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अपराधियों की गिरफ्तारी में फेल यूपी पुलिस, MP से लेनी पड़ रही मदद

हिंदुस्तान की जनता आज यह सोचने पर मजबूर हो गई है कि यूपी के अपराधी मध्य प्रदेश का शरणार्थी बनते ही आखिर सरेंडर क्यों कर जाते हैं ?

Newstrack
Published on: 15 Aug 2020 1:28 PM GMT
अपराधियों की गिरफ्तारी में फेल यूपी पुलिस, MP से लेनी पड़ रही मदद
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अपराधियों की गिरफ्तारी में फेल यूपी पुलिस, MP से लेनी पड़ रही मदद

भदोही: हिंदुस्तान की जनता आज यह सोचने पर मजबूर हो गई है कि यूपी के अपराधी मध्य प्रदेश का शरणार्थी बनते ही आखिर सरेंडर क्यों कर जाते हैं ? आखिर ऐसा क्या है जो यूपी से अपराधी भगोड़ा घोषित होकर मध्य प्रदेश पुलिस के हवाले अपने को कर जाते हैं। जबकि यूपी में अपने आप को कानून के हवाले नहीं करते, मतलब यूपी पुलिस अपनी गुड वर्क के लिए भी मध्य प्रदेश पुलिस के कंधे के सहारे है। कई बार तो अपराधियों को खुद भी शर्म लगने लगता होगा कि इन्हीं पुलिस वालों के छाती पर चढ़कर हमने अपराध को अंजाम दिया और यह हमारा कई वर्षों से कुछ नहीं कर पाए। अब इनके सामने हथियार डालना या सरेंडर करूं तो शर्म से डूब मरने वाली बात होगी। शायद इसी वजह से यूपी के अपराधी मध्यप्रदेश में जाकर आत्मसमर्पण करते होंगे।

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अपराधियों की गिरफ्तारी में फेल यूपी पुलिस, MP से लेनी पड़ रही मदद

एमपी पुलिस को यूपी पुलिस के फरार अपराधी इतनी आसानी से आखिर मिल कैसे जाते हैं

सवाल उठ रहा है कि एमपी पुलिस को यूपी पुलिस के फरार अपराधी इतनी आसानी से आखिर मिल कैसे जाते हैं ? मिलते भी हैं तो शांति के साथ पुलिस के सामने वे नतमस्तक कैसे हो जाते हैं ? राजनीतिक गलियारों में बहुत सी बातों का कयास लगाया जा रहा है। जहां मध्य प्रदेश कांग्रेस तो उंगलियां उठाते हुए एमपी पुलिस के साथ दोनों सूबों की बीजेपी सरकारों को भी कठघरे में खड़ा कर रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस की फ़ाइलों में फरार बने रहने वाले अपराधियों को मध्य प्रदेश पुलिस आखिर कैसे बेहद आसानी से पकड़ लेती है इस सवाल के पीछे कई सवाल खड़े हो जाना लाजमी है । या तो यह भी हो सकता है कि अपराधी अपने अपराधों को अंजाम देने के बाद धार्मिक प्रवृत्ति का मध्य प्रदेश जाकर बन जाता होगा।

बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को उज्जैन रेंज के आगर मालवा से पकड़ा गया

यूपी के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को उज्जैन रेंज के आगर मालवा में दो सहयोगियों के साथ पकड़े जाने के बाद राजनीति भी गर्मा गई है। प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश की पुलिस और शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख केके मिश्रा ने तमाम सवाल उठाते हुए कहा है किसी मुसलिम अपराधी के सामने आते ही मध्य प्रदेश की पुलिस और सरकार ऐसे तत्व को आतंकवाद से जोड़ देती है। जबकि यूपी पुलिस में मोस्ट वांटेड और बेहद गंभीर किस्म के अपराध करने वाले तत्वों को सुनियोजित तरीके से पकड़कर आवभगत करती है और बिना केस दर्ज किए ही यूपी पुलिस को सौंप देती है।

वर्तमान की घटनाक्रम को देखते हुए तो यही समझा जा सकता है कि महाकालेश्वर के दर्शन और आशीर्वाद से अपराधी संत विचार के हो जाते हैं और अपने आप को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देते हैं। मध्य प्रदेश में विजय मिश्रा का पकड़ा जाना आम लोगो के गले नहीं उतर रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में यह मामला चर्चा में है।

