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UP Notorious Criminals: जेल के बाहर की दुनिया देखने को तरसेंगे, हर जेल और कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष से होगी पेशी

UP Notorious Criminals: मुख्यमंत्री योगी ने जेल में बंद अपराधियों पर नकेल कसने के लिए मार्डन प्रिजन वैन को हरी झंडी दिखाने के बाद कुख्यात अपराधियों पर और सख्ती के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 14 Nov 2022 3:35 PM IST
Sonbhadra News In Hindi
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सजा। (Social Media)

UP Notorious Criminals: यूपी के दुर्दांत अपराधी जेल के बाहर की दुनिया देखने को तरसेंगे। उनकी पेशी से लेकर ट्रायल तक जेल में ही कराए जाने को लेकर यूपी सरकार (UP Government) ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इस व्यवस्था के लागू होने पर मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और बबलू श्रीवास्तव (Bablu Srivastava) समेत अन्य कुख्यात अपराधियों के लिए बाहर की दुनिया सपना बन जाएगी। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने जेल में बंद अपराधियों पर नकेल कसने के लिए मार्डन प्रिजन वैन को हरी झंडी दिखाने के बाद कुख्यात अपराधियों पर और सख्ती के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि वर्तमान समय में जेल में बंद अपराधियों की पेशी और ट्रायल को वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराने के लिए यूपी की 72 जेल और 73 कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण की जरूरत है। ऐसे में इनका जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए।

5जी टेक्नोलॉजी से बढ़ाएं कनेक्टिविटी

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुर्दांत माफिया की मैन्युअली कोर्ट में पेशी कराने पर काफी खर्च आता है। इसके साथ ही पुलिस मैनपॉवर भी काफी लगानी पड़ती है। वहीं पेशी के दौरान वे अपने गुर्गों से मुलाकात करते हैं और अपराध को अंजाम देने के लिए षडयंत्र रचते हैं। ऐसे में इनकी पेशी और ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने पर इस पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।

सीएम योगी ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए 5जी टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाए ताकि पेशी और ट्रायल के दौरान कनेक्टिविटी में कोई प्रॉब्लम न हो। इसके लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग सिस्टम के लिए अलग से बजट आवंटित किया जाए, जिससे सिस्टम को समय-समय पर अपग्रेड किया जा सके।

जेल प्रशासन ने शासन को लिखा था पत्र

डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश में कुल 72 जेल ऑपरेशनल हैं, जिसमें 62 जिला जेल, 7 सेंट्रल जेल, एक-एक नारी बंदी निकेतन, आदर्श कारागार और किशोर सदन हैं। इनमें बंद विचाराधीन कैदियों की पेशी और ट्रोयल प्रदेश की 73 कोर्ट में होती है। डीजी जेल ने बताया कि वर्तमान में सभी जेल और कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी के लिए एक-एक कक्ष हैं, लेकिन वर्तमान में बंदियों की संख्या ज्यादा होने से पूरा दिन इनकी पेशी में ही चला जाता है। ऐसे में शासन को यूपी की सभी जेलों और कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण के लिए पत्र लिखा गया था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वीडियो कांफ्रेंसिंग से केवल पेशी ही होती है। ऐसे में सभी कैदियों का ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराने की अनुमति मांगी गई थी। इस पर ही मुख्यमंत्री ने मुहर लगाते हुए जेल और कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण के निर्देश दिए हैं।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से इन घटनाओं पर लगेगी रोक

डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि कैदियों की शत-शत प्रतिशत पेशी और ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होने से अपराधी के फरार होने की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लगेगा। साथ ही दुर्दांत कैदियों द्वारा पेशी के दौरान लोगों को धमकाने, मोबाइल से परिजनों से बात करने और अपने गुर्गों के साथ अपराध को अंजाम देने के लिए षडयंत्र रचने जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी।



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Deepak Kumar

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