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UPSIDC के चीफ इंजीनियर प्रोजेक्ट अरूण मिश्रा के खिलाफ जारी रहेगी विभागीय जांच: कोर्ट
एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि यदि किसी कर्मचारी के लिखाफ आरेाल लगते हैं तो उसकी जाचं कराना उचित है। यदि जांच मेें कर्मचारी निर्देाष पाया जाता है तो उसे सवेतन बहाल कर दिया जाता है । कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता केा देखते हुए इसमें जांच होना आवश्यक है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने राज्य सरकार को यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजीनियर प्रेाजेक्ट अरूण कुमार मिश्रा के खिलाफ विभागीय जांच के लिए हरी झंडी दे दी है। केार्ट ने उनके निलंबन के बावत कहा कि मिश्रा को वेतन मिलता रहेगा किन्तु जांच के दौरान उनसे कार्य लिया जाये अथवा नहीं यह सरकार की मर्जी पर निर्भर होगा।
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यह आदेश जस्टिस शबीहुल हस्नैन व जस्टिस आलेाक माथुर की डिवीजन बेचं ने राज्य सरकार व यूपीएसआईडीसी की ओर से एकल पीठ के 14 दिसम्बर 2018 के आदेश के खिलाफ अलग अलग दायर विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवायी कर अपीलों को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए पारित किया।
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एकल पीठ ने 14 दिसम्बर 2018 केा एक आदेश पारित करके मिश्रा के खिलाफ चल रहीं विभागीय जांच की कार्यवाही को स्टे कर दिया था और साथ ही मिश्रा के निलंबन पर भी रोक लगा दी थी। सरकार व यूपीएसआईडीसी ने अपीलें दायर कर दलील दी थी कि एकल पीठ ने जल्दबाजी में इस आधार पर स्टे आदेश पारित किया था कि सरकार मिश्रा के खिलाफ विभागीय जांच में दुर्भावना से देर कर रही थी जबकि सत्यता यह थी कि मिश्रा के खिलाफ जाचं में किसी प्रकार की देरी नहीं की गयी थी और उनके खिलाफ आरेापपत्र तैयार हो गया था कि किन्तु सरकारी वकील को मामले में पूरा विवरण लेने का मौका नहीं दिया गया था जिसके कारण सरकार का पूरा पक्ष एकल पीठ के सामने नहीं पेश किया जा सका था।
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कहा गया कि मिश्रा के खिलाफ एमडी ने प्रथम दृष्टया जांच कर सरकार को रिपेार्ट दी थी जिस पर सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मिश्रा केा 16 अप्रैल 2018 केा निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच बिठा दी थी।
एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि यदि किसी कर्मचारी के लिखाफ आरेाल लगते हैं तो उसकी जाचं कराना उचित है। यदि जांच मेें कर्मचारी निर्देाष पाया जाता है तो उसे सवेतन बहाल कर दिया जाता है । कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता केा देखते हुए इसमें जांच होना आवश्यक है।