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UP NEET Admission Fraud: आयुष घोटाले में UP STF की ताबड़तोड़ कार्रवाई, पूर्व आयुर्वेद निदेशक सहित 12 गिरफ्तार
UP NEET Admission Fraud: आयुष घोटाले में UP STF ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए पूर्व आयुर्वेद निदेशक सहित 12 को गिरफ्तार किया है। newstrack.com ने 4 नवंबर को खबर प्रकाशित की थी।
UP NEET Admission Fraud: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आयुष कॉलेजों में 'दाखिले के खेल' के बाद कार्रवाई हुई है। UP STF ने सस्पेंड आयुर्वेद निदेशक एसएन सिंह सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी गिरफ्तारियां गुरुवार देर रात हुई थी। newstrack.com ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए बड़े चेहरों पर गाज गिरने की संभावना जताई थी। हालांकि, अभी सफेदपोशों पर किसी प्रकार का एक्शन नहीं हुआ है। मगर, आने वाले दिनों में उन पर भी गाज गिरे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
दरअसल, यूपी के आयुष कॉलेजों में 'दाखिले के खेल' से नाराज कुछ छात्रों ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी। जिसके बाद से ही यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर केंद्र की भृकुटि तन चुकी थी। इस बाबत केंद्रीय आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) की ओर से एक पत्र यूपी के आयुष विभाग को भेजा गया था। जिसमें मामले की जांच के बाद रिपोर्ट भेजने को कहा गया था। मंत्रालय की इस चिट्ठी के बाद से ही यूपी आयुष विभाग सहित मंत्रालय में हड़कंप मचा था। ये कार्रवाई उसी की बानगी है। आपको बता दें, newstrack.com ने 4 नवंबर 2022 को इस खबर को प्रमुखता से लिया था। हमें तभी कहा था कि जल्द ही इस पर कार्रवाई हो सकती है।
किन-किन पर गिरी गाज?
यूपी एसटीएफ (UP STF) ने गुरुवार देर रात निलंबित आयुर्वेद निदेशक एसएन सिंह (SN Singh), आयुर्वेद सेवाओं के प्रभारी डॉ. उमाकांत यादव (Dr. Umakant Yadav) और काउंसलिंग का काम देखने वाली एजेंसी के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह (Kuldeep Singh) सहित कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद STF ने सभी को कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
UP STF ने एसएन सिंह, डॉ. उमाकांत यादव और कुलदीप सिंह के अलावा कार्यदायी संस्था अपट्रान पावरट्रॉनिक्स लिमिटेड (Uptron Powertronics Ltd) के प्रबंधक प्रबोध सिंह और रूपेश श्रीवास्तव तथा वी-थ्री सॉफ्ट सॉल्यूशन (V3 Soft Solution Pvt Ltd) के गौरव कुमार गुप्ता, हर्षवर्धन तिवारी, सौरभ मौर्या, इंद्रदेव मिश्र, कैलाश चन्द्र भास्कर, रूपेश रंजन पांडेय और कानपुर निवासी राजेश सिंह को भी गिरफ्तार किया है।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि, होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी के स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आयुर्वेद निदेशालय (Directorate of Ayurveda) ही काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित करवाता रहा है। साल 2016 से पहले BAMS, BUMS और BHMS कोर्सों में दाखिले के लिए राज्य अलग से परीक्षाएं आयोजित करवाता था। मगर, 2016 में इन कोर्सों में दाखिले के लिए भी NEET को ही अनिवार्य कर दिया गया था। इस बार काउंसलिंग के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़े की शिकायत की। शिकायतकर्ताओं ने पहले कम्प्लेन राज्य के आयुष विभाग और आयुर्वेद निदेशालय में की। मगर, यहां के अधिकारी सुस्त बने रहे। अधिकारियों ने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। कार्रवाई न होता देख शिकायतकर्ताओं ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय में अपनी शिकायत दी।
नीट रैंकिंग में हेरफेर भी
इस मामले की जांच में सिर्फ बिना NEET दाखिले का ही मामला नहीं था, बल्कि एडमिशन के लिए नीट रैंकिंग में हेरफेर की बात भी सामने आई। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 6 नवंबर को ही इसकी जांच जांच एसटीएफ को सौंप दी थी। अगले ही दिन जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश भी कर दी थी।
STF के हाथ लगा हेरफेर का डेटा
दाखिले के इस खेल में FIR दर्ज होने के बाद से STF लगातार इन सभी से पूछताछ कर रही थी। नीट की मेरिट तथा रैंकिंग में बदलाव का डेटा भी एसटीएफ के हाथ लगा है। इसके बाद मामला स्पष्ट होने लगा। STF ने इन सभी को आमने-सामने बैठाकर गड़बड़ियों के बारे में पूछा। इस जांच में कई अहम साक्ष्य सबूत मिलने के बाद गिरफ्तारी हुई है।