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UP Nikay Chunav: यूपी के निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज,OBC आरक्षण पर प्रदेश सरकार रखेगी अपना पक्ष
UP Nikay Chunav: योगी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में हाईकोर्ट के इस आदेश को रद्द करने की अपील की गई है।
UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर देश की शीर्ष अदालत में आज सुनवाई होगी। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार आज सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश सरकार को बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया था।
योगी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में हाईकोर्ट के इस आदेश को रद्द करने की अपील की गई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस याचिका को मंजूर किए जाने के बाद आज पहली बार इस मामले में सुनवाई होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था यह आदेश
प्रदेश में निकाय चुनाव नवंबर में प्रस्तावित था मगर नगर विकास विभाग के ढीले रवैए के कारण सीटों और वार्डों के आरक्षण में देरी हुई। सरकार जनवरी में निकाय चुनाव कराने की तैयारी में जुटी हुई थी मगर इस बीच ओबीसी आरक्षण के मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हो गईं। इन याचिकाओं में तर्क दिया गया कि प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण नहीं तय किया गया है।
इन याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव तत्काल कराने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ओबीसी आरक्षित सभी सीटों को सामान्य मानते हुए चुनाव कराया जाए। कोर्ट ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्देशित ट्रिपल टेस्ट फार्मूले के बिना ओबीसी आरक्षण तय नहीं किया जा सकता। चूंकि इस प्रक्रिया में अधिक समय लगेगा, इसलिए सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराए।
प्रदेश सरकार कर चुकी है आयोग का गठन
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर कहा था कि सरकार ओबीसी आरक्षण देने के बाद ही निकाय चुनाव कराएगी। उन्होंने कहा था कि आरक्षण के लिए पहले पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाएगा और उसके बाद ट्रिपल टेस्ट फार्मूले के आधार पर सीटों का आरक्षण तय होगा।
प्रदेश सरकार की ओर से निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए आयोग का गठन किया जा चुका है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि दो पूर्व आईएएस और न्यायिक क्षेत्र के दो लोगों को आयोग का सदस्य बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें
अब इस मामले को लेकर देश की शीर्ष अदालत में आज सुनवाई होने वाली है। सुनवाई के दौरान नगर विकास विभाग की ओर से ओबीसी आरक्षण पर अपना पक्ष रखा जाएगा। जानकारों के मुताबिक सरकार की ओर से शीर्ष अदालत को आयोग के गठन और ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया शुरू करने के संबंध में जानकारी दी जाएगी।
सरकार ओबीसी आरक्षण देने के बाद ही चुनाव कराने के संबंध में अपना रुख स्पष्ट करेगी। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही यह तय होगा कि उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव कब होंगे।