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अमेरिका के डेरेक चाउविन और यूपी के आईपीएस मणिलाल पाटीदार में क्या है अंतर
यूपी का भगोड़ा आईपीएस मणिलाल पाटीदार एक लाख का इनामी होने के बावजूद पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। अमेरिका के पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन को दो दिन पहले अदालत ने 22 साल छह महीने की जेल सजा सुनाई है।
लखनऊ: अमेरिका के पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन को दो दिन पहले अदालत ने 22 साल छह महीने की जेल सजा सुनाई है। दूसरी ओर यूपी का भगोड़ा आईपीएस मणिलाल पाटीदार एक लाख का इनामी होने के बावजूद पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। अमेरिका और यूपी का अंतर समझाने वाली इन दोनों घटनाओं से कानून-व्यवस्था और सरकार की नागरिक पक्षधरता का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
हालांकि यूपी सरकार ने पाटीदार को जबरन रिटायर करने और राजस्थान स्थित घर की कुर्की का इरादा जाहिर किया है। आईपीएस लॉबी और हाईकोर्ट की पेचदगियों में फंसकर पूरा मामला पटरी से उतरता दिख रहा है।
अमेरिका के अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लायड की हत्या मामले में अमेरिकी अदालत का फैसला तीन दिन पहले आया है। अमेरिका के शहर मिनियापोलिस के पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन को अदालत ने जॉर्ज फ्लायड की हत्या का दोषी माना है। अदालत ने उन्हें 22 साल छह महीने तक जेल में रखने का आदेश सुनाया है।
इससे पहले हेनेपिन काउंटी कोर्ट ने भी डेरेक चाउविन को हत्या का दोषी करार दिया था। अदालत के फैसले के साथ ही मिनियापोलिस के लोक अभियोजक को भी याद करना जरूरी होगा जिन्होंने कुछ महीनों के अंदर ही मामले में ऐसा आरोप पत्र तैयार किया जिससे डेरेक को बचने का मौका भी नहीं मिला। महज एक साल के अंदर काउंटी कोर्ट से लेकर सीनियर कोर्ट ने भी अपना फैसला सुना दिया।
क्या है मामला
25 मई 2020 को पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने मिनियापोलिस की एक गली में जॉर्ज फ्लायड की गर्दन पर अपना घुटना रखकर नौ मिनट तक दबाए रखा। इससे जॉर्ज की मौत हो गई थी। इस मामले में लोक अभियोजक ने अदालत से कहा था कि डेरेक को कम से कम 30 साल की सजा सुनाई जाए।
यूपी के मोस्ट वांटेड आईपीएस मणिलाल पाटीदार
उत्तर प्रदेश के आईपीएस मणिलाल पाटीदार को योगी सरकार ने पिछले साल महोबा का पुलिस अधीक्षक बनाया था। सितंबर 2020 में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अवैध वसूली के लिए महोबा के स्टोन क्रशर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी को प्रताडि़त किया । सितंबर में संदेहजनक स्थितियों में इंद्रकांत की गोली लगने से मौत हो गई।
सरकार की एसआईटी जांच में मणिलाल के भ्रष्टाचार में शामिल होने और इंद्रकांत को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी बताया गया। इसके बाद पाटीदार के खिलाफ मुकदमा लिखा गया लेकिन पुलिस गिरफ्त में आने से पहले ही वह फरार हो गए। लगातार मीडिया में खबरें सामने आती रहीं तो आईपीएस को पकडऩे में नाकाम रही पुलिस ने उन पर इनाम घोषित कर दिया। अब उन पर एक लाख का इनाम घोषित हो चुका है।
इस बीच पाटीदार की ओर से हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल हो चुकी है। योगी सरकार ने हालांकि मार्च के दूसरे पखवारे में तय किया कि मणिलाल पाटीदार को जबरन रिटायर किया जाएगा। इसके बावजूद अब तक न उनके घर की कुर्की हो सकी है और न सरकार उन्हें पुलिस सेवा से हटा ही सकी है। दावा किया जा रहा है कि उनकी तलाश मेें एसटीएफ भी लगी है।
अमेरिका में कानून -व्यवस्था के मामले में राजनीतिक दखल शून्य है लेकिन हमारे यहां इसका ठीक उल्टा है। उत्तर प्रदेश में पुलिस की अवैध वसूली का खेल गुंडों -बदमाशों से बढक़र हो गया है। विवेक तिवारी हत्याकांड से लेकर कानपुर अपहरण कांड व महोबा कांड इसके उदाहरण हैं।
पुलिस को गुंडों की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। गुजराती सिंडीकेट की शह पर गुजरात के पाटीदार समाज के मणिलाल पाटीदार को अवैध वसूली के लिए न केवल प्रोत्साहन मिला बल्कि उसे संरक्षण भी मिला हुआ है। यही वजह है कि एक लाख का इनामी होकर भी वह फरार है और अमेरिका में डेरेक चाउविन को सजा सुना दी गई।
डॉ उमाशंकर पांडेय , प्रवक्ता उत्तर प्रदेश कांग्रेस