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UP Nikay Chunav 2023: राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं महापौर पद के लिए जिताऊ उम्मीदवार तलाशना
UP Nikay Chunav 2023: मतदाता सूची के मुताबिक 1609831 लोग वोट डालेंगे। इसमें नगर निगम में 1257440 मतदाता अपना महापौर चुनेंगे। पार्टी के नेताओं का भी कहना है कि प्रत्याशी दमदार होगा, तभी जीत की राह आसान हो सकती है।
Meerut news: उत्तर प्रदेश में नगर निगम के मेयर, नगर पालिका-नगर पंचायत अध्यक्ष और वार्ड पार्षद सीटों के लिए आरक्षण लिस्ट जारी होने के बाद महापौर समेत अन्य पदों पर दावेदारों की रेस तेज हो गई है। इसी के साथ जिताऊ उम्मीदवारों के चयन को लेकर राजनीतिक दलों में मंथन शुरु हो गया। पिछले चुनावों पर गौर करें तो मेरठ में महापौर का चुनाव जीतना राजनीतिक दलों के लिए हमेशा से मुश्किल भरा रहा है। बता दें कि नई मतदाता सूची के मुताबिक 1609831 लोग वोट डालेंगे। इसमें नगर निगम में 1257440 मतदाता अपना महापौर चुनेंगे। पार्टी के नेताओं का भी कहना है कि प्रत्याशी दमदार होगा, तभी जीत की राह आसान हो सकती है।
पिछले चुनाव में जीते थे 18 निर्दलीय
बीते चुनावों की ही बात करें तो नगर निगम के साथ पालिका व नगर पंचायतों के वार्डो में जरुर जीत भाजपा के हाथ लगी, लेकिन अध्यक्ष पद पर निराशा ही हाथ लगी है। मसलन,2017 के चुनाव में भाजपा 36 वार्डो पर जीत के साथ पहले नम्बर पर रही थी। बसपा 27 वार्डों पर जीत के साथ दूसरे नम्बर पर रही थी। सपा मात्र पांच वार्ड सीट ही जीत सकी थी। इसके अलावा कांग्रेस दो,रालोद व एआइएमआइएम के हाथ एक-एक सीट ही लग सकी थी। हैरत की बात यह रही कि इस चुनाव में निर्दलीय 18 उम्मीदवार जीते थे।
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महापौर सीट मिली थी बसपा को
इस तरह भाजपा के सबसे अधिक वार्डो पर विजय पताका फहराने के बाद भी महापौर सीट बसपा के हाथ लगी थी, जिसकी सुनीता वर्मा ने भाजपा की कांता कर्दम को हराकर भगवा रणनीति को फेल कर दिया। इस तरह पहली दलित महिला महापौर बनी थीं। ताजा महापौर के चुनाव में भी भाजपा के लिए जीत की राह इतनी आसान नहीं है। भाजपा ही नहीं दूसरी पार्टियों को भी फूंक-फूंककर कदम रखना होगा। प्रत्याशी पर भी जीत और हार का गणित काफी हद तक तय करेगा। खासतौर पर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन दोंनो में जिताऊ उम्मीदवार को लेकर अधिक कसरत हो रही है। इसकी वजह चुनाव में इन्हीं दोनों दलों के बीच मुकाबला तय माना जाना है। यही वजह है कि भाजपा-सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार के चयन को लेकर लोगों की नजरें लगी हैं। अब देखना यही है कि दावेदारों की भीड़ में उम्मीदवारी का सेहरा किसके सिर बंधता हैं।