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UP Politics News: विधानसभा चुनाव में औवेसी को लेकर राजनीतिक दलों के माथे पर शिकन
एआईएमआईएम को लेकर पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार के समय से यूपी की राजनीति में अपनी पैठ बनाने में जुटी हुई है।
UP Politics News: देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले एक बार फिर राजनीतिक माहौल गरम हो रहा है, बडे दलों में भावी रणनीति तय की जा रही हैं, छोटे दलों में गठबन्धनों का दौर शुरू हो रहा है लेकिन इन सबके बीच एक बार फिर हैदराबाद की एक क्षेत्रीय पार्टी आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) राजनीति के केन्द्र में फिर से है। यूपी विधानसभा के आम चुनाव में सांसद असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के आने से राजनीतिक दलों के माथे पर शिकन है क्योंकि ओवैसी के प्रत्याशी किसी का खेल बना सकते हैं तो कहीं बिगाड़ भी सकते हैं।
एआईएमआईएम को लेकर पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार के समय से यूपी की राजनीति में अपनी पैठ बनाने में जुटी हुई है। औवेसी को लेकर समाजवादी पार्टी सरकार उस दौरान इतनी खौफजदा थी कि विधानसभा चुनाव के पूर्व उन्हे यूपी में कहीं भी सभा करने की इजाजत नहीं दी थी। लेकिन लोकसभा और विधानसभा के आम चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी ने अपने प्रत्याशियों को उतारकर मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वालों के लिए दिक्कतें पैदा की है।
यूपी में एक दर्जन सीटों पर 40 से 52 प्रतिशत मुसलमान
उल्लेखनीय है कि यूपी में लगभग 120 सीटों पर मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत है। 40 सीटों पर उसकी आबादी 30 प्रतिशत अथवा कुछ अधिक है। जबकि एक दर्जन सीटों पर 40 से 52 प्रतिशत मुसलमान है जो किसी भी प्रत्याशी का भाग्य बदलने की ताकत रखते हैं। ओवैसी ने अपनी मजबूत दस्तक सबसे पहली फैजाबाद जिले की बीकापुर सीट पर हुए उपचुनाव में दी थी। जब उनका प्रत्याशी इस सीट पर पहली बार उतरा तो दूसरे नेताओं ने (एआईएमआईएम) को बेहद हल्के में लिया लेकिन परिणाम आने के बाद इन सभी राजनीतिक दलों की नींद उड गयी। ओवैसी के प्रत्याशी को कांग्रेस से अधिक वोट मिले।
ओवैसी की खासियत
ओवैसी की खासियत है कि वह गरीब और कमजोर तबके वाले मुस्लिम क्षेत्रों में अपनी राजनीति को ही केन्द्र बनाते हैं। उनके निशाने पर अधिकतर समाजवादी पार्टी और भाजपा ही रहती है। उनका कहना है कि सपा बसपा और कांग्रेस मुस्लिम वोटों के सौदागर हैं और समाज की भावनाओं से खेलते हैं। मुजफ्फरनगर दंगों में एक भी मंत्री ने वहां दौरा नहीं किया। बसपा भी अधिक सीटे देकर हितैषी होने का ढांग रचती है। यूपी में पिछले पंचायत चुनाव में एआईएमआईएम एक सीट जीतने में सफल हुई थी। जबकि इस बार 15 जिलों में एआईएमआईएम द्वारा समर्थित 22 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। उनकी पार्टी ने 222 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। अब एक बार फिर कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के प्रत्याशी मुस्लिम वोट अपने पक्ष में करके कांग्रेस सपा और बसपा का खेल बिगाडने का काम करेंगे।
बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सभी दलों को नुकसान पहुंचाया
बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के मैदान में आने की वजह से आरजेडी और कांग्रेस को सीटों का नुकसान तो हुआ। ओवैसी की पार्टी ने इस चुनाव में अपने बीस प्रत्याशियों को उतार और पांच पांच सीटों पर जीत हासिल की। लेकिन बिहार के बाद पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों मुस्लिम समाज पर औवेसी की जादू नहीं चल पाया। मुस्लिम बहुल 7 सीटों पर औवेसी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन बंगाल के मुसलमानों ने ममता बनर्जी का साथ दिया। खास बात यह है कि मुस्लिम राजनीति करने वाले औवेसी पर अक्सर भाजपा की मदद करने का भी आरोप लगता रहा है। लेकिन ओवैसी इन सब बातों का समय समय पर खंडन करते रहते हैं।