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पंचायत चुनावः हाईकोर्ट की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक से सरकार को राहत

हाईकोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोकने को कहा है। इस पर सोमवार को राज्य सरकार जवाब दाखिल करेगी। अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने सभी डीएम को इस संबंध में पत्र भी जारी कर दिया है।

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Published on: 12 March 2021 9:08 PM IST
पंचायत चुनावः हाईकोर्ट की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक से सरकार को राहत
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यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के रोक लगा देने से योगी आदित्यनाथ सरकार को राहत मिल गई है।

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के रोक लगा देने से योगी आदित्यनाथ सरकार को राहत मिल गई है क्योंकि पंचायत चुनावों और आरक्षण को लेकर जिस तरह से संगठन और सरकार में खींचतान चल रही थी और पंचायतों के परिसीमन आदि का कार्य फंसा हुआ था।

सरकार के लिए इतनी जल्दी चुनाव कराना संभव नहीं था। वह तो हाईकोर्ट की सख्ती और 15 मई तक पंचायतों का गठन करने के आदेश के बाद सरकारी मशीनरी ने गति पकड़ी थी, लेकिन आरक्षण का पेंच उसके लिए एक बार फिर संजीवनी बना दिखायी दे रहा है। हालांकि कुछ लोग इसे सरकार को झटका भी बता रहे हैं।

सोमवार को राज्य सरकार जवाब दाखिल करेगी

हाईकोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोकने को कहा है। इस पर सोमवार को राज्य सरकार जवाब दाखिल करेगी। अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने सभी डीएम को इस संबंध में पत्र भी जारी कर दिया है। एक जनहित याचिका के जरिये आरक्षण की नियमावली को चुनौती दी गई है। याचिका में सीटों का आरक्षण 2015 में हुए चुनाव के आधार पर करने की मांग की गई। याचिका में 1995 से आगे के चुनावों को आधार बनाए जाने को चुनौती दी है।

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UP Panchayat Chunav

दरअसल प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत का सरकार ने जो फार्मूला घोषित किया उसे लेकर सरकार और भाजपा संगठन में मतभेद थे। पार्टी के तमाम सांसद, विधायक और जिलों के अध्यक्ष शिकायत कर रहे थे कि उनके लोग पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी किये बैठे थे, लेकिन आरक्षण के नए फार्मूले की वजह से अब वह लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो गये हैं।

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सरकार के हाथ बंध गए थे

दूसरी ओर सरकार पर 15 मई तक पंचायत चुनाव की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न करवाने का दबाव भी था। आरक्षण की अंतिम सूची जारी होने के बाद दावों और आपत्तियों के लिए दिया गया समय भी सोमवार 8 मार्च को निकल गया था। ऐसे में सरकार के हाथ बंध गए थे वह इसमें किसी बदलाव की स्थिति में नहीं थी।

पार्टी में असंतोष को दबाने के लिए कहा जा रहा था कि आरक्षण की नई प्रक्रिया से अनुसूचितों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को काफी फायदा होगा। उधर भाजपा नेतृत्व की तरफ से यह भी कहा जा रहा था कि आरक्षण के नये फार्मूले का विरोध केवल वे लोग कर रहे हैं जो पंचायतों की सीटों पर पीढ़ी दर पीढ़ी कब्जा जमाए हैं। नए फार्मूले से पार्टी को होने वाले लाभ गिनाए जा रहे थे। लेकिन हाईकोर्ट के रोक लगा देने से इन सब पर विराम लग गया है।

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गौरतलब यह भी है कि निर्वाचन आयोग तो मई में चुनाव कराना चाहता था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हर हाल में 30 अप्रैल तक चुनाव कराने की बात कह दी थी। जबकि याचिकाकर्ता का कहना था कि चुनाव 13 जनवरी तक ही हो जाने चाहिए थे।

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