन विभाग ने बताया लकड़बग्घे दो प्रकार के होते हैं

वन विभाग टीम ने बताया लकड़बग्गा दो प्रकार के होते हैं- धारीदार और चित्तीदार। इसे अंग्रेजी में 'स्ट्राइप्ड हायना' और 'स्पॉटेड हायना' कहते हैं। संस्कृत में दोनों का नाम 'तरक्षु' है। भारतीय उपमहाद्वीप में धारीदार लकड़बग्घे जबकि अफ्रीका में चीतल लकड़बग्घे पाए जाते हैं।

वन विभाग की टीम ने कहा भारत में इनकी संख्या कम हो चुकी है

वन विभाग की टीम ने बताया कि अब ये भारत मे संरक्षित जीव है। भारत में इनकी संख्या काफी कम हो चुकी है क्योंकि अक्सर किसान इनके मारे मवेशियों पर जहर छिड़क दिया करते थे जिससे इनकी मौत हो जाती थी। परन्तु हाल के वर्षों में संरक्षण के प्रयासों से भारत के पश्चिमी घाट के जंगलों में लकड़बग्घों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।

वन विभाग की टीम ने बताया कि ये तस्कर लकड़बग्घे को पकड़ कर उसे कंकाल के रूप में तब्दील कर उसे जरूरतमंद लोगों को अच्छे दामों में बेचने का काम करते हैं।

Divyanshu Rao

Divyanshu Rao

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