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107 करोड़ के घपले में नपे अफसर, 31 डीपीआरओ सतर्कता के राडार पर

Rishi
Published on: 15 Oct 2017 10:00 PM IST
107 करोड़ के घपले में नपे अफसर, 31 डीपीआरओ सतर्कता के राडार पर
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लखनऊ। पंचायतीराज विभाग में 14वें वित्त आयोग से आयी 699 करोड़ की धनराशि में से 107 करोड़ रूपये के गोलमाल का खुलासा हुआ है। यह धनराशि बढिया परफार्मेंस करने वाली ग्राम पंचायतों को विकास कामों के लिए दिया जाना था। ऐसी ग्राम पंचायतों का चयन करने के लिए कमेटी भी बनी थी। जिसने कुल 31 जिलों की 1798 ग्राम पंचायतों का चयन किया था। इसमें से 1123 ग्राम पंचायते जांच में अपात्र मिली हैं, जिन्हें अनियमित तरीके से धन आवंटित करने की पुष्टि हुई।

नतीजतन अपात्र ग्राम पंचायतों के चयन के लिए गठित कमेटी में सदस्य के तौर पर शामिल रहे चार अफसरों को निलम्बित कर दिया गया है। तत्कालीन निदेशक अनिल कुमार दमेले के खिलाफ जांच की संस्तुति की गयी है और पूरे प्रकरण की जांच सतर्कता अधिष्ठान को सौंपने का निर्णय लिया गया है।

इसके अलावा प्रकरण में संलिप्तता पाए जाने पर अब तक दो जिला पंचायत राज अधिकारियों (डीपीआरओ) और छह सहायक विकास अधिकारियों (पंचायत) को निलम्बित किया जा चुका है। धन आवंटित के लिए गठित कमेटी में सदस्य के तौर पर शामिल जिन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। उनमें अपर निदेशक राजेन्द्र सिंह, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी केशव सिंह, अपर निदेशक एस के पटेल और उपनिदेशक गिरीश चन्द्र रजक शामिल हैं।

मामले की शुरूआती जांच से साफ है कि परफार्मेंस ग्रांट की धनराशि आवंटन में अभिलेखों से छेड़छाड़ की गयी। जांच में उन 31 जिलों के डीपीआरओ तक भी सतर्कता जांच की आंच पहुंचनी तय है। जिन जिलों की 1798 ग्राम पंचायतों को धनराशि आवंटित करने के लिए अ​नियमित तरीके से चयन किया गया।

दरअसल योगी सरकार बनने के बाद परफार्मेंस ग्रांट के ग्राम पंचायतों के चयन को लेकर काफी शिकायते आ रही थी। वर्तमान निदेशक विजय किरन आनन्द ने इस बाबत डीपीआरओ और सहायक लेखाकारों से रिपोर्ट मांगी पर ज्यादातर जिलों से दस्तावेज नहीं आए। जिन जिलों से दस्तावेज मिलें उनकी जांच में भारी गड़बड़ी मिली तो निदेशक ने तुरंत जिलों के मंडलीय उपनिदेशक से परफार्मेंस ग्रांट से धनराशि पाए ग्राम पंचायतों के कामों की रैंडम बेसिस पर जांच रिपोर्ट मांगी। उसमें भ्रष्टाचार का पूरा खेल उजागर हो गया।

इसका संज्ञान लेते हुए बीते 26 जुलाई को परफार्मेंस ग्रांट से मिली धनराशि के व्यय पर रोक लगा दी। पर तब तक 699 करोड़ रूपये में से 107 करोड़ रूपये खर्च हो चुके थे। करोड़ो रूपये के गोलमाल का यह मामला सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा तो उन्होंने तुरंत आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति कर दी।

प्राथमिक जांच रिपोर्ट में यह सामने आया

मामले की प्राथमिक जांच में सामने आया कि ग्राम पंचायतों के अभिलेखों से छेड़छाड़ हुयी। परफार्मेंस ग्रांट के लिए ग्राम पंचायतों के चयन में डीपीआरओ की स्पष्ट संस्तुति नहीं ली गयी। जिन ग्राम पंचायतों के दो वर्षों का आडिट नहीं हुआ था। उनका भी परफार्मेंस ग्रांट के लिए चयन कर लिया गया। जिन ग्राम पंचायतों की कोई आय नहीं है। उनकी खाते में पड़े ब्याज के पैसे को आय दिखाकर उनका चयन कर लिया गया। जबकि डीपीआरओ से मानकों को पूरा करने वाली ग्राम पंचायतों की आडिट रिपोर्ट ​सहित सूची का परीक्षण कर चयन होना था। पर सिर्फ औपचारिकताएं निभायी गईं।

इसलिए सतर्कता को सौंपी गयी जांच

निदेशालय को मिली जांच आख्याओं के गहन जांच की जरूरत है। तभी पता चल सकेगा कि कितनी और ग्राम पंचायतों में जनपद, ब्लाक, ग्राम पंचायत के सचिव स्तर से गलत सूचनाएं दी गयी और निदेशालय के अफसरों से सांठगांठ कर परफार्मेंस ग्रांट प्राप्त किया गया।

इन ग्राम पंचायतों को दी जानी थी परफार्मेंस ग्रांट की धनराशि

14 वें वित्त आयोग के तहत सन 2016—17 के परफार्मेंस ग्रांट का आवंटन उन ग्राम पंचायतों को किया जाना था। जिनके 2013—14 और 2014—15 के आडिट पूरे हों। इन दो वर्षो में उसकी आय में बढोत्तरी हुई हो।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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