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UP News: 29 से पहले यूपी का बंटवारा? नहीं तो पीएम से मजबूत होगा यूपी का सीएम?
UP News: परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश के विधानसभा में करीब 100 तो वहीँ लोकसभा के करीब 30 सीटें बढ़ने की सम्भावना है।
UP News: 2025 में प्रस्तावित जनगणना के बाद उत्तर प्रदेश की आबादी 25 करोड़ से ज्यादा होने की सम्भावना है, तो वहीं 80 लोकसभा क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश की स्थिति बदल सकती है। जनगणना और परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश का बंटवारा कर दो से तीन अलग राज्य बनाने की मांग हो सकती है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो लोकसभा में 30 सीटों के बढ़ने का अनुमान है जिसके बाद उत्तर प्रदेश पहले भी ज्यादा मजबूत स्थिति में होगा यानि यह 110 लोकसभा सीटों वाला राज्य बन जायेगा। जिसके बाद केंद्र में उत्तर प्रदेश का दबदबा हो सकता है, जानकारों का मानना है कि अन्य राज्य इसे बिलकुल भी स्वीकार नहीं करना चाहेंगे।
यूपी का मुख्यमंत्री पद होगा सबसे मजबूत?
सूत्रों का कहना है कि परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश से अलग होकर तीन राज्य बनने की प्रबल सम्भावना है। यदि ऐसा नहीं होता है तो उत्तर प्रदेश की तस्वीर राजनितिक नक्शे पर सबसे मजबूत होगी और अन्य राज्यों के सत्ताधारी दल ये बिलकुल भी होने नहीं देना चाहेंगें। परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश के विधानसभा में करीब 100 तो वहीँ लोकसभा के करीब 30 सीटें बढ़ने की सम्भावना है। यानि इसके बाद उत्तर प्रदेश 503 विधानसभा और 110 लोकसभा वाला सबसे बड़ा राज्य होगा और उतना ही सबसे बड़ा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कद होगा। इस परिस्थिति में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या भी बढ़ जाएगी यानि उत्तर प्रदेश केंद्र की सरकार पर दवाब बनाने में सफल हो सकता है। ऐसे में उस दौरान उत्तर प्रदेश का जो मुख्यमंत्री होगा वो प्रधानमंत्री से कमजोर नहीं होगा।
राजनितिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष का कद भी होगा मजबूत?
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सबसे बड़े राजनितिक दल हैं। ऐसे में 110 लोकसभा और 503 विधानसभा वाले प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष का कद बढ़ जायेगा। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे दल केवल एक राज्य से ही केंद्र में अपनी मजबूत स्थिति बना सकते हैं। जिसे भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रिय पार्टियाँ होने देना नहीं चाहेंगी यानि इतनी ताकत देने से बेहतर है कि 2 या 3 अलग राज्य बना दिए जाएँ।
मोदी सरकार के एक्शन पर नज़र
राजनीति के जानकारों का मानना है कि आरएसएस और भाजपा छोटे राज्यों के समर्थक रहे हैं, स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मध्य प्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड जैसे राज्य बनाये गए हैं। परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश से अलग छोटे राज्य बनाना यदि भाजपा के लिए फायदेमंद हुआ तो मोदी सरकार इससे पीछे नहीं हटेगी। भाजपा नेता और मंत्री रह चुके संजीव बालियान और उमा भारती तो बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग पहले से कर रहे हैं तो वहीँ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यूपी के बंटवारे को गैरजरूरी बताया है और जनसंख्या को एक लाभ बताया है। यूपी के बंटवारे के लिए केंद्र सरकार को विधानसभा से अलग से प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं है। मायावती सरकार में यानि वर्ष 2011 में ही यह प्रस्ताव भेजा जा चुका था। केंद्र सरकार यदि चाहे तो यूपी का बंटवारा कर सकती है। कुछ जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज भी कर सकती है जिसके बाद बंटवारे की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।