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UP Election 2022: बुंदेलखंड में बेरोजगारी और पलायन पर आवारा पशु का मुद्दा भारी

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में किसान छुट्टा पशुओं से बहुत ज्यादा परेशान है ऐसे में विधानसभा चुनाव में काफी बड़ा मुद्दा बन गया है।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Krishna
Published on: 25 Jan 2022 2:24 PM GMT (Updated on: 25 Jan 2022 4:03 PM GMT)
UP Election 2022: बुंदेलखंड में बेरोजगारी और पलायन पर आवारा पशु का मुद्दा भारी
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आवारा पशु 

UP Assembly Election 2022: देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश यूं तो विकास के हरेक पैमाने पर देश के अन्य राज्यों से पिछड़ा है। यहां पर अशिक्षा, बेरोजगारी, पलायन और लचर स्वास्थ्य सेवाएं जैसी कई जरूरी मुद्दे हैं। लेकिन प्रदेश के बुंदेलखंड में इस बार इन सभी जरूरी मुद्दों पर एक मुद्दा हावी हो रहा है। किसानों का कर्ज और पलायन बुंदेलखंड के लिए हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है। सुखे से परेशान रहने वाले बुंदेलखंड में आवारा पशुओं का आतंक सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। पानी की कमी वाले इस संभाग में खेती को घाटे का सौदा माना जाता हैं। मुश्किल से खेतों में अन्न उगाने वाले किसान उनकी हिफाजत को लेकर खासे परेशान रहते हैं।

रातभर जागते किसान

दिनभर खेतों में मेहनत करने वाले किसानों की हालत ये हो गई है कि वो रात में अपने घरों पर चैन से नींद भी नहीं ले सकते। आवारा पशुओं का ऐसा खौफ है कि किसान अपनी खेतों में लगे फसलों की सुरक्षा के लिए रातभर पहरा देते हैं। कई बार देखभाल के अभाव में उनकी फसलें पशुओं ने चट कर दी। रातभर खेत की पहरेदारी करने वाले किसान इन आवारा पशुओं से आजिज आ चुके हैं। सरकार द्वारा बनाए गए गौशाले इस समस्या को हल करने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसके अलावा इन आवारा पशुओं के हमले में कई लोगों की मौत तो कई गंभीर रूप से घायल भी हो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों की ही बात करें तो फिलहाल बुदंलेखंड में 90 हजार पशु आवार घूम रहे हैं। जो बुदंलेखंड के लिए एक अभिशाप बन गया है। बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल शर्मा बताते हैं कि रोजगार के अभाव में लाखों किसान दूसरे प्रान्तों में पलायन कर गए हैं। जो अपने गांव में ही रहकर खेती कर रहे हैं उनके लिये अपना ही 'पशुधन' अब मुसीबत का सबब बन गया है। शर्मा ने कहा कि पलायन भी बुंदेलखंड का अहम चुनावी मुद्दा होना चाहिये था लेकिन राजनीतिक दलों को इसे मुद्दा बनाने से कोई लाभ नहीं है इसलिये यह चुनाव का मुद्दा नहीं बनता है।

बुंदेलखंड की सियासी तस्वीर

गौरतलब है कि बुंदेलखंड के सात जिलों में झांसी जालौन, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर शामिल हैं। इन जिलों में विधानसभा की 19 सीटें हैं। इनमें बांदा की नरैनी, हमीरपुर की राठ, जालौन की उरई और ललितपुर की महरौनी सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) सभी 19 सीटों पर जीती थी। इसके पहले 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) को सात-सात, कांग्रेस (Congress Party) को चार और भाजपा को एक सीट पर जीत मिली थी।

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