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UP Police: प्रदेश की पांच महिला सिपाही कराना चाहती है लिंग परिवर्तन, अब इस कानून से पूरी होगी मुराद
UP Police: यूपी पुलिस की पांच महिला सिपाहियों ने डीजी आफिस में प्रार्थना पत्र देकर लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी थी। इनमें गोरखपुर में तैनात एक महिला सिपाही का भी नाम है। प
UP Police: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस महकमे में तैनात महिला सिपाही ने पिछले दिनों पत्र देकर लिंग परिवर्तन की बात कही थी तो आला अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया था। लेकिन पहली जुलाई से लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता से महिला सिपाही की मुराद पूरी हो सकती है। इसके साथ ही प्रदेश की चार अन्य महिला सिपाही भी लिंग परिवर्तन करा सकेंगी। इसके साथ ही पुलिस भर्ती में ट्रांसजेंडर भी शामिल हो सकते हैं। वे अपना लिंग परिवर्तन करा सकते हैं। फिलहाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस तरह की सुविधा मिल रही है।
पहली जुलाई से लागू होने वाले भारतीय न्याय संहिता में ट्रांसजेंडर को कानूनी अधिकार देने के लिए दो साल पहले घोषित ट्रांसजेंडर संरक्षण सेल को हर जिले में बनाए जाने का निर्देश भी जारी कर दिया गया है। ट्रांसजेंडर को कानूनी अधिकार और उनके लिए सेल बनने के साथ ही पुलिस अफसरों से भर्ती प्रक्रिया पर भी सुझाव मांगा गया है। जानकार मानते हैं कि जल्द ही ट्रांसजेंडरों को पुलिस में नौकरी का मौका मिल सकता है।
प्रदेश की पांच महिला सिपाही कराना चाहती हैं लिंग परिवर्तन
बता दें कि 23 सितंबर 2023 को यूपी पुलिस की पांच महिला सिपाहियों ने डीजी आफिस में प्रार्थना पत्र देकर लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी थी। इनमें गोरखपुर में तैनात एक महिला सिपाही का भी नाम है। पहली बार इस तरह का मामला सामने आने के बाद डीजी आफिस से इन महिला सिपाहियों के तैनाती वाले जिले के पुलिस कप्तानों को पत्र जारी कर काउंसिलिंग कराए जाने को कहा गया था। खबर है कि हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक प्रकरण में इसे संवैधानिक अधिकार बता दिया है। ऐसे में नए कानून के बाद गोरखपुर में तैनात सिपाही का मेडिकल बोर्ड गठन कर मेडिकल करा दिया गया है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद लिंग परिवर्तन अनुमति दिए जाने की प्रक्रिया होगी। लिंग परिवर्तन के अधिकार को भी नए कानून में साफ कर दिया गया है। यानी नौकरी में आने के बाद लिंग परिवर्तन के लिए किए गए आवेदन पर भी विचार संभव है। गोरखपुर से एक महिला सिपाही पुरुष बनने के लिए आवेदन कर चुकी है, जिसका प्रार्थना पत्र विचाराधीन था। लेकिन अब मेडिकल बोर्ड गठित कर उसका मेडिकल करा दिया गया है, रिपोर्ट आने पर आगे की प्रक्रिया होगी।
सेल के गठन से आएगा परिवर्तन
जिलों में स्थापित होने वाले सेल ट्रांसजेंडर की हर पहलू पर मदद करेगा। यदि कोई किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को सरकार द्वारा लगाई गई किसी भी अनिवार्य सेवा के अलावा, जबरन या बंधुआ मजदूरी में भाग लेने के लिए मजबूर करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके अलावा शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक या आर्थिक दुर्व्यवहार करता है, तो अधिनियम के तहत यह अपराध माना जाएगा। ऐसे सभी मामलों में उस व्यक्ति या व्यक्तियों को जुर्माना और कम से कम छह महीने और दो साल तक की कैद की सजा होगी।