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UP Nikay Chunav: मुख्यमंत्री के शहर में भाजपा और कांग्रेस का कायस्थ कार्ड, अभिनेत्री काजल ‘साइकिल’ से बिगाड़ेगी समीकरण

UP Nikay Chunav: भाजपा ने जहां डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने नवीन सिन्हा के नाम पर मुहर लगाई है। हालांकि, सपा ने इस बार महिला और पिछड़ा कार्ड खेलते हुए भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। तो वहीं बसपा ने व्यापारी नवल किशोर नथानी को मैदान में उतारा है।

Purnima Srivastava
Published on: 18 April 2023 8:21 PM IST
UP Nikay Chunav: मुख्यमंत्री के शहर में भाजपा और कांग्रेस का कायस्थ कार्ड, अभिनेत्री काजल ‘साइकिल’ से बिगाड़ेगी समीकरण
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UP Nikay Chunav 2023 (Photo: Social Media)

UP Nikay Chunav Gorakhpur Mayor: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में महापौर पद के लिए सभी चार प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल कर दिया है। मुख्य मुकाबला भाजपा के डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव और सपा की काजल निषाद के बीच देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे नवीन सिन्हा और बसपा प्रत्याशी नवल किशोर नथानी भी लड़ाई को रोचक बनाने में जुटे हैं। कांग्रेस और भाजपा लगातार कायस्थों की नाराजगी देखते हुए इसी जाति के उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है।

भाजपा ने जहां डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने नवीन सिन्हा के नाम पर मुहर लगाई है। हालांकि, सपा ने इस बार महिला और पिछड़ा कार्ड खेलते हुए भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। तो वहीं बसपा ने व्यापारी नवल किशोर नथानी को मैदान में उतारा है। दरअसल, नगर निगम में 10 लाख 48 हजार 462 वोटर हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या कायस्थ वोटरों की ही है।

भाजपा: संघ से जुड़े हैं डॉ.मंगलेश

गोरखपुर में महापौर की सीट पहली बार सामान्य होने के बाद भाजपा में सवर्ण जाति के उम्मीदवारों ने पेशबंदी की, जिसका नतीजा है कि भाजपा को कायस्थ बिरादरी के डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव को तमाम दावेदारों को खारिज कर टिकट देना पड़ा। शहर के सुप्रसिद्ध पैथालाजिस्ट डॉ.मंगलेश श्रीवास्तव लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे हैं। मूल रूप से महराजगंज जिले के रहने वाले डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव वर्तमान में राप्तीनगर वार्ड के डॉक्टर्स एक्लेव कालोनी में रहते हैं। उनके पिता स्व.डॉ. आद्या प्रसाद दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बीएड् विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष रहे हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हुई है। कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय से उन्होंने एमबीबीएस और एमडी (पैथोलॉजी) की पढ़ाई की है।

वह वर्तमान में सरस्वती शिशु मंदिर, सरस्वती शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष हैं। पिछले 25 वर्षों से वह ‘संस्कार भारती’ के विभिन्न पदों पर आसीन रहे हैं। वर्तमान में वह संस्कार भारती एवं गोरक्ष प्रांत में प्रांतीय महामंत्री के पद पर हैं। महराजगंज के पिपरालाला में श्री विष्णु भगवान सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल संचालित करते हैं। जहां गरीब बच्चों को नि:शुक्ल शिक्षा दी जाती है। 2010 में वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। पिछले तीन दशक से तिलक पैथोलॉजी का संचालन कर रहे हैं। वह इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट एवं माइक के सदस्य हैं। डॉ. मंगलेश का भी गोरक्षपीठ के सामाजिक प्रकल्पों से गहरा जुड़ाव रहा है। मंगलेश का दावा है कि सभी के सहयोग से गोरखपुर को साफ और सुंदर बनाएंगे। शहर को जलभराव से मुक्ति दिलाना अहम मुद्दा है। शहर को इंदौर की तर्ज पर साफ रखना, स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप थ्री में लाने के लिए प्रयास होंगे। चिकित्सा सेवा के जरिये आम लोगों से पिछले तीन दशक से जुड़ा हूं। सभी के आशीर्वाद से जीत का रिकॉर्ड बनाएंगे।

