यूपी परिवहन निगम की बसों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा सकता है 'यूटीएस'

यूपी परिवहन निगम की बसों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने में यूटीएस काफी मददगार साबित हो सकता है। यूटीएस के बेहतर प्रयोग से आए दिन हो रही रोडवेज की बसों के हादसों पर अंकुश लग सकता है।

tiwarishalini
Published on: 9 July 2017 1:40 PM GMT
यूपी परिवहन निगम की बसों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा सकता है यूटीएस
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अमित यादव

लखनऊ: यूपी परिवहन निगम की बसों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने में यूटीएस काफी मददगार साबित हो सकता है। यूटीएस के बेहतर प्रयोग से आए दिन हो रही रोडवेज की बसों के हादसों पर अंकुश लग सकता है। दरअसल, यूटीएस एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस होता है जो बसों में लगाया जाता है और इसका कंट्रोल संबंधित विभाग के अधिकारी के हाथ में होता है।

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यूटीएस से चालक बस को कितनी स्पीड में चला रहा है इसकी ऑनलाइन जानकारी मिल जाती है। यूटीएस की मदद से अधिकारी हाई स्पीड में चला रही बसों की पहचान कर लेते हैं और उन पर लगाम भी लगा सकते हैं। लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते रोडवेज की ज्यादातर बसों में यूटीएस सिस्टम काम नहीं करता है। इससे चालक अपने मनमाने ढंग से बसों को चलाते हैं।

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यूपी की रोडवेज बसों में इन दिनों पहले से अधिक हादसे हो रहे हैं। अधिकतर दुर्घटनाओं की वजह बसों का हाई स्पीड चलना है। बस के चालक निर्धारित गति सीमा का पालन नहीं करते हैं। इसलिए बसों में सवार यात्री इन दिनों अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं।

चालक क्या करते हैं खेल ?

यूटीएस बसों में हैंडिल के बगल में रहता है। यूटीएस बसों की स्पीड के बारे में बताता है। इससे दो तारे निकलती हैं एक बैटरी में तो दूसरी एक्स्सिलेटर (स्पीड को अधिक-कम करने वाला ) के पैंडिल में सेट रहता है।

परिवहन निगम ने बसों की निर्धारित गति 80 तय कर रखी है। इससे अधिक होने पर चालकों पर उंगली उठती है। चालक निगम द्वारा तय स्पीड का पालन नहीं करते हैं। चालक इससे बचने के लिए यूटीएस से एक्स्सिलेटर में लग रहे तार में खेल कर देते हैं, जिससे मशीन काम करना बंद कर देती है। इसके चलते बसों पर ऑनलाइन ध्यान देना मुश्किल हो जाता है।

कार्यशाला को बनाना होगा हाईटेक

चारबाग कार्यशाला में काम करने वाले अजय ने बताया कि हम लोग डिपो में आ रही बसों की सर्विस से जुड़े सभी कार्य करते हैं। लेकिन यूटीएस की हमें सही जानकारी नहीं है, इसलिए बसों में खराब पड़ी यूटीएस सिस्टम को ठीक करने में मुश्किल आती है। विभागीय तौर पर ट्रेनिंग की आवश्यकता है।

बसों की हाई स्पीड हैं हादसे की वजह

हाईवे पर चालक अपने मनमाने तरीके से ड्राइविंग करते हैं। गति पर कोई ध्यान नहीं होता है। जबकि 80 से अधिक स्पीड से चलना मना है।

अधिकारियों को रखनी होगी पैनी नजर

अगर जिम्मेदार अधिकारी यूटीएस की ओर ध्यान दें और इस पर कार्य करें तो बसों को तेज चलाने वाले चालकों पर लगाम लग सकती है। इसके अलावा चालकों द्वारा किए जा रहे तार छुड़ाने के खेल को भी पकड़ना होगा। कार्यशाला में कार्य कर रहे लोगों को ऑनलाइन प्रकिया से जोड़ने की कोशिश करनी होगी। इस कदम से लगातार हो रही दुर्घटनाओं में कमी आने की संभावना रहेगी।

क्या कहते हैं अधिकारी ?

कैसरबाग बस अड्डे के एआरएम एम के शर्मा ने बताया कि यूटीएस बसों की स्पीड को कंट्रोल करने का बेहतर साधन है। इस संबंध में कार्यशाला में आ रही बसों पर ध्यान दिया जाएगा और यूटीएस से छेड़छाड़ करने वाले चालकों पर कार्रवाई की जाएगी।

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