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UP Nikay Chunav 2023: दूसरों को परिवारवाद पर घेरने वाली भाजपा खुद को कैसे रख पाएगी अलग, मेयर पद के दावेदारों ने बढ़ाई चुनौती
UP Nikay Chunav 2023: निकाय चुनाव में प्रदेश के सभी प्रमुख सियासी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। छोटी पार्टियां भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की बात कह रही हैं। लेकिन चुनाव तैयारियों में व्यस्त भाजपा एक धर्मसंकट में फंस गई है।
UP Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की मुनादी हो चुकी है। प्रदेश के सभी प्रमुख सियासी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। छोटी पार्टियां भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की बात कह रही हैं। निकाय चुनाव पिछले साल लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचने वाली भाजपा के लिए काफी अहम है, क्योंकि अगले ही साल यानी 2024 में आम चुनाव होने हैं। चुनाव तैयारियों में व्यस्त भाजपा एक धर्मसंकट में फंस गई है।
दरअसल, पार्टी के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मंझले और निचले स्तर तक के कार्यकर्ता परिवारवाद के मुद्दे पर जमकर अपने विरोधियों को निशाने पर लेते रहे हैं। कांग्रेस से लेकर सपा, राजद, टीएमसी, एनसीपी, बीआरएस जैसी तमाम राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पार्टियों पर पीएम मोदी अक्सर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन अब उन्हीं की पार्टी में नेता अपने सगे-संबंधियों के लिए टिकट मांगते फिर रहे हैं।
अपनों को टिकट दिलाने के लिए जोर लगा रहे भाजपाई दिग्गज
जो भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद और भाई-भतीजावाद के मुद्दे पर खुद को अपने विरोधियों से कहीं गुना अधिक बेहतर बताने से नहीं थकती है, उसी पार्टी के नेता अपने सगे-संबंधियों को टिकट दिलाने के लिए लखनऊ से दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम है नंदगोपाल नंदी का। नंदी की पत्नी अभिलाषा नंदी प्रयागराज से दूसरी बार मेयर हैं। इस बार उनकी दावेदारी हल्की इसलिए पड़ रही है क्योंकि बीजेपी ने निकाय चुनाव में किसी भी विधायक, सांसद या मंत्री के रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने का निर्णय लिया है।
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंदी अपनी पत्नी की मेयर पद का टिकट कंफर्म कराने के लिए दिल्ली के बड़े नेताओं के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं। वह अपनी पत्नी की टिकट के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। मालूम हो कि प्रयागराज मेयर का पद अनारक्षित है।
राजधानी लखनऊ में भी कुछ ऐसा ही हाल है। लखनऊ उत्तर से बीजेपी विधायक नीरज बोरा और पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया अपने परिवार के सदस्य को मेयर बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। लखनऊ में मेयर का पद सामान्य वर्ग से आने वाली महिला के लिए आरक्षित है। लिहाजा विधायक नीरज बोरा अपनी पत्नी बिंदु बोरा के लिए मेयर पद का टिकट मांग रहे हैं।
वहीं, लखनऊ नगर निगम के इतिहास की पहली महिला मेयर संयुक्ता भाटिया भी चाहती हैं कि दूसरी महिला मेयर भी उन्हीं की घर की हों। साल 2017 में मेयर पद की शपथ लेकर इतिहास रचने वालीं भाटिया अपनी बहू रेशु भाटिया के लिए टिकट चाहती हैं। सियासी हलकों में इस बात की भी अफवाह है कि पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की भी इस पर नजर है। वो अपनी धर्मपत्नी को इस पद पर बैठाना चाहती हैं। डॉ शर्मा भी लखनऊ के मेयर रह चुके हैं।
फैसले पर कामय रह पाएगी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले दिनों निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला लिया था। पार्टी ने कहा था कि किसी भी कीमत पर इस बार टिकट चुनाव में किसी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजनों को नहीं मिलेगा। लेकिन जिस तरह से सरकार के बड़े मंत्री और पार्टी के चर्चित चेहरे अपनों के टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं, उससे देखना दिलचस्प होगा कि क्या भगवा दल अपने लिए फैसले पर कायम रह पाती है या नहीं।
बीजेपी अगर अपने चर्चित चेहरों के परिजनों और रिश्तेदारो को टिकट देती है तो निश्चित तौर पर विपक्षी पार्टी उसे घेरेगी। साथ ही जनता में भी एक गलत संदेश जाएगा कि पार्टी केवल विरोधियों के ही परिवारवाद को निशाना बनाती जबकि उसके खुद के घर में ऐसे लोग भरे पड़े हैं।