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UP Politics: सपा-कांग्रेस गठबंधन पर अखिलेश यादव के भाई ने दिया ऐसा बयान, कांग्रेस को लग जायेगी मिर्ची

UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अभी भी दो साल बचे हैं। लेकिन चुनाव को लेकर सरगर्मियां अभी से तेज हो गई हैं। सपा नेता और आजमगढ़ सांसद ने शनिवार को बदायूं में ऐसा बयान दे दिया है जिससे कांग्रेस पार्टी के लिये असहजता की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।

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Newstrack Network
Published on: 22 Feb 2025 5:03 PM IST (Updated on: 22 Feb 2025 10:20 PM IST)
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Akhilesh Yadav (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अभी भी दो साल बचे हैं। लेकिन चुनाव को लेकर सरगर्मियां अभी से तेज हो गई हैं। सपा नेता और आजमगढ़ सांसद ने शनिवार को बदायूं में ऐसा बयान दे दिया है जिससे कांग्रेस पार्टी के लिये असहजता की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। आजमगढ़ सांसद का कहना है कि, ""2027 का चुनाव केंद्र का नहीं, उत्तर प्रदेश का चुनाव है। इसका नेतृत्व सिर्फ और सिर्फ अखिलेश यादव को करना है। कांग्रेस के लोग हमारे सहयोगी हैं। मुझे उम्मीद है कि जैसे शानदार गठबंधन हमारा लोकसभा चुनाव में चला, वैसे ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी चलेगा।

अखिलेश ही रहेंगे विपक्ष के नेता

धर्मेंद्र यादव का यह बयान कांग्रेस के लिये साफ संकेत है कि उन्हें यूपी में समाजवादी पार्टी की परछाईं में ही रहना है। बता दें, 2024 में हुये लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुये बीजेपी को बड़ा झटका यूपी में दिया था। सपा ने लोकसभा की 37 सीटों पर तो कांग्रेस ने 6 सीटों पर अपना दमखम दिखाया। इस बड़ी जीत ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को विपक्ष के एक बड़े नेता के रूप में स्थापित कर दिया।

धर्मेंद यादव ने साफ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव की सफलता को विधानसभा चुनाव में भी दोहराने के लिये प्रतिबद्ध नजर आ रही। साथ ही सपा ने साफ संदेश दे दिया है कि नेतृत्व केवल अखिलेश यादव ही करेंगे और सपा ही विपक्षी गठबंधन की धुरी होगी।

कांग्रेस के साथ गठबंधन: मजबूरी या रणनीति?

धर्मेंद्र ने कांग्रेस को "सहयोगी" बताते हुए गठबंधन की निरंतरता पर भरोसा जताया, लेकिन उनके बयान में एक छिपा हुआ संदेश भी था। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने बेहतर तालमेल दिखाया था, लेकिन हाल के विधानसभा उपचुनावों में सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों में तनाव की खबरें आईं। कांग्रेस ने पांच सीटें मांगी थीं, जबकि सपा ने केवल दो सीटें दीं, जिससे गठबंधन में दरार की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, धर्मेंद्र का बयान यह संकेत देता है कि सपा कांग्रेस को साथ रखने के लिए तैयार है, बशर्ते नेतृत्व पर उसका दावा कायम रहे।

कांग्रेस के लिए यूपी में सपा के साथ गठबंधन एक मजबूरी और रणनीति दोनों है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा था और वह केवल दो सीटों तक सीमित रह गई थी। ऐसे में सपा के बिना यूपी में कांग्रेस का अस्तित्व मुश्किल है। लेकिन धर्मेंद्र के बयान से यह सवाल भी उठता है कि क्या कांग्रेस अखिलेश के नेतृत्व को पूरी तरह स्वीकार करेगी, या फिर वह 2027 तक अपनी ताकत बढ़ाकर सौदेबाजी की स्थिति में आने की कोशिश करेगी?



Shivam Srivastava

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