UP Politics: भाजपा के निशाने पर दलित वोट आने से बौखलाईं मायावती

UP Politics: विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने दलित वोटों को अपने पाले में और मजबूती से लाने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Dharmendra Singh
Published on: 29 Jun 2021 11:21 AM GMT
UP Politics: भाजपा के निशाने पर दलित वोट आने से बौखलाईं मायावती
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UP Politics: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने दलित वोटों को अपने पाले में और मजबूती से लाने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों 25 फुट लम्बी प्रतिमा की स्थापना करने के अलावा उनके नाम पर संग्रहालय और पुस्तकालय आदि की आधारशिला इसी वोट बैंक को हथियाने की रणनीति का हिस्सा कहा जा रहा है।

संविधान निर्माता डाॅ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर आज जिस तरह से प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा प्रेक्षागृह, शोध केन्द्र, छाया चित्र संगहालय के अलावा कई अन्य योजनाओं को पूरा कराने का संकल्प लिया है उससे साफ है कि भाजपा आने वाले विधानसभा चुनाव के पहले यह साबित करना चाहती है कि उसकी सरकार बसपा सरकार के मुकाबले दलितों की बड़ी हितैषी पार्टी है।
यही कारण है कि भाजपा सरकार की तरफ से इन सब योजनाओं पर बसपा सुप्रीमों मायावती ने आनन फानन में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे सियासी नाटक करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा हो या समाजवादी पार्टी हो अथवा कांग्रेस हो यह सारे दल डाॅ अम्बेडकर के नाम पर केवल नाटकबाजी करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो भाजपा सरकार की तरफ से बाबा साहब के नाम पर सांस्कृतिक केन्द्र का शिलान्यास करवाना नाटकबाजी नहीं तो और क्या है।

उन्होंने कहा कि भाजपा यदि दलितों की सच्ची हितैषी है तो दलित व पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित लाखों सरकारी पद अभी भी खाली पडे़ हैं तथा इनके गुरुओं, महापुरूषों और संतो के नाम पर बीएसपी सरकार ने जो स्मारक पार्क बनवाए थे। उनकी देखभाल करने का काम करें। यही काम समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ वही काम भाजपा सरकार कर रही है।
दरअसल पिछले कई चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को वोट करने वाला दलित वोट बैंक 2014 के बाद से भाजपा की झोली में बढ़ रहा है। यही कारण है कि बसपा की ताकत विधानसभा और लोकसभा में कम हुई है, लेकिन भाजपा का अभी भी मन नहीं भरा है उसे लग रहा है कि दलित वोटों को अपनी झोली में डालने वाली मायावती से बचा खुचा वोट भी हथिया लिया जाए। इसलिए केन्द्र और प्रदेश की सरकारें दलितों के लिए कई योजनाओं की घोषणा करती आई हैं। प्रदेश में दलित वर्ग की आबादी लगभग 21.5 प्रतिशत है। जिनमें से सबसे बड़ा जाटव समाज का वोट बैंक है जो मायावती को छोड़कर अबतक कहीं नहीं जाता रहा है।


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