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Varanasi: पासपोर्ट तैयार और वजन भी पूरा, बनारस की गलियों के ये देसी जल्द ही बन जाएंगे विदेशी

Varanasi Street Dogs: वाराणसी के दो कुत्तों की विदेशियों से दोस्ती की अनोखी कहानी...

Snigdha Singh
Published on: 21 May 2023 7:14 PM IST
Varanasi: पासपोर्ट तैयार और वजन भी पूरा, बनारस की गलियों के ये देसी जल्द ही बन जाएंगे विदेशी
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जया मोती (फोटो: सोशल मीडिया)

Varanasi Street Dogs: 'हर कुत्ते का दिन आता है' ये कहावत कभी न कभी तो आपने जरूर सुनी होगी। आज इसे आप सिद्ध होते भी देखेंगे। वाराणसी के दो देसी डॉग्स के ऐसे दिन बहुरे कि ऐसा शायद पहली बार हुआ हो। दरअसल, वाराणसी के दो देसी डॉग (मेल-फीमेल) अब विदेश जाएंगे। इनका पासपोर्ट बनने के साथ ही सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई है। पढ़िए बनारस की सड़कों से लेकर विदेश के महल तक का क्या है पूरा सफर...

कहानी ये है कि इटली और नीदरलैंड के दो पर्यटक उत्तर प्रदेश की प्राचीन नगरी काशी भ्रमण पर आए थे। इस दौरान घाट और काशी की गलियों में अलग-अलग दोनों विदेशियों की मुलाकात जया और मोती से हुई। नीदरलैंड की रहने वाली मिरल दरभंगा घाट घूम रहीं थी। इस दौरान रास्ते में इनको घायल हालत में जया मिली। मिरल ने स्थानीय एक एनजीओ से संपर्क साधा। जया का इलाज कराया। मिरल ने डॉग को एडॉप्ट कर लिया। मिरल को यहां से जाने के बाद अपनी दोस्त की याद आई तो दोनों को ले जाने की कवायद शुरू की। इसके बाद अब जया का पासपोर्ट बनने के साथ ही पूरी तैयारी हो गई है।

मोती की कैसे हुई दोस्ती

वहीं इटली की रहने वाली वीरा लज्जारेती की दोस्ती काशी की गलियों में भ्रमण के दौरान मोती से हो गई। वीरा ने मोती के साथ काफी समय बिताया। मोती इतना पसंद आया कि उसको गोद लि लिया। वीरा ने वापस जाकर एनजीओ के माध्यम से उसे अपने पास बुलाने की प्रक्रिया शुरू की। पासपोर्ट अप्लाई करने के साथ ही वजन फिक्स कराया। वैक्सीनेशन आदि सभी औपचारिकताएं पूरी कराई।

पालतू जानवर को विदेश ले जाने के लिए क्या जरूरी है?

किसी भी जानवर विदेश ले जाने की लिए कई फॉर्मेलिटी करनी होती है। यात्रा करने से पहले पेट्स का टीकाकरण होना चाहिए। पेट्स का कंपेनियनशिप पासपोर्ट बनवाना पड़ता है। पेट्स का वजन पांच किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पेट्स को वेंटिलेटेड बाक्स में ले जाना होता है। पासपोर्ट जैसे तमाम औपचारिकताओं के साथ ही फ्लाइट कमांडर की अनुमति लेनी होगी। डॉग्स को विदेश भेजने की प्रक्रिया बड़ी जटिल है और इसका खर्च 20 से 25 हजार आता है। दोनों देशों की जांच लैब में भेजकर उनका सीरम टेस्ट करवाया जाता है। उसके बाद वहां से ओके होने पर दोनों डॉग्स को एक चिप लगाईं गई है जो बारह अंकों के कोड से जनरेट हैं। इसे स्कैन करने पर डॉग की पूरी डिटेल मिल जाएगी।



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