बाहुबली विधायक विजय मिश्रा यूपी पुलिस की फ़ाइलों में फरार हैं

बता दें उत्तर प्रदेश के भदोही से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा यूपी पुलिस की फ़ाइलों में फरार हैं और फरारी के बीच ही मिश्रा को शुक्रवार मध्य प्रदेश की पुलिस ने पकड़ लिया। यूपी में मिश्रा पर 73 मामले दर्ज हैं। ज्यादातर मामले संगीन अपराध वाले हैं। हाल ही में यूपी पुलिस को उनके रिश्तेदार के द्वारा घर कब्जा कर रहने संबंधी रिपोर्ट मिली है। मिश्रा के अलावा उनकी पत्नी और बेटे पर भी इस वारदात में लिप्त होने के आरोप हैं। विजय मिश्रा चौथी बार के विधायक हैं। तीन बार समाजवादी पार्टी से विधायक रहे और पिछला चुनाव उन्होंने निषाद पार्टी के टिकट पर जीता है। भदोही समेत यूपी के अनेक जिलों में विजय मिश्रा का बड़ा पहुंच और पकड़ है। एसपी के दौर में तो अच्छे-अच्छे लोग उनसे थर्राया करते थे। पार्टी से झंझट होने पर उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़कर निषाद पार्टी का दामन थाम लिया था।

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यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे को भी एमपी पुलिस ने पकड़ा

इससे पहले भी राज्य के लोग यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे के मध्य प्रदेश में पकड़े जाने से लेकर विकास के एनकाउंटर तक के नाटकीय घटनाक्रम को अभी भूले नहीं हैं। कमलनाथ सरकार में छेड़े गए, अभियान के बाद आपराधिक प्रवृत्ति के लोग मध्य प्रदेश छोड़कर भाग खड़े हुए थे। मगर शिवराज सरकार की वापसी के बाद ये तत्व ना केवल लौट आये हैं बल्कि फल-फूल भी रहे हैं। इनके अलावा अब यूपी समेत दूसरे राज्यों के अपराधी भी सुविधानुसार मध्य प्रदेश पुलिस और राजनीतिज्ञों का उपयोग कर रहे हैं। के के मिश्रा मीडिया प्रमुख मध्य प्रदेश कांग्रेस ने कहा यूपी के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को मध्य प्रदेश में संरक्षण देने और ऐसे लोगों के तथाकथित गाॅडफादर बने बैठे चेहरों को राज्य की खुफिया पुलिस और मध्य प्रदेश में पदस्थ केन्द्र सरकार की गुप्तचर एजेंसियों को बेनकाब करना चाहिए।

इसे संयोग कहा जाए या कुछ और क्योंकि भदोही विधायक विजय मिश्रा भी यूपी से भागने के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन पहुंचे। महाकाल के दर्शन किये और कथित तौर पर यूपी वापस लौटते वक्त आगर मालवा की पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया।एमपी पुलिस ने विजय मिश्रा को पकड़े जाने की सूचना यूपी पुलिस को दी और भदोही पुलिस विजय मिश्रा को लेकर शनिवार को वापस रवाना हो गई। वैसे भदोही विधायक ने भी कुछ दिन पहले एक वीडियो संदेश जारी कर स्वयं की हत्या की आशंका जताई थी। मिश्रा ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और कभी भी हत्या हो सकती है। विधायक का कहना था कि भदोही के गोपीगंज थाने की पुलिस ने उनके परिवार का रहना-खाना दुश्वार कर दिया है और यह सब आने वाले पंचायत चुनावों को लेकर हो रहा है यूपी पुलिस के मध्य प्रदेश पहुंचने से पहले परिजनों ने विजय मिश्रा की जान को ख़तरा होने की आशंका जताई थी।

विजय मिश्रा की बेटी ने सोशल मीडिया पर की अपील

विजय मिश्रा की बेटी ने शुक्रवार को मीडिया के माध्यम से अपील की थी कि यूपी पुलिस उनके पिता को सुरक्षित ढंग से लेकर आये और एनकाउंटर जैसी घटना उनके पिता के साथ नहीं होनी चाहिए। विजय मिश्रा की पत्नी ने भी यूपी पुलिस से ऐसी ही अपील की थी। यूपी पुलिस ने मिश्रा के परिजनों की एनकाउंटर वाली आशंका को निराधार करार दिया था।

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एमपी पुलिस ने पकड़ा गैंगस्टर विकास दुबे को भी धर दबोचा था

मध्य प्रदेश की पुलिस ने बीती 9 जुलाई को बेहद आसानी के साथ कानपुर के उस गैंगस्टर विकास दुबे को भी धर दबोचा था जिसने यूपी पुलिस के साथ-साथ योगी सरकार की नाक में भी दम कर रखा था। विकास दुबे के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में यूपी पुलिस में केस दर्ज थे। हत्या और हत्या के प्रयास से लेकर तमाम संगीन आपराधिक वारदातों का विकास आरोपी था। विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था और घटना के बाद वह फरार हो गया था। यूपी पुलिस उसे खोजती रही थी और वह एमपी पुलिस को आसानी से उज्जैन मे मिल गया था। बाद में उसे यूपी पुलिस को सौंप दिया गया और कानपुर पहुंचने से ठीक पहले एक एनकाउंटर में मारा गया था।

उमेश सिंह, भदोही

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