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UP politics: लखनऊ तक सुनी गई सैफई की शहनाई की गूंज, भाजपा को मिलेगी टक्कर
UP politics: रविवार को सैफई में मुलायम सिंह यादव की पौत्री के विवाह समारोह में अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच की दूरियां खत्म होती दिखी हैं।
UP politics: प्रदेश की राजनीति में सैफई की शहनाई ने हलचल मचा दी है। शादी के मंच पर चाचा-भतीजे के एक साथ आने और रिश्तों की गर्मी ने भाजपा नेतृत्व की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव में चाचा-भतीजे की जोड़ी और भाजपा सरकार को लेकर मतदाताओं का एंटीइनकंबेसी मूड अप्रत्याशित गुल खिला सकता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के निकट आने के साथ सूबे में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज होने लगी हैं। भारतीय जनता पार्टी ने पिछले दिनों कांग्रेस नेता जतिन प्रसाद को अपने खेमे में लाकर यह जता दिया है कि मिशन 2022 के लिए उसने कमर कस ली है। साम-दाम-दंड और भेद के सभी फॉर्मूले का प्रयोग कर वह आगामी चुनाव में विपक्ष को पटखनी देने के लिए तैयार है। भाजपा ने सरकार से लेकर संगठन तक नए चेहरों को मौका देकर वोट बैंक के समीकरण मजबूत करने शुरू कर दिए हैं।
इस बीच समाजवादी खेमे ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। रविवार को सैफई में मुलायम सिंह यादव की पौत्री के विवाह समारोह में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बीच की दूरियां खत्म होती दिखी हैं। पिछले लगभग पांच साल से रिश्तों पर जो बर्फ जमा थी वह पिघलकर दोनों नेताओं की मुस्कान में तब्दील होती दिखी है। शादी के मंच पर मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में दोनों नेता न केवल एक साथ दिखाई दिए बल्कि एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए भी हैं। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं की एक दिन पहले मुलायम सिंह यादव के पैतृक आवास पर मुलायम सिंह की मौजूदगी में मुलाकात हुई है। इस मुलाकात में दोनों ने आपसी संबंधों के साथ ही राजनीतिक मोर्चाबंदी को लेकर भी बात की है। रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव की भी अलग से मुलाकात हुई है। गौरतलब यह भी है कि शादी समारोह में प्रोफेसर राम गोपाल यादव भी मौजूद रहे लेकिन जब दोनों नेता मुलायम सिंह के साथ शादी के स्टेज पर पहुंचे थे तो बीच में वह नहीं दिखे। इससे पहले माना जाता रहा है कि शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच प्रोफेसर की भूमिका नकारात्मक रही है। शिवपाल सिंह यादव उन पर खुला आरोप भी लगा चुके हैं।
सैफई का राजनीतिक संदेश पूरे प्रदेश तक पहुंचा
सैफई में शादी समारोह के दौरान चाचा-भतीजे की मुलाकात और संबंधों की निकटता का संदेश पूरे प्रदेश में पहुंचा है। भाजपा खेमे के लिए जहां यह चिंता बढ़ाने वाली बात है वहीं सपा कार्यकर्ताओं का उत्साह आसमान छूने लगा है। इसकी बड़ी वजह है कि चाचा शिवपाल सिंह यादव का प्रदेश के सभी जिलों में अच्छा -खासा प्रभाव है। वह समाजवादी पार्टी को इटावा व आस-पास के जिलों में हराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं तो दूसरे इलाकों में भी हजार से लेकर पांच-दस हजार वोट बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। सपा का कार्यकर्ता भी पिछले चार साल से यह दुआ करता रहा है कि चाचा-भतीजे में सुलह हो जाए। रविवार को ही सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज की बाढ़ आ गई जिसमें चाचा-भतीजे की जोड़ी को भाजपा की आखिरी कील बताया गया है।
होली-दीपावली पर भी नहीं मिलते थे शिवपाल और अखिलेश
समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में पिछले सालों में दूरी इतनी बढ़ गई थी कि सैफई में दोनों नेता एक -दूसरे के सामने आने से बचते रहे हैं। सैफई के लोगों ने देखा है कि होली का समारोह भी सैफई में दोनों ने अलग-अलग मनाया है। लोकसभा चुनाव के बाद हालांकि दोनों के रिश्तों में पड़ी बर्फ पिघलने लगी थी। अखिलेश यादव ने कई बार यह कहा है कि वह चाचा शिवपाल सिंह यादव की सीट पर सपा प्रत्याशी नहीं उतारेंगे। कई बार प्रसपा के सपा में विलय की बात भी उठी लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने इसका हर बार जोरदार तरीके से खंडन किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार शादी समारोह में दोनों नेता भले ही एक साथ दिखे हैं लेकिन चुनाव में आपसी तालमेल का तरीका ही काम आएगा।