टिकट हासिल करने में कामयाब हुए डॉ.मंगलेश

महापौर पद के लिए 56 से अधिक दावेदार थे। 22 सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी को भी तीन नाम के चयन में काफी दिक्कत हुई थी। जिसके बाद प्रदेश नेतृत्व को बिना स्क्रीनिंग के ही सभी नाम की सूची भेज दी गई। पिछले तीन दिनों से चल रहे मंथन के बाद डॉ.मंगलेश के नाम पर मुहर लग गई। हालांकि उन्हें शनिवार की रात में ही संघ के एक बड़े पदाधिकारी ने टिकट को लेकर आश्वस्त कर दिया था। इसी का नतीजा था कि प्रदेश से सूची फाइनल होने के पहले ही उनके आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। वह पूरी सक्रियता से लोगों की बधाई स्वीकार भी रहे थे। वैसे, महापौर के लिए डॉ.मंगलेश का नाम सीएम योगी आदित्यनाथ के विधानसभा चुनाव के समय से ही उछलने लगा था। वह गोरखपुर सदर सीट से योगी के नामांकन में प्रस्तावक बनाए गए थे।

सपा: फिल्म अभिनेत्री हैं काजल निषाद
समाजवादी पार्टी से घोषित उम्मीदवार काजल निषाद भोजपुरी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री हैं। काजल निषाद का जन्म मुंबई शहर में हुआ था। उनके माता-पिता कच्छ गुजरात से हैं लेकिन और मुंबई में बस गए हैं। काजल ने गोरखपुर के भऊआपार गांव के रहने वाले भोजपुरी फिल्म निर्माता संजय निषाद से शादी की है। टीवी सीरियल से अपना कैरियर बनाने वाली काजल निषाद 2012 और 2022 में मिली हार के बाद तीसरी बार राजनीति में भाग्य आजमाने जा रही हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में काजल निषाद कांग्रेस के टिकट पर गोरखपुर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र चुनाव लड़ी थीं पर हार गईं। फरवरी 2012 में उन्होंने बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता राम भुआल निषाद और उनके समर्थकों पर मुकदमा दर्ज कराया था।

जिसमें आरोप लगाया कि ककरखोर में चुनाव प्रचार के दौरान राम भुवाल व उनके समर्थकों ने उन पर जानलेवा हमला करवाया था। वहीं, इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने काजल निषाद को कैपियरगंज विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था। हालांकि, इस दौरान काजल को भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री फतेह बहादुर सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। 7 अगस्त 2021 को काजल निषाद को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई थी।

काजल करीब एक हजार समर्थकों के साथ सपा में शामिल हुई थीं, तभी से काजल लगातार राजनीति में काफी एक्टिव हैं। वे लगातार अखिलेश यादव के संपर्क में रहने के साथ ही हर बड़े मुदृदे पर बेबाकी से अपनी बात रखती हैं। विपक्ष की तरफ से काजल लगातार सरकार की नीतियों खिलाफ वीडियो बनाकर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हैं। वहीं उनके प्रचार के फोकस में यहां सबसे बड़े वोट बैंक खासकर निषाद समुदयाय के इलाकों में ज्यादातर सक्रिय दिखती हैं।

बसपा: व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव रह चुके नवल
बहुजन समाज पार्टी ने गोरखपुर मेयर प्रत्याशी के रूप में इस बार एक व्यापारी नेता को मैदान में उतारा है। सपा छोड़कर बसपा में आए व्यापारी नेता नवल किशोर नथानी गोरखपुर से बसपा से मेयर के अधिकृत प्रत्याशी हैं। कोतवाली क्षेत्र के बक्शीपुर निवासी नवल किशोर नथानी की प्लाइवुड के व्यापार से जुड़े हुए हैं। 2012 से उन्होंने व्यापारियों की राजनीति शुरू की। वाणिज्य विभाग से लेकर अन्य दफ्तरों में व्यापारियों की लड़ाई लड़ते हुए वह समाजवादी पार्टी से जुड़ गए।

पूर्व सांसद स्वर्गीय मोहन सिंह की विचारधारा को अपना कर उन्होंने समाजवादी पार्टी से अपनी राजनीतिक सफर शुरू की सपा सरकार में नवल किशोर नथानी सपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव रहे। नवल किशोर ने बताया कि सपा में सम्मान न मिलने पर उन्होंने एक सप्ताह पहले ही पार्टी छोड़ दी और बसपा ज्वाइन कर लिया। बहन मायावती ने उन्हें गोरखपुर से मेयर के प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया है।

कांग्रेस: छात्रसंघ के मंत्री रहे हैं कांग्रेस प्रत्याशी नवीन
कांग्रेस पार्टी ने कायस्थ मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नवीन सिन्हा को मेयर प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है। नवीन सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत डीएवी पीजी कॉलेज छात्रसंघ में महामंत्री पद का चुनाव जीत कर की थी। इसके बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ में कार्यकारिणी सदस्य रहे। पार्टी में लगातार सक्रिय रहने की वजह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने उन्हें सदस्य की जिम्मेदार दी। और अब उन्हें मेयर पद का प्रत्याशी बनाया गया है। उनके भाई निलेश सिन्हा भी डीएवी डिग्री कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं।

पहली बार सामान्य हुई मेयर की सीट
दरअसल, गोरखपुर नगर निगम में महापौर सीट का आरक्षण पहली बार सामान्य हुआ है। साल 1994 में नगर निगम के गठन के बाद से मेयर की सीट तीन बार अन्य पिछड़ा वर्ग, एक बार अन्य पिछड़ा वर्ग महिला और एक बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित रही है।

सिर्फ एक बार हारी है भाजपा
एक बार को छोड़कर हर बार मेयर पद पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा रहा है। एक बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी मेयर बनीं थीं। हालांकि, तब भी यह सीट आरक्षित थी। उन्होंने मेयर का पद जीतकर प्रदेश में किसी नगर निगम में ट्रांसजेंडर के मेयर बनने का रिकार्ड बनाया था। 12 फरवरी 1989 से 22 फरवरी 1994 तक पवन बथवाल नगर प्रमुख थे।

साल 2000 में ट्रांसजेंडर ने छिनी थी भाजपा से सीट
उन्हीं के कार्यकाल में नगर महापालिका से नगर निगम वजूद में आया था। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा के राजेंद्र शर्मा नगर निगम के पहले मेयर बने थे। साल 2000 में पहली बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी चुनाव जीतकर मेयर बनीं। तब यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित था।

साल 2006 से फिर है भाजपा का कब्जा
साल 2006 के चुनाव में मेयर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा से अंजू चौधरी मेयर चुनी गईं। वर्ष 2012 के चुनाव में मेयर की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई। इस बार भाजपा से सत्या पांडेय मेयर निर्वाचित हुईं। साल 2017 में मेयर की सीट फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा के टिकट पर सीताराम जायसवाल मेयर बने।

नगर निगम में हैं 10 लाख 48 हजार 462 वोटर
वहीं, गोरखपुर नगर निगम और 11 नगर पंचायतों में कुल 13 लाख 66 हजार 813 वोटर हैं। इनमें 7 लाख 43 हजार, 413 पुरुष और 6 लाख 23 हजार 418 महिला वोटर हैं। नगर निगम में कुल 10 लाख 48 हजार 462 वोटर हैं। इसमें 5,75826 पुरुष और 4,72,636 महिला वोटर हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या कायस्थ वोटरों की ही है।



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Purnima Srivastava

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