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UP News : पहली परीक्षा में योगी सरकार पास, 8500 में सिर्फ 40 जनसंख्या बिल के खिलाफ

UP News : यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण मसौदा विधेयक पर भांति भांति के सुझाव आए हैं।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shraddha
Published on: 28 July 2021 2:31 PM IST
8500 में सिर्फ 40 जनसंख्या बिल के खिलाफ
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योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

UP News : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण (population control) मसौदा विधेयक पर भांति भांति के सुझाव आए हैं। अधिकांश लोगों का सुझाव है कि जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम (Population Control Act) का उल्लंघन करने वालों को विधायक और एमपी चुनाव लड़ने से भी रोक दिया जाए लेकिन इस तरह के सुझावों पर अमल इसलिए संभव नहीं है क्योंकि राज्य सरकार (State Government) का लोकसभा और विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) पर अधिकार नहीं है। अलबत्ता जबकि उल्लंघनकर्ताओं को स्थानीय चुनाव लड़ने से रोकने से रोका जा सकता है जैसी कि आयोग ने सिफारिश भी की सिफारिश की है।

राज्य विधि आयोग को प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण मसौदा विधेयक पर कुल साढ़े आठ हजार सुझाव मिले हैं। लेकिन योगी सरकार के लिए फायदे की बात यह है कि मात्र 0.5 फीसद लोगों को अगर छोड़ दिया जाए जो कि प्रस्तावित कानून के खिलाफ हैं तो बाकी सभी की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया ही आई है। विधेयक के विरोध में तर्क देने वालों का कहना है कि दो बच्चों के मानदंड से गर्भावस्था के दौरान लिंग निर्धारण परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या के मामले बढ़ सकते हैं। लेकिन आयोग को मिली 8,500 सिफारिशों में से सिर्फ 40 ही बिल के खिलाफ हैं।


योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

आयोग ने आम जनता के सभी सुझावों को समेट कर 2,000 पन्नों का दस्तावेज तैयार किया है। उनकी प्रकृति के आधार पर सुझावों/सिफारिशों को 53 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। आयोग के सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में पूर्व नौकरशाहों, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, वकीलों और यहां तक कि एनआरआई ने भी मसौदा विधेयक पर अपने विचार भेजे हैं और संशोधन का सुझाव दिया है।

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल का कहना है कि पैनल भारत के संविधान के आलोक में सभी सुझावों, संशोधनों और आलोचनाओं पर विचार कर रहा था। उन्होंने कहा कि आयोग को अगस्त के दूसरे सप्ताह तक राज्य सरकार के पास मसौदा विधेयक प्रस्तुत करने की उम्मीद है।


कई लोगों ने सुझाव दिया है कि बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए और दो से अधिक बच्चे वाले लोगों के वोट देने के अधिकार को कम किया जाना चाहिए। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि जिन लोगों की दो बेटियाँ हैं, उन्हें पुरुष बच्चे की आशा में तीसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने बेटियों की गिनती न करने की सिफारिश की है; अन्य चाहते हैं कि दो से अधिक बच्चे वाले माता-पिता को सरकारी राशन, अनुबंध, निविदा या लाइसेंस से दूर रखा जाए।

जनसंख्या नियंत्रण (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

उनमें से कुछ ने यह भी सुझाव दिया है कि आरक्षण का लाभ दो बच्चों के मानदंड का उल्लंघन करने वाले जोड़ों को नहीं दिया जाना चाहिए। कुछ लोगों का मत है कि गर्भपात कानून में ढील दी जानी चाहिए क्योंकि कभी-कभी परिवार नियोजन के तरीके विफल हो जाते हैं। कुछ ने तो दो या उससे कम बच्चे वाली माताओं को मानदेय देने का भी सुझाव दिया है। उनमें से कुछ ने यह भी सुझाव दिया कि कानून को आधार से जोड़ा जाना चाहिए।

कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें लगता है कि प्रस्तावित कानून निजता के अधिकार का उल्लंघन है। कुछ ने बिल के मसौदे की आलोचना की क्योंकि इसमें एकल माताओं या पिता के बारे में बात नहीं की गई थी। कुछ ऐसे थे जो जानना चाहते थे कि तलाकशुदा पति-पत्नी, जो पुनर्विवाह करते हैं, विधवा या विधुर आदि का क्या होगा।

कुछ ने यह भी सुझाव दिया कि दो बच्चों के मानदंड का पालन करने वाले मुसलमानों के लिए मुफ्त हज यात्रा होनी चाहिए। एक व्यक्ति ने यह भी सुझाव दिया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी दो बच्चों के मानदंड का उल्लंघन करता है तो कम से कम पांच वेतन वृद्धि रोक दी जानी चाहिए। कुछ का विचार था कि एक बच्चा पैदा करने के लिए प्रोत्साहन देने से हिंदू समुदाय 20 साल बाद बूढ़ा हो जाएगा, जबकि अन्य का मत था कि प्रस्तावित कानून एससी/एसटी पर लागू नहीं होना चाहिए जैसा कि असम में किया जा रहा है। ऐसी राय थी कि एक बच्चे के मानदंड का पालन करने के लिए दंपति में से किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाए। सशस्त्र बलों के जवानों को इस कानून से छूट देने के भी सुझाव दिए गए क्योंकि विभिन्न परिवारों में अपने बच्चों को सेना में भेजने की परंपरा रही है।



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