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यूपी परिवहन निगम जरा इन बातों पर दे ध्यान, तो बन सकती है बात

यूपी परिवहन निगम की बसों के लिए पिछले तीन महीने बेहद खराब रहे हैं। रोडवेज बसों में हादसों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है।

tiwarishalini
Published on: 10 Aug 2017 5:40 PM IST
यूपी परिवहन निगम जरा इन बातों पर दे ध्यान, तो बन सकती है बात
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लखनऊ: यूपी परिवहन निगम की बसों के लिए पिछले तीन महीने बेहद खराब रहे हैं। रोडवेज बसों में हादसों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। तीन महीने में 160 दुर्घटनाओं में करीब 100 से अधिक यात्रियों ने जान गवाईं है। जून महीने में कई बड़ी घटनाएं हुईं। जिनमें बरेली हादसे ने यात्रियों को झकझोर कर रख दिया है। यात्री बसों से सफर करने में कतरा रहे हैं। ऐसा परिवहन के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतने कम अंतराल पर इतने हादसे हुए हों। परिवहन मंत्री से लेकर विभाग की ओर से दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने की कवायद चल रही है। परिवहन निगम की सुविधाओं को सुधारने की आवश्यकता है।

सीएम भी दे रहे हैं जोर

सीएम योगी आदित्यनाथ बसों में मॉडर्न टेक्निक का इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन विभागों को मॉडर्न होना अभी बाकी है। हालांकि, परिवहन निगम आधुनिक टेक्निक्स से लैस है। वेहिकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) के तहत ड्राइवर के व्यवहार पर नजर रखने में सक्षम है।

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टेक्निक को सुधारने की जरुरत

जीपीएस के माध्यम से बस की सही लोकेशन का पता चल जाता है। दुर्घटना होने का सबसे अधिक कारण बसों का तेज रफ्तार से चलना है। अधिक हादसे करने वाले चालकों की पहचान कर सीसीटीवी कैमरे के सामने प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। बहुत सारी खूबियां हैं। लेकिन केवल टेक्निक को आधुनिक तौर पर प्रयोग करने में असुविधा आ रही है। वर्तमान में मिल रही आधुनिक टेक्निक्स में सुधार कर दिया जाए तो बात बन सकती है।

वीटीएस बोलता है

वेहिकल ट्रेकिंग सिस्टम (वीटीएस) आरएम, एआरएम और हेड ऑंफिस को बसों के सही लोकेशन के बारे में बताता है। कौन सी बस कहां और किस रुट पर चल रही है इसकी जानकारी मिल जाती है। रोडवेज की बसों में वीटीएस तीन साल पहले लगे थे। परिवहन की ओर से वीटीएस मशीन लगाने का काम ट्राईमैक्स कंपनी करती है। मशीन में एक सिम लगा होता है जो जीपीएस के माध्यम से लोकल नेटवर्क को कनेक्ट कर बसों की पोजिशन बताता है।

इन कमियों को दूर करें, तो बात बने

1-वीटीएस आधुनिक टेक्निक से लैस है। लेकिन इसको लेकर कई खामियां हैं। चालक बसों की सही लोकेशन का अधिकारियों को जानकारी नहीं देना चाहते हैं। इसलिए इसमें खेल कर देते हैं। मशीन का एक तार बस में लगी बैटरी और दूसरा तार ऐक्सेलरेटर में लगा रहता है। चालक किसी एक तार को छुड़ा देते हैं। जिससे बसों में लगे वीटीएस काम करने बंद कर देते हैं। आला अधिकारियों को बसों का लोकेशन नहीं पता चल पाता है।

2-वर्कशॉप में काम करने वाले कर्मचारियों को वीटीएस मशीन ठीक करने की अच्छी जानकारी नहीं होती है। इसके चलते खराब मशीनें बहुत दिनों तक खराब रह जाती हैं। कर्मचारियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

3-पहाड़ी क्षेत्रों में वीटीएस मशीन फेल है। क्योंकि मशीन में लगे सिम में नेटवर्क चला जाता है। जिससे वीटीएस सिग्नल नहीं दे पाता है। चालक मनमाने तरीके से बसों को चलाते हैं।

4-चालकों को वीटीएस पर खेल करने से रोकना होगा।

अधिक रफ्तार जो ले ले जान

अधिकतर हादसे बसों की तेज स्पीड के चलने से होते हैं। इसलिए चालकों को परिवहन विभाग की ओर से मिली गाइडलाईन से चलने के लिए अनुशासित करना होगा। कैसरबाग बस स्टेशन के एआरएम एमके शर्मा ने बताया कि रोडवेज बसों में कई प्रकार की बसें हैं और उनको चलाने के लिए स्पीड निर्धारित है। उन्होंने बताया कि चालकों को तय स्पीड से चलने के लिए निर्देश दिया जाता है लेकिन हाईवे पर वे बेलगाम हो जाते हैं।

ट्रैक बस सॉफ्टवेयर को करना होगा हाईटेक

ट्रैक बस सॉफ्टवेयर को मॉडर्न करने की जरुरत है। यह ईटीएम से वर्क करता है। कौन सी बस कहां, कितने देर रुकी ट्रैक बस सॉफ्टवेयर बताता है। लेकिन इसमें यह कमी है कि इसका नेटवर्क जियो टैग अभी ठीक तरीके से काम नहीं करता है। इसमें सुधार होने चाहिए।

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चालक बनने के लिए दो चरण

पहले की चालक भर्तियों में केवल एक चरण होता था। चालक आठवीं पास और दो साल का कॉमर्शियल लाइसेंस होने के साथ मौके पर गाड़ी चलाते दिखाते थे तो नौकरी मिल जाती थी। लेकिन अब दो चरणों में चालक का चुनाव हो रहा है। अब योग्यता के साथ-साथ उनको विशेष प्रशिक्षण का दौर पास करने के बाद ही नौकरी मिल रही है।

चिन्हित चालकों को विशेष प्रशिक्षण

जो चालक अधिक दुर्घटना करते हैं उनकी पहचानकर उनको कानपुर प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में प्रशिक्षण होता है। चढ़ाई-उतराई पर चालक कैसे चला रहा है, इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। चालकों को यातायात नियमों की जानकारी भी दी जाती है।

व्हॉट्सएप सर्विस को करें बेहतर

परिवहन निगम की ओर से एक व्हॉट्सएप नंबर 9415049606 है। ये सर्विस रास्ते में अचानक खराब होने वाली बसों की मदद के लिए है। इसके तहत इस नंबर की मुख्यालय में हर घंटे मॉनिटरिंग होती है और शिकायत आने पर तत्काल बस की लोकेशन लेकर नजदीकी वर्कशॉप से टीम मौके पर भेजी जाती है। लेकिन अभी यह सर्विस एक तरह से ठप है। इस पर सुधार किया जाए तो यात्रियों को परेशानी में मदद मिलेगी।

इस नंबर पर भेजे फोटो

कोई भी व्यक्ति बस चलाते हुए फोन पर बात करते चालक की फोटो परिवहन निगम के व्हॉट्सएप नंबर 9415049606 पर जैसे ही भेजेगा, वैसे ही परिवहन निगम की तरफ से संबंधित व्यक्ति को मैसेज आएगा। मैसेज भेजने वाले व्यक्ति को निगम की ओर से 1000 रुपए ईनाम दिया जाएगा। शिकायत मिलने पर चालकों से 5,000 रुपए जुर्माने के तौर पर निगम वसूलेगा।

बसों में आग बुझाने के उचित उपाय हों

रोडवेज की बसों में आग लगने पर अक्सर फायर किट काम नहीं करते हैं। निगम को बसों में हमेशा फायर सिस्टम दुरस्त रखना चाहिए। जिससे कि मौके पर दुर्घटना होने पर मदद मिल सके।

इमरजेंसी खिड़की को सही करें

अधिकतर बसों में आपातकालीन खिड़की जाम है। उसको ठीक करने से बात बन सकती है। बरेली की घटना के बाद से परिवहन निगम के अधिकारियों का ध्यान इस ओर गया है। सभी बसों में आपातकालीन खिड़की काम करनी चाहिए। अभी हाल में ही परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने बसों की आपातकालीन दरवाजों का निरीक्षण किया था। मंत्री ने खुद से आपातकालीन दरवाजा खोलना चाहा था लेकिन नहीं खुली थी। इस पर परिवहन मंत्री ने सभी बसों के आपातकालीन दरवाजे दुरस्त कराने के निर्देश दिए हैं।

दो महीने में हुए हादसों के आंकड़े

अवधि हादसों की संख्या प्राणघातक हादसे मृतक घायल

अप्रैल 2017 70 35 46 122

मई 2017 80 41 50 94

पिछले साल का आंकड़ा

अवधि हादसों की संख्या प्राणघातक हादसे मृतक घायल

अप्रैल 2016 61 35 42 105

मई 2016 57 33 41 71

दो महीने में 100 से अधिक यात्रियों की मौत हुई है। जून महीने में बरेली में बस टकराने से 24 यात्रियों की मौत हो गई। परिवहन निगम में ऐसा पहली बार है जब इतने कम समय में इतने अधिक हादसे हुए हों।

क्या कहना है आरएम एके सिंह का ?

केवल आधुनिक टेक्निक का प्रयोग कर इन हादसों को कम किया जा सकता है। हमारी ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है। चालकों को तय स्पीड से बसों को चलाने के निर्देश दिए गए हैं। वीटीएस